भारतीय महिलाओं की सफलता के लिए कितना जरूरी है 'इकोसिस्टम' बनाना?

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भारतीय महिलाओं की सफलता के लिए कितना जरूरी है 'इकोसिस्टम' बनाना?

an 'ecosystem' for the success of Indian women?


Writer: Vindhyawasini Singh
Published on 5 April 2023

महिला सशक्तिकरण एक लंबे अरसे से बड़ा चर्चित शब्द रहा है। इस पर खूब सारी गोष्ठियों होती हैं, वाद विवाद होते हैं लेकिन अगर हकीकत देखें तो भारतीय परिदृश्य में महिलाओं की स्थिति में आमूलचूल बदलाव होने अभी बाकी हैं। 
पश्चिमी देशों की बात कुछ और है, वहां पारिवारिक व्यवस्था नहीं है, वहां बच्चों के साथ उस प्रकार का जुड़ाव नहीं है, जैसे भारतीय परिदृश्य में है। बेशक भारतवर्ष में संयुक्त परिवारों का विघटन हो रहा है, किंतु न्यूक्लियर फैमिली में भी एक महिला का अपने पति और अपने बच्चों से तो वही जुड़ाव होता है। 

इतना ही नहीं भारत में वर्किंग महिलाएं तब और विवश हो जाती हैं, जब उसे अपने बच्चों की परवरिश और अपने कैरियर में से एक को चुनना होता है। यह बेहद कठिन स्थिति होती है, आप चाहे बॉलीवुड की बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियां ले लें, चाहे कारपोरेट घराने में कार्यरत किसी सीनियर एग्जीक्यूटिव का उदाहरण ले लें, कहीं ना कहीं महिलाएं इस गिल्ट मे रह जाती हैं, कि काश की हम घर और कैरियर दोनों सफल कर सकते। 

बात यहां सिर्फ वर्किंग विमेन की भी नहीं है, बल्कि जो हमारे देश में होममेकर हैं वह भी अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा किचन और होम मैनेजमेंट में निकाल देती हैं, और आखिर में जब वह सोचती हैं कि उन्हें मिला क्या? तब एक कटु एहसास जरूर होता है। 
यह कटु एहसास तब और सालत है, जब वही पति और बच्चे इसकी परवाह नहीं करते। पहले के सिस्टम में इस बात का दर्द नहीं था क्योंकि संयुक्त परिवार की एक श्रृंखला होती थी और अपने जैसी कई महिलाएं दिखती थीं और उसमें महिