अमुन रा: मिस्र के प्राचीन देवता, जिन्हें प्राप्त है इंद्र का दर्जा! Lord Of The Sky: King Of The Egyptian Gods Amon Ra, Hindi Article

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अमुन रा: मिस्र के प्राचीन देवता, जिन्हें प्राप्त है इंद्र का दर्जा! Lord Of The Sky: King Of The Egyptian Gods Amon Ra, Hindi Article


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Published on 30 Jan 2023

अमुन रा: मिस्र के प्राचीन देवता, जिन्हें प्राप्त है इंद्र का दर्जा!

देवताओं की धारणा और उनका पूजन, हिंदू धर्म के अलावा प्राचीन मिस्र की सभ्यता में भी देखा जाता है. वहीं, माना जाता है कि वर्तमान लीबिया, सीरिया और अरब में मिस्र से लेकर यूरोप तक के बड़े भाग में पहले कभी देवताओं की पूजा की जाती थी.
 
संभवत: मूर्तिकला भी इसी का परिणाम है, जिसका सृजन यूरोप से ही माना जाता है.
आज हम ऐसे ही प्राचीन मिस्र के देवता की बात करने जा रहे हैं, जिसे अमुन रा कहा जाता है. इन्हें सूर्य व वायु का देवता माना गया है.

यह प्राचीन मिस्र के अति महत्वपूर्ण देवताओं में से एक थे. जिन्हें प्राचीन चित्रों में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है, जिसकी बड़ी दाढ़ी और सिर पर परों वाला मुकुट है.

तो चलिए जानते हैं, प्राचीन मिस्र के इस देवता की कहानी, जिसे कहा जाता है "लॉर्ड ऑफ द स्काई" –


देवताओं के राजा ने लिया था गोद

अमुन का उल्लेख पहली बार पिरामिड ग्रंथों में थिब्स के स्थानीय देवता के रूप में उनकी पत्नी अमाउनेट के साथ किया गया. उस समय थिब्स के प्रमुख देव और युद्ध के देवता मोंटू व रचनाकार देव अटूम थे.
मोंटू एक क्रूर योद्धा थे, जोकि शहर को सुरक्षा प्रदान करते थे. इनका काम अटूम की शक्ति को बढ़ाने में सहायता करना भी था.

यहां, अमुन राजा के सहचालक मात्र थे, जोकि एक स्थानीय देवता के रूप में ओगडोड का हिस्सा रहे. दरअसल अमुन को देवताओं के राजा द्वारा गोद लिया गया था. जिसके चलते वह भी देवताओं के समूह का एक हिस्सा बन गए. 
हालांकि अन्य देवताओं की भांति अमुन को शक्तिशाली व महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता था. ओगडोड के अन्य देवता अपने आप में अलग-अलग पहचान रखते थे.
 
हर देवता सृष्टि के एक तत्व के रूप में जाना जाता था. मगर अमुन के साथ ऐसा नहीं था, उनकी कोई विशेष पहचान नहीं थी.

आखिरकार मिला राजा का दर्जा

धीरे-धीरे समय बदला और उसी के साथ अमुन का दर्जा भी.
माना जाता है कि मध्यकाल यानी 2040-1782 ईसा पूर्व अमुन ने थिब्स में अपनी शक्ति को बढ़ाया. अमुन थिब्स के देवताओं के राजा का बेटा था, इसलिए पिता के बाद सारा राज-पाठ उसके पास आ गया.

यहां तक कि उनके निजी जीवन में भी परिवर्तन आया. उन्होंने अमाउनेट के स्थान पर मुट को अपनी पत्नी बना लिया. उनसे प्राप्त अमुन का पुत्र खोनसू चंद्र का देवता बना.

इस बीच मिस्र की हुकूमत के लिए राजा अहमोस प्रथम और हयकोस के बीच युद्ध हुआ. जिसमें अहमोस प्रथम की जीत हुई. उसने अपनी जीत अमुन को समर्पित कर दी.

अहमोस के अनुसार, युद्ध में जीत के लिए देवता अमुन ने उसका मार्गदर्शन किया था. यही कारण था कि उसकी यह जीत संभव हो पाई. अब तक अमुन की पहचान एक प्रकार से गोपनीय बनी हुई थी, ऐसे में वह किसी भी श्रेणी में आंके जा सकते थे.

