आपके बच्चे को संवेदनशील बनाने का सर्वोत्तम विकल्प है 'गार्डनिंग'

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आपके बच्चे को संवेदनशील बनाने का सर्वोत्तम विकल्प है 'गार्डनिंग'

  • यकीन मानिए प्रत्येक दिन खुद को सार्थक रूप से इंवॉल्व करने का इससे बेहतर कोई दूसरा रास्ता नहीं. 
  • घर में, छत पर, बालकनी में किचन गार्डनिंग के अन्य फायदे भी हैं. आप मार्केट से जो सब्जियां घर में लाते हैं, क्या कभी आपने सोचा है कि ये इंजेक्शन वाली, भयंकर कीटनाशकों से लिपटीं ये सब्जियां आपके स्वास्थ्य को, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य को कितना नुकसान पहुंचाती हैं? 


लेखिका: विंध्यवासिनी सिंह (Vindhyawasini Singh)
Published on 11 June 2022 (Update: 11 June 2022, 18:44 IST)

देशभर में और भी कई बुरी खबरें हो सकती हैं, लेकिन इससे बुरी खबर शायद ही कोई हो कि देश के नौनिहाल लगातार हिंसक होते जा रहे हैं. कहीं वीडियो गेम के प्रभाव में आकर वह अपनी मां को गोली मार देते हैं, तो कहीं मोबाइल दूर रखने को कहने वाले पिता पर हमला कर देते हैं. ऐसे एक नहीं, अनेकों उदाहरण आपको देखने को मिल जायेंगे, जो न्यूज पोर्टल्स की निरंतर सुर्खियाँ बन रहे हैं.
देश के नौनिहालों का आक्रामक होता व्यवहार निश्चित रूप से चिंतनीय है, किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य समस्याओं की तरह इसे भी अपवाद मानकर अनदेखा कर दिया जायेगा.

हालाँकि, बच्चों का आक्रामक होता व्यवहार 'अपवाद' नहीं है, बल्कि अनेक माँ बाप कमोबेश इससे अलग-अलग स्तर पर जूझ रहे हैं. 

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, किंतु भिन्न विशेषज्ञों द्वारा जो कारण बताया जा रहा है, उसमें बच्चों का एकाकीपन प्रमुख है. घर में उनसे समुचित वार्तालाप ना किया जाना, उनके मन-मस्तिष्क को सही दिशा में सकारात्मक रूप से प्रेरित न करना, उनकी असंवेदनशीलता का प्रमुख कारण है. 
मेंटल डिसऑर्डर, एवं दूसरी गंभीर परिस्थितियों को छोड़ दिया जाए तो आम बच्चों में संवेदनशीलता उत्पन्न की जा सकती है, उसे जगाई जा सकती है, उसे सींचा जा सकता है. 

ठीक उसी प्रकार, जैसे एक पौधे की यात्रा होती है. बीज लगाना, बीज का अंकुरण, नियमित रूप से उसका सिंचन आदि.

इसके लिए समुचित वार्तालाप ज़रूरी होता है, तो क्यों न पौधों से ही आपके बच्चों का निरंतर वार्तालाप कराया जाया!

अब समस्या यह है कि बच्चों से वार्तालाप किया भी जाए, तो क्या किया जाए? 
व्यवहारिक रूप से देखें तो यह कोई एक दिन की प्रक्रिया तो है नहीं... जो आप बच्चों को कछुए और ख़रगोश की कहानी सुना देंगे. आखिर, आजकल के बच्चे खुद ही बाप बने बैठे हैं, और मोबाइल के माध्यम से आपसे आगे कहीं उनका दिमाग चल रहा है. वह चाहे 5 साल का छोटा बच्चा हो, या 15 साल का किशोर हो, आप उन्हें चलताऊ तरीकों से एंगेज नहीं कर सकते. हालांकि यह भी निश्चित रूप से करना चाहिए, किंतु इससे आगे बढ़कर आपको बच्चों में संवेदनशीलता जगाने के लिए कहीं अधिक गंभीरता से विचार करना होगा. 

इस हेतु गार्डनिंग का सहारा सर्वोत्तम साबित हो सकता है. गांव में तो इसकी भरपूर संभावना व संसाधन मौजूद हैं, किंतु शहरों में भी आपके पास अवसरों की कमी नहीं है. छोटे शहरों में सबके पास अलग-अलग मकान होते हैं, वहां पर कुछ ना कुछ खाली जगह भी होती ही है, तो इसे वहां आजमाया जा सकता है. अगर खाली जगह नहीं भी है, तो अपने मकान की छतों पर कोई भी व्यक्ति किचन गार्डनिंग आसानी से कर सकता है. और उसके साथ-साथ अपने बच्चे को वह इसमें इन्वॉल्व कर सकता है. 
न... न... आप इसकी चिंता न करें कि बच्चे नहीं करेंगे, पहले आप शुरू कीजिये... बच्चे अवश्य ही करेंगे... और यकीन मानें, उन्हें मजा भी आएगा, वह सीखेंगे भी... और संवेदनशीलता उनके व्यक्तित्व का अहम् हिस्सा बनता जायेगा.
बड़े शहरों में फ्लैट कल्चर पॉपुलर हो रहा है, और हर एक के पास छत की उपलब्धता नहीं है, किंतु बालकनी की उपलब्धता तो कमोबेश सभी के पास है. अगर आप चाहें, तो बालकनी में आप निश्चित रूप से गार्डनिंग कर सकते हैं. 

