मशरूम की खेती कब और कैसे करें?

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मशरूम की खेती कब और कैसे करें?

  • अब लोग पारम्परिक फसलों के अलावा उन फसलों को भी उगाने लगे हैं जिनसे उनको मोटा मुनाफा मिल सके 
  • मशरूम की खेती के लिए 18 से 30 डिग्री तक का तापमान आवश्यक होता है

Pic: MUSHROOM KI KHETI

लेखक: सागर तिवारी (Sagar Tiwari)
Published on 11 Jun 2021 (Update: 11 Jun 2021, 5:09 PM IST)

जैसे -जैसे जमाना बदल रहा है, मॉडर्न हो रहा है, पुरानी चीजों को छोड़ कर लोग तेजी से नयी आदतों को अपना रहे हैं। वहीं कृषि के क्षेत्र में भी अब आधुनिकता आ गयी है। अब लोग पारम्परिक फसलों के अलावा उन फसलों को भी उगाने लगे हैं जिनसे उनको मोटा मुनाफा मिल सके। इसी के तहत आज कल बहुत चलन में है मशरूम (Mashroom) की खेती। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानने की कोशिश करते हैं कि मशरूम की खेती कब और कैसे करें, जिससे कि हमें अच्छे से मुनाफा मिल सके। 

क्या है मशरूम की खेती

मशरूम एक प्रकार का फफूंद या कवक होता है। मशरूम की खेती करने के लिए मशरूम बीज (स्पाॅन) का प्रयोग किया जाता है। स्पाॅन, जिसे हम मशरूम बीज के नाम से जानते हैं। मशरूम छतरी नूमा आकार का होता है।
मशरूम बीज बनाने के लिए गेहूं तथा अन्य प्रकार के बीजों से मशरूम की बीज बनाई जाती है।

मशरूम कवक पौधा होता है जो अपना भोजन दूसरे पदार्थ से ग्रहण करता है विश्व में इसकी प्रजातियों की संख्या 2000 पाई जाती है। जिसमें से 200 प्रजातियां भारत में उपलब्ध है। इन प्रजातियों में से 20-22 प्रजातियां खाने योग्य मानी जाती हैं। मशरूम की खेती के लिए नमी होना आवश्यक है।

मशरूम की खेती कैसे करें?

मशरूम की खेती करने के लिए हमें उत्पादन (मशरूम बीज) की आवश्यकता होती है। जो ईंट,बांस,पॉलिथीन से बनाया जा सकता है। रूम में खिड़की और दरवाजे होनी चाहिए आवश्यकतानुसार बनाया जाता है। मशरूम की खेती के लिए एक माध्यम की जरूरत पड़ती है जिसे पैरा कुट्टी, पुआल या गेहूं की भूसी इत्यादि का प्रयोग किया जा जाता है। पैरा कुट्टी का अत्यधिक रूप से प्रयोग किया जाता है। इसे 2 से 3 सेंटीमीटर छोटे टुकड़े करके प्रयोग करना होता है।

मशरूम की खेती में कृषि अवशेषों को विशेष प्रकार के कृषि दवाइयों से जीवाणु रहित किया जाता है।


इस विधि को निम्नलिखित प्रकार से प्रयोग किया जाता है

100 लीटर ड्रम या किसी बड़े पात्र में 90 लीटर पानी डाला जाता है।
ड्रम में 7.5 ग्राम बावस्टीन तथा 125 मिलीलीटर फॉर्मेलीन मिलाया जाता है।
इसमें लगभग 20 से 24 किलो सूखे हुए भूसे को पानी में डाला जाता है।
 ड्रम को ऊपर से पॉलिथीन से बांध दिया जाता है तथा इसे 12 से 18 घंटे तक उपचारित किया जाता है।
उपचारित भूसें को 4 से 8 घंटे तक छांव में खुले जगह पर छोड़ दिया जाता है‌।
जिससे इसके अतिरिक्त पानी बाहर आ जाए तथा फॉर्मेलीन की गंध बाहर हो जाए।

मशरूम की खेती कब करें

भारत में मशरूम की खेती साल भर में दो बार होती है। इसकी खेती अत्यधिक ठंडी में होती है जब मौसम का तापमान 18 से 26 सेल्सियस तक होता है। भारत में बंटन विधि से मशरूम उगाने का ठीक समय अक्टूबर से मार्च तक के महीने होते हैं। इन 6 महीनों में दो फसलें उगाई जाती हैं।


मशरूम की खेती करने से लाभ

विटामिन डी(Vitamin D) की प्रचुर मात्रा मिलती है।
रेशे की मात्रा उपलब्ध होती है।
कैल्शियम का अच्छा स्रोत मिलता है।
कुपोषण (Malnutrition)से मुक्ति मिलती है।
खाने में अच्छा लगता है।
इसमें अत्यधिक धन का लाभ होता है
छोटे से जगह में हैं आप अच्छी खासी रकम कमा सकते हैं। 

(लेखक: सागर तिवारी)



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