अहमोस द्वारा पूजे जाने के बाद धीरे-धीरे अमुन सूर्य के देवता के रूप में जाने जाने लगे. जल्द ही अमुन से ब्रह्मांड के निर्माता अमुन रा व देवताओं के राजा बन गए. हिंदु धर्म के देवता इंद्र के समान ही, अमुन भी मिस्र के देवताओं के राजा के रूप में पूजे जाने लगे.
 
ऐसा भी कहा जा सकता है कि अमुन रा हिंदू धर्म से इतर, पौराणिक मिस्र इतिहास में इंद्र के समान थे.

मिस्र में आज भी मौजूद हैं अमुन रा के मंदिर

राजा बनने के बाद अमुन के नए साम्राज्य की शुरूअात हुई. इस साम्राज्य में अमुन को स्वंय निर्मित व्यक्ति और देवताओं के राजा के रूप में सम्मानित किया गया.

अमुन काफी हद तक हेलीओपोलिस के पहले भगवान अटुम से भी जुड़े थे. अमुन में मौजूद अधिकतर गुण अटुम जैसे ही थे. ऐसे में अटुम को बदला नहीं गया, बल्कि इन दोनों देवताओं को अलग-अलग देवता के रूप में पूजा जाने लगा.

अमून के बारे में विख्यात विद्वान रिचर्ड एच विल्किन्सन कहते हैं कि "अपने समय के दौरान लोगों में अमुन का प्रभाव इस कदर था कि वह लगभग एकेश्वरवादी देवता बनने के करीब पहुंच गए थे. देवता अमुन को समर्पित बहुत से प्राचीन मंदिर मिस्र में देखने को मिलते हैं."

"ये मंदिर इस बात का प्रतीक हैं कि लोगों द्वारा उन्हें कितना माना जाता है. इनमें से प्रथम मंदिर देर-अल-मदीना में है, जो नील नदी के पश्चिम में थिब्स के पार राजा की घाटी के पास स्थित है."
अमुन और उनके माता-पिता को समर्पित इस मंदिर का निर्माण रामसेस द्वितीय ने करवाया था. इसके अलावा एक अन्य मंदिर लूक्सोर में मौजूद है, जिसे 1500 ईसा पूर्व में बनाया गया था.
 
वर्तमान में यहां ढेरों लोग आते हैं और पूजा पाठ करते हैं. यहां पर अमुन को 'अमेनोथेप' के नाम से पुकारा जाता है. तीसरा मंदिर करनाक में स्थित है और यह इंसानों द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा मंदिर है. फराहो वंश के लोगों ने इस मंदिर में कई अलग-अलग अनुभाग तैयार कराए थे.

चित्रों में दर्शाए गए हैं कई स्वरूप

इन मंदिरों में देवता अमुन के ढेरों चित्र व मूर्तियां देखने को मिलती हैं, जिनमें उन्हें अलग-अलग स्वरूप में दर्शाया गया है.
कुछ चित्रों में अमुन को दो पर लगे ताज पहने दिखाया गया है. जिनका रंग हर चित्र में अलग-अलग है. साथ ही चित्रों में उन्होंने कई तरह के जेवर धारण कर रखे हैं.
यदि कपड़ों की बात की जाए, तो अधिकतर जगह उन्होंने एक घाघरा समान वस्त्र पहना है. इसके अलावा कुछ चित्रों में अमुन के सिर पर बाज का सिर बनाया है, जिसके एक हाथ में चक्र है.
इस प्रकार की अनेकों मूर्तियां व चित्र इन मंदिरों में देखने को मिलते हैं. जिन्हें देखने के लिए हजारों सैलानी हर साल यहां आते हैं.


मिस्र में प्रचलित पौराणिक कहानियों में अमुन रा को लेकर एक अन्य मत ये भी है कि उन्होंने अपना निर्माण खुद किया था, बिना किसी माता-पिता के. इसी वजह से उन्हें दुनिया के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने अपने साथ-साथ अन्य सभी देवताओं को बनाया था.
 
Lord Of The Sky: King Of The Egyptian Gods Amon Ra, Hindi Article

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