जम्मू- कश्मीर: एक 'संकल्प' अभी बाकी है... - Sankalp Diwas

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जम्मू- कश्मीर: एक 'संकल्प' अभी बाकी है... - Sankalp Diwas


लेखक: मनोज खंडेलवाल
Published on 19 February 2023 (Update: 19 Feb 2023, 20:35 IST)

भारतीय जनता पार्टी (भारतीय जनसंघ) के महान विचारक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की प्रतिबद्धता अनेक लोगों एवं सेक्युलर बुद्धिजीवियों को दिवास्वप्न ही लगता था. जिन लोगों का ज़मीन से जुड़ाव शून्य था, वैसे लोग परमाणु युद्ध और जाने क्या - क्या अनाप शनाप कहते रहते थे, किन्तु 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के जरिये अनुच्छेद 370 हटा दिया गया, तब ऐसे लोगों की जुबान पर ताले लग गए. 

कश्मीर में अब लाल चौक पर जाकर लोग तिरंगा लहराते हैं, सीना चौड़ा करके भाषण करते हैं, तो आतंकी दिन पर दिन अपनी बिल में दुबकते जा रहे हैं. 

पर अभी तक आधा ही कार्य हुआ है, और जम्मू कश्मीर पर संसद द्वारा पारित उस सर्वसम्मत प्रस्ताव को लगातार याद करते रहने एवं मजबूती देने का समय है, जब हमारी संसद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके हमारे कश्मीर की उस भूमि को वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया था, जिसे पाकिस्तान ने धोखे से कब्ज़ा रखा है.
1994 में 22 फरवरी को भारतीय संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के कार्यान्वयन का उद्देश्य, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित और बाल्टिस्तान जैसे शेष भागों पर फिर से दावा करना है. और यह जल्द से जल्द सच्चाई में बदलेगा, ऐसा विश्वास प्रत्येक भारतीय को है. 

जिस प्रकार से मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने Article 370 का कलंक धो दिया है, ठीक वैसे ही पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लाकर माँ भारती के आँचल पर लगे दाग को धोने का कार्य भी भारतीय जनता पार्टी का ही नेतृत्व करेगा, इस बात में तनिक भी दो राय नहीं है. 

ख़ास बात यह भी है कि पाक द्वारा कब्ज़ा किये गए कश्मीर के भूभाग में कश्मीरी भाषी लोग हैं ही नहीं!

1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर के बाल्टिस्तान और गिलगित पर कब्जा करने के अतिरिक्त कश्मीर के सीमांत के पंजाबी भाषी क्षेत्र मुजफ्फराबाद और जम्मू संभाग के मीरपुर पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान इसको ‘आजाद कश्मीर’ कहता है, किन्तु उसमें कश्मीरी भाषी लोग ही नहीं हैं, बल्कि मुजफ्फराबाद और मीरपुर के पंजाबी भाषी लोग हैं। जिनकी सभ्यता और संस्कृति पंजाब से मिलती है न कि कश्मीर से।

आतंकवाद को भारत में भेजते - भेजते आज पाकिस्तान खुद बर्बादी की कगार पर खड़ा है. कभी टीटीपी, तो कभी किसी और रूप में आतंकी पूरे पाकिस्तान की नींव हिला रहे हैं, यहाँ तक कि पाकिस्तानी आर्मी कैम्प पर आये दिन हमले हो रहे हैं. राजनीतिक रूप से पाकिस्तान फेल तो हो ही रहा है, आर्थिक रूप से कटोरा लेकर समूचे विश्व में यहाँ वहां घूम रहा है. 

विश्व भर के विचारक इस बात पर एकमत हैं कि भारत में मजबूत मोदी सरकार की नीतियों ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला खड़ा किया है. 

ऐसे में पाकिस्तान खुद को तो संभाल नहीं पा रहा है, वह गिलगित और बाल्टिस्तान को भला क्या संभालेगा?

ऐसे में पाकिस्तान को अगर खुद सद्बुद्धि आ सके, तो वह देख पायेगा कि जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में जो विकास हुआ है, भारत वैसा विकास पाक अधिकृत कश्मीर में भी कर सकता है. 

एक झलक देखिये...

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने कानून लाकर जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाली धारा 370 को खत्म कर दिया था. इन तीन सालों में वहां कई सारे बदलाव हो गए हैं. केंद्र के कानून और कई सारी योजनाओं को वहां लागू कर दिया गया है. आतंकी घटनाओं में भी कमी आई है. इसके अलावा तीन साल में करीब 30 हजार लोगों को पब्लिक सेक्टर में नौकरी भी दी गई है.

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद अब वहां बाहरियों यानी दूसरे राज्य के लोगों के लिए संपत्तियां खरीदना भी मुमकिन हो गया है. जबकि, पहले वहां सिर्फ स्थानीय लोग ही संपत्ति खरीद सकते थे.

इस साल 29 मार्च को गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्य के 34 लोगों ने संपत्तियां खरीदी है. ये संपत्तियां जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदरबल जिलों में खरीदी गई हैं.

इस साल मार्च में जम्मू-कश्मीर का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में केंद्र के 890 कानून लागू हो गए हैं. पहले बाल विवाह कानून, जमीन सुधार से जुड़े कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून लागू नहीं थे, लेकिन अब यहां लागू हैं.

इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में पहले महिलाएं अगर दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करती थीं, तो उनके पति को मूल निवासी नहीं माना जाता था. लेकिन अब दूसरे राज्य के पुरुष जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की महिलाओं से शादी की है, उन्हें भी यहां का स्थानीय निवासी माना जाता है.  

तो आइये, प्रतीक्षा करते हैं सही वक्त की, और जब पाक द्वारा कब्ज़ा किया गया हमारा हिस्सा हम वापस ले लेंगे, तब जाकर हमारा संकल्प पूर्ण होगा. 

इसी संकल्प को याद रखने के लिए, वर्तमान एवं अगली पीढ़ी को बताने के लिए मीरपुर बलिदान भवन समिति एवं जम्मू कश्मीर पीपल्स फोरम (पश्चिमी दिल्ली) 'संकल्प दिवस' आयोजित करता है. 

इस बार यह 22 फ़रवरी 2023 को नई दिल्ली के राजौरी गार्डेन में आयोजित किया जायेगा. शेष जानकारी निम्नलिखित पोस्टर में आप देखें. कार्यक्रम में आप अवश्य आयें, केंद्रीय मंत्रियों सहित राष्ट्रवादी विचारकों के विचार सुनें, एवं इस संकल्प को आगे बढाएं. इस लेख को शेयर करें, ताकि हर एक भारतीय यह जान सके, यह मान सके, यह ठान सके कि जम्मू कश्मीर में एक बड़ा 'संकल्प' पूरा करना अभी बाकी है. 



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