जनित्री (Janitri): 'Decoding' Shark Tank India Pitches

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जनित्री (Janitri): 'Decoding' Shark Tank India Pitches

  • किसी भी फाउंडर को इस मोमेंट का फाउंडर-कॉन्फिडेंस अवश्य ही देखना चाहिए. आज के समय में माहौल ऐसा बना है, जैसे इन्वेस्टर ही किसी कंपनी के सर्वेसर्वा हैं, लेकिन अगर आप अरुण... 
  • इतनी खूबसूरती से यह पिच डिलीवर होती है कि आपको लगता है कि आप वास्तव में किसी कहानी के बीच में मौजूद हैं. किसी शानदार स्टोरी टेलर की तरह फाउंडर बोलते जाते हैं, और... 
'Decoding' Shark Tank India Pitches: 'Janitri' by Arun Aggarwal (Pic: sonyliv.com)

लेखकमिथिलेश कुमार सिंहनई दिल्ली 
Published on 20 Jan 2023, Update: 12:01AM IST

शार्क टैंक इंडिया के सीजन-2 का यह 12वां एपिसोड था
इस एपिसोड की दूसरी पिच की शुरुआत में ही 'खुशी और गम' दोनों इमोशंस एक साथ आए. कुछ इस प्रकार...

"बधाई हो! आपके घर पर एक नन्हा मेहमान आने वाला है!"

फाउंडर के इन्वेस्टमेंट पिच की यह पहली लाइन सुनते ही सभी शार्क के चेहरे पर मुस्कुराहट आने लगती है...

मुस्कराहट पूरी तरह चेहरे पर आ पाती, उससे पहले ही गम की ओर मुड़ जाती है, जब फाउंडर यह शॉकिंग फैक्ट सबके सामने रखते हैं कि

"आज भी भारत में एक लाख लाइव बर्थ पर 113 मदर्स की मृत्यु हो जाती है... प्रेगनेंसी, डिलीवरी या पोस्ट डिलीवरी के बाद!"

अपने आंकड़े को और मजबूती देते हुए फाउंडर नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा भी बताते हैं।

शार्क अनुपम मित्तल के मुंह से इस आंकड़े पर 'ओ माय गॉड' बरबस ही निकल जाता है...

अब तक बाकी शार्क्स भी पूरी तरह से इस शानदार पिच की गिरफ्त में आ चुके होते हैं!

फिर बेहद प्रभावी ढंग से फाउंडर प्रेगनेंसी के आखिरी 3 महीने और डिलीवरी के समय मॉनिटरिंग और सही मेडिकल डिसीजन को इस बड़ी समस्या का कारण बताते हैं। अर्थात मॉनिटरिंग के पश्चात मां और नवजात बच्चे की डेथ रेशियो को 80% तक कम करने के उनके तर्क से सभी शार्क पूरी तरह से सहमत नजर आते हैं।

इतनी खूबसूरती से यह पिच डिलीवर होती है कि आपको लगता है कि आप वास्तव में किसी कहानी के बीच में मौजूद हैं. किसी शानदार स्टोरी टेलर की तरह फाउंडर बोलते जाते हैं, और मंत्रमुग्ध से शार्क सुनते रहते हैं।

फिर किसी उम्मीद की भांति बेहद सहजता से अपने स्टार्टअप जनित्री (Janitri) को वह सबके सामने लाते हैं, और इस समय फाउंडर का नाम सुनते ही शार्क्स के चेहरे पर मुस्कान दौड़ जाती है!

अरुण अग्रवाल एक के बाद एक फैक्ट्स के साथ, बेहद सहज ढंग से हिंदी में प्रभावी कन्वर्सेशन करते जाते हैं, और अंत में क्या होता है, अगर आपने यह एपिसोड देखा है, तो यह जानते ही होंगे!
ज़ाहिर तौर पर अंत में अपनी शर्तों पर उन्हें डील मिलती है, बल्कि उन्हें साथ लेने के लिए एक से अधिक शार्क सहर्ष तैयार नज़र आते हैं.