यह कैसे करेंगे, कैसे संभव होगा, इसके रास्ते यूट्यूब पर भी आप आसानी से देख सकते हैं, किंतु एक बात आप निश्चित रूप से मान लें कि किचन गार्डन डेवलप करने, उसे मेंटेन करने की प्रक्रिया में ना केवल आप अपने बच्चे को इंवॉल्व कर सकते हैं, उसे संवेदनशील बना सकते हैं, बल्कि खुद आप भी स्वस्थ रह सकते हैं. अनुभव से बताऊँ कि अगर सीजनल फूलों की बजाय सीजनल सब्जियों को आप किचन गार्डन में अधिक से अधिक लगाते हैं, तो ताजी सब्जियां अपने किचन में प्राप्त कर सकते हैं.

समय का रोना प्लीज न रोयें, आखिर आप भी क्या करते हैं. अपने मोबाइल को ऊपर से नीचे स्क्रॉल करना ही तो हम जैसों और आप जैसों का शगल बन गया है. अगर गवर्नमेंट इस बात का टैक्स लगा दे कि मोबाइल पर हम कितनी बार उंगलियाँ स्क्रॉल कर सकते हैं, तो यकीन मानिये इससे न केवल गवर्नमेंट का खज़ाना बढ़ता जायेगा, बल्कि यह हमारे घर में संवेदनशीलता भी लायेगा. 
ज़रा सोचिये! आपको ही देखकर, आपके घर के नौनिहाल, देश के कर्णधार भी मोबाइल में अपनी उंगलियां फंसा लेते हैं, और वह उंगलियां ऐसी फंसती हैं, कि वह तमाम उम्र फंसी ही रह जाती हैं. फिर जब अचानक आप अपने बच्चे की उँगलियों को उसकी मोबाइल से दूर करना चाहते हैं, तो वहां उसका मन-मस्तिष्क हिंसक हो उठता है.

घर में, छत पर, बालकनी में किचन गार्डनिंग के अन्य फायदे भी हैं. आप मार्केट से जो सब्जियां घर में लाते हैं, क्या कभी आपने सोचा है कि ये इंजेक्शन वाली, भयंकर कीटनाशकों से लिपटीं ये सब्जियां आपके स्वास्थ्य को, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य को कितना नुकसान पहुंचाती हैं? यकीन मानिये, ना केवल खुद आप जहरीली सब्जियां खाते हैं, बल्कि अपने बच्चों को भी जाने-अनजाने वही खिलाते हैं. ऐसे में क्या यह बेहतर नहीं होगा कि आप अपनी छत पर या अपनी बालकनी में मिर्च के पौधे उगा लें?

क्या यह बेहतर नहीं होगा कि आप अपने छत पर या बालकनी में भिंडी और बैगन उगा लें? 
क्या यह उचित नहीं होगा कि आप अपनी बालकनी में टमाटर के पौधे उगा लें? 

न... न... इसके लिए बहुत जगह की आवश्यकता भी नहीं है, बल्कि एक पीवीसी पाइप में आप दर्जनों सब्जी के पौधे लगा सकते हैं.
अगर आपके पास समय कम है, अगर आप उसमें खाद बीज मिट्टी की मात्रा नहीं भी डालना चाहते हैं, तो कई कम्पनियाँ रेडीमेड सोलुशन भी दे रही हैं. पर महत्वपूर्ण यह है कि चाहे जैसे, अपने बच्चे को उन पौधों में सुबह-शाम पानी देना सिखाना ही, उसकी असली ट्रेनिंग है.
जैसे-जैसे पौधा बड़ा होगा, बच्चे की संवेदनशीलता भी बढ़ेगी. 


इसमें अन्य कई प्रयोग भी कर सकते हैं. सब्जियों के पौधों के नाम रख सकते हैं, जिससे बच्चा और लगाव महसूस करेगा. 
आखिर कुत्ते और बिल्ली का नाम हो सकता है, तो पौधों का नाम क्यों नहीं हो सकता है?

यकीन मानिए प्रत्येक दिन खुद को सार्थक रूप से इंवॉल्व करने का इससे बेहतर कोई दूसरा रास्ता नहीं. यह एक ऐसा रूटीन है, जो ना केवल आपके फिजिकल हेल्थ को दुरुस्त रखने में सहायक होगा, बल्कि आपके बच्चे की मेंटल हेल्थ को भी सकारात्मक दिशा में बढ़ाना जारी रखेगा. साथ ही, आपको आपकी मेहनत के अनुसार हरी सब्जियां मिलेंगी, सो अलग!

तो फिर देर किस बात की?
तत्काल ही अपना किचन गार्डन बनाने में जुट जाएं, और अपने बच्चे के साथ शुरू करें वह यात्रा जो ना केवल आपको सुकून देगी, बल्कि भविष्य निर्माण में भी आपकी बड़ी सहायता करेगी. प्रकृति से जुड़ाव, ऑक्सीजन का उत्पादन इत्यादि वह फायदे हैं, जो आपको सीधा नजर नहीं आएंगे, किंतु आपके व आपके बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन इन बातों को बेहद सार्थक दिशा देगा, इस बात में दो राय नहीं.
मत्स्य पुराण के अनुसार, 
"दशकूप समावापी दशवापी समोहदः,
दशहद समः पुत्र दश पुत्र समोदयः"
अर्थात दश कुआं एक तालाब के बराबर पुण्य प्रदान करने वाला होता है, तो दस तालाबों के बराबर 'एक पुत्र  होता है, वहीं 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष की महत्ता होती है. 

तो देर न करें, अपने बच्चों को छोटे पौधों की यात्रा में भागीदार बनाएं. छोटे पौधे लगाना सिखाएं, 'संवेदनशीलता के वृक्ष' की महत्ता वह आप ही जान लेगा. 

- विंध्यवासिनी सिंह
(लेखिका vegroof.com की को फाउंडर हैं)








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