सिर्फ शार्क्स ही क्यों, बल्कि यह शो देखने वाले तमाम लोग अरुण अग्रवाल की इस पिच से को-रिलेट करने लगते हैं! 
आखिर किसके घर की यह समस्या नहीं है? 
हर कोई अपने घर की महिलाओं के लिए इस तरह के मॉनिटरिंग टूल्स चाहता ही है.

2023 के इस आधुनिक समय में भी हर व्यक्ति इस भय से घिरा रहता है कि प्रेग्नेंसी के समय, डिलीवरी या पोस्ट डिलीवरी के समय उनके घर की महिलाओं के साथ किसी प्रकार की अनहोनी ना हो जाए!

अरुण अग्रवाल की इस पिच के बाद क्वेश्चन आंसर का सिलसिला नमिता शुरू करती हैं, और बड़ी सहजता के साथ अरुण अग्रवाल आगे बढ़ते जाते हैं. 
अपनी स्कूलिंग से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और उसके बाद बायो मेडिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की बात हो, वह ग्रास रूट प्रॉब्लम को टेक्नोलॉजी से सॉल्व करने की अपनी चाहत से कनेक्ट करते जाते हैं।

Shark Tank India, Season 2, Episode 12 - Pitchers ki Undying Spirit (Pic: sonyliv.com)

फिर इस प्रॉब्लम की जड़ तक वह कितना घुसे हुए हैं, इसका एक-एक करके डाटा वह प्रजेंट करते जाते हैं. एक हेल्थ केयर पेटेंट एनालिस्ट से लेकर हेल्थ केयर डोमेन के एक्सपर्ट्स से मिलना और तमाम हॉस्पिटल्स का सर्वे करना उनकी क्रेडिबिलिटी को बढ़ाता जाता है. 

बेहद कॉन्फिडेंस से वह मदर और चाइल्ड बर्थ से जुड़ी तमाम हेल्थ केयर समस्याओं को समझने की खुद की विश्वसनीयता स्थापित कर देते हैं

फिर प्रोडक्ट की बारीकियों को वह एक-एक कर कर एक्सप्लेन करते हैं, और बहुत कॉम्प्लेक्स प्रोसेस और कठिन मेडिकल टर्म्स होने के बावजूद भी उनकी सहज भाषा इसे आसान बना देती है.
ना केवल मेडिकल टर्म, बल्कि कॉम्प्लीकेटेड टेक्नोलॉजी टर्म्स को भी वह आसान बनाते हुए वीडियो चलाने की अनुमति मांगते हैं, जहां एक-एक करके वह अपनी प्रोडक्ट के फीचर्स को शार्क्स के सामने रखते हैं.

जाहिर तौर पर सब कुछ पानी की तरह साफ हो जाता है.

बहुत सारे क्रॉस क्वेश्चन होते हैं. प्रेगनेंट विमेन की साइकोलॉजी से लेकर वर्ल्ड लेवल पर इस तरह का सिस्टम मौजूद होने या ना होने से जुड़े सवाल होते हैं, लेकिन आपको ऐसा लगता ही नहीं है कि यह शानदार पिच एक सेकेंड के लिए भी अपनी लाइन-लेंग्थ से भटक रही हो!

सब कुछ ट्रैक पर और फुली कंट्रोल्ड होता है... वह भी सहज सरल भाषा में!

फिर इसके बाद सेल्स क्वेश्चन से होते हुए बात उस लंबी यात्रा पर पहुंचती है, जहां पिछले 5 साल में रिसर्च एंड डेवलपमेंट, क्लिनिकल ट्रायल, इंप्रूवमेंट और रेगुलेटरी का लम्बा समय लगा होता है.
यह वह पल है, जो किसी भी फाउंडर को समझना चाहिए कि एक कॉन्फिडेंट और वास्तविक प्रॉब्लम सॉल्विंग प्रोडक्ट बनाने के लिए कितना धैर्य चाहिए!

आज के स्टार्टअप फाउंडर्स शायद इतना लंबा संघर्ष ना करना चाहें, और यह शार्क्स के कमेंट में भी नजर आता है जब अनुपम मित्तल आश्चर्य से कहते हैं कि 5 इयर्स...?!

जाहिर तौर पर इसकी अपॉर्चुनिटी कास्ट की भी बात होती है, और अरुण इस बात को भी साबित करते हैं कि उनकी यह लंबी यात्रा ग्रांट्स के साथ प्री-मनी इन्वेस्टमेंट के माध्यम से ही संभव हो सकी है.

आगे ऑफर की बात करें, उससे पहले आप एक बार फिर समझ लीजिये कि एक इन्वेस्टर्स के बीच में एक शानदार पिच में क्या होना चाहिए!
बहुत सारे बढ़िया एंटरप्रेन्योर को हमने शार्क टैंक इंडिया में देखा है, उनको पिच करते हुए देखा है, और निश्चित तौर पर अरुण अग्रवाल की पिच One of the Best है. उनकी तैयारी, उनका कॉन्फिडेंस, समस्या को गहराई तक समझना और सहज भाषा में कॉम्प्लेक्स चीजों को समझा पाना उनकी बड़ी खूबी गिनाई जा सकती है.

यूं तो शार्क टैंक इंडिया ने हिंदी भाषी क्षेत्रों के साथ रीजनल लैंग्वेज स्टार्टअप्स में एक अलग लेवल का कॉन्फिडेंस भरा है, और अरुण अग्रवाल जैसे फाउंडर्स अपनी प्रेजेंटेशन से उसे नेक्स्ट लेवल तक ले जाते दिखते हैं.

अरूण अग्रवाल की हिंदी में प्रेजेंट की गयी शानदार 'जनित्री-पिच' न केवल हिंदी भाषी, बल्कि दूसरे रीजनल लैंग्वेज के एंटरप्रेन्योर्स को यह कॉन्फिडेंस देगी कि भाषा आपके बिजनेस को ऊंचाई तक ले जाने में कोई रुकावट नहीं है. बल्कि यह आपकी ताकत है.

आपको अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा में आधी-अधूरी तैयारी करने की बजाय, अपनी भाषा में, अपने प्रोडक्ट, अपनी जर्नी को समझा पाने की क्षमता होनी चाहिए.
...और देखा जाए तो अपनी भाषा में यह कार्य बेहतर ढंग से किया जा सकता है!

pic: sonyliv.com

बहरहाल नमिता ने आगे आते हुए हुए अपने नेटवर्क और मेडिकल इंडस्ट्री की क्वीन होने का पहला पासा फेंका, और 75 लाख के बदले 5% इक्विटी ऑफर किया. 
यहां पर अरूण अग्रवाल का कॉन्फिडेंस देखते बनता है, जब वह बेहद सहज भाव से यह बताते हैं कि 15 करोड़ की जो वैल्यूएशन नविता लगा रही हैं, वह ढाई साल पहले का है, और साथ ही साथ अरुण प्री-सीरीज ए राउंड की जानकारी देते हुए ढाई करोड़ कमिटमेंट की बात कर जाते हैं.

हिंदी मुहावरों और कहावतों की बात करें, तो इसी को कहा जाता है कि अगर आपका पेट भरा हुआ हो, तो बाहर भी आपको पूछा जाता है, और अगर आप भूखे हैं, तो बाहर भी खाना मुश्किल से मिलता है...

यह बताते ही 15 करोड़ की वैल्यूएशन 30 करोड़ पर सीधी छलांग लगा देती है, वह भी नमिता के ही द्वारा, और सभी शार्क चौक जाते हैं.

फाउंडर्स का कॉन्फिडेंस किस प्रकार से अपने स्टार्टअप को आगे ले जा सकता है, यह वही मोमेंट है...

अनुपम मित्तल और अमन गुप्ता भी नमिता के वैल्यूएशन बढ़ाने को बहुत बढ़िया ऑफर बताते हैं, किंतु अरुण अग्रवाल की मुस्कुराहट बताती है कि वह झांसे में आने वाले नहीं है, और अपने इनोवेशन की वैल्यू जानते हैं!

किसी भी फाउंडर को इस मोमेंट का फाउंडर-कॉन्फिडेंस अवश्य ही देखना चाहिए. आज के समय में माहौल ऐसा बना है, जैसे इन्वेस्टर ही किसी कंपनी को ऊंचाइयों तक ले जाते हैं, उसको स्थापित करते हैं, लेकिन अगर आप अरुण अग्रवाल की इस जनित्री पिच को देखें, तो आप समझ जाएंगे कि इन्वेस्टर बस एक पार्ट होते हैं किसी भी स्टार्टअप में, जबकि फाउंडर्स का रोल कहीं ज्यादा होता है.

अगर कोई फाउंडर किसी इन्वेस्टर के दबाव में आ जाए, तो वह अपने स्टार्टअप को लेकर सही डिसीजन नहीं ले सकता है. ऐसे में उसका फुल ऑफ कॉन्फिडेंस होना बहुत जरूरी है.

यहां प्राउड मोमेंट भी आता है, जब अनुपम मित्तल इस बात को नोटिस करते हैं कि यह स्टार्टअप मेडिकल क्षेत्र में विदेशी फॉर्म्स की मोनोपोली को चुनौती दे सकता है. इस मेक इन इंडिया प्रोडक्ट के लिए वह अरुण अग्रवाल को बधाई भी देते हैं
अमन गुप्ता भी अरुण अग्रवाल को हस्लर बताते हुए उनकी 6 साल की जर्नी को इंस्पिरेशनल बताते हैं.

इसके बाद का मोमेंट पर आप जरूर ध्यान दीजिये, जब नमिता इस डील को लेने के लिए व्यग्र नजर आती हैं, और कहती हैं कि 'आप टाइम नहीं लगाइए.'
साथ ही इन्वेस्टर नमिता भी अपनी एक इमोशनल मेमोरी शेयर करती हैं...

इसी बीच अमित (नए शार्क) प्रोडक्ट के इतनी लंबी यात्रा में स्टैग्नेंट होने की बात उठाते हैं.
इस मोमेंट पर यह प्रश्न किसी को भी असहज कर सकता था, लेकिन अरुण अग्रवाल अपने साथ कुछ बड़ी डील्स होने की बात कह कर इस प्रश्न का सहजता से न केवल उत्तर देते हैं, बल्कि साउथ ईस्ट एशिया, अफ्रीका कॉन्टिनेंट और साउथ अमेरिका मार्केट को लेकर एक बड़ी लाइन खींचते हुए एक्सपोर्ट करने की योजना का खुलासा करते हैं.

ऐसे में मुझे महाभारत की याद आ जाती है, जब वरुण अस्त्र, आग्नेय अस्त्र और ब्रह्मास्त्र तक की काट अर्जुन की तरकस में होता है. ऐसा लगता है कि अरुण भी अपने तरकस को पूरी तरह से मजबूत करके शार्क टैंक इंडिया के कुरुक्षेत्र में आए थे!

उनकी तैयारी स्पष्ट दिखी, हर क्वेश्चन के लिए सधे हुए तर्क, फैक्ट!

यहाँ नमिता पुनः एक पासा फेंकते हुए खुद के 70 कंट्री में मौजूद होने की बात कहती हैं, जिसमें अनुपम मित्तल हामी भरते हुए उनके दावे को मजबूत करते हैं

इसी उठापटक के बीच लेंसकार्ट वाले पीयूष एक करोड़ 5% के लिए ऑफर करते हैं, साथ में नमिता को जोड़ने का ऑफर करते हैं, लेकिन नमिता तो जैसे ठान कर बैठी थीं कि यह डील उनकी 'सोलो की' है. मेडिकल फील्ड में जबरदस्त अनुभव होने के कारण उनका यह कॉन्फिडेंस स्वाभाविक भी था.
लेकिन इन्वेस्टमेंट की कहानी अभी बाकी थी, जब पीयूष ने अमित के साथ मिलकर यह ऑफर आगे कर दिया...

यहां बड़ा दिलचस्प मूमेंट आता है, जब रेवेन्यू प्रोजेक्शन की बात आती है.

यहाँ  फाउंडर अरुण नमिता के साथ होने की बात कहकर उनके मन में उम्मीद को जगाए रखने में सफल होते हैं. वास्तव में यही एक कुशाग्र फाउंडर की निशानी भी है कि आप किसी बढ़िया डील को 'बेहतर की प्रतीक्षा में' बेशक होल्ड करें, लेकिन उसकी उम्मीद को तोड़ें भी नहीं... !
निश्चित रूप से नमिता की उम्मीद यहां जगी रहती है, पर कहानी अभी बाकी थी...

कारदेखो वाले अमित ने ढाई परसेंट के लिए सीधा 1 करोड़ का ऑफर दे दिया, अर्थात फाउंडर की जो आस्क थी, हूबहू वही... 
हालांकि इसमें एक कंडीशन यह थी कि अगर 'जनित्री' 20 करोड़ का रेवेन्यू करती है, तो एक करोड़ के बदले ढाई पर्सेंट ही डाइल्यूट होगा, लेकिन अगर 20 से कम की रेवेन्यू होती है, तब उसे 5%  डाइल्यूट करना पड़ेगा!

ऑडियंस के लिए यह थोड़ा कन्फ्यूजिंग था, किंतु नमिता इस डील को लेने के लिए कदम बढ़ा चुकी थीं, और उन्होंने अपने पुराने ऑफर के साथ अमित और पीयूष के ऑफर को भी मैच कर लिया.

हालांकि इसे लेकर लिंक्डइन पर हंगामा मचा हुआ है!
किसी पोस्ट में मैं पढ़ रहा था कि अगर नमिता या किसी इन्वेस्टर को कम रेवेन्यू के आधार पर अधिक इक्विटी मिलती है, तो वह भला क्यों नहीं चाहेंगे कि कम रेवेन्यू हो...!!

देखा जाए तो इस पॉइंट पर फाउंडर का कोई एंगल नहीं था, बल्कि उन्होंने तो अपना एक प्रोजेक्शन रखा था कि 20 करोड़ का रेवेन्यू हो जाएगा. ऐसे में अमित ने इस प्रोजेक्शन को लेकर कंडीशन लगा दी, और इसी कंडीशन पर लास्ट में डील भी हुई.

Ye meri expertise hai 😊 (pic: sonyliv.com)

बहरहाल, एक मजबूत और तेज तर्रार स्टार्टअप फाउंडर के तौर पर अरुण अग्रवाल अपने काम में पूरी तरह सफल होते हैं और यह डील डन होती है, और इसी के साथ एक बेहद खूबसूरत पिच शार्क टैंक इंडिया से अपना चेक लेकर लौटती है... पूरे कॉन्फिडेंस के साथ, अपनी भाषा में, अपने अंदाज में!

ऊपर से एक बार और रिव्यू कीजिए और देखिए कि क्या अलग से कुछ और बताने की आवश्यकता है कि अपने स्टार्टअप के लिए एक फाउंडर को किस स्तर का कांफिडेंस, किस प्रकार की पिच और कैसी सहज भाषा रखनी चाहिए?

लेखकमिथिलेश कुमार सिंहनई दिल्ली 
Published on 20 Jan 2023, Update: 12:01AM IST

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Web Title: 'Decoding' Shark Tank India Pitches: 'Janitri' by Arun Aggarwal, Shark Tank India, Season 2, Episode 12 - Pitchers ki Undying Spirit, Premium Unique Content Writing on Article Pedia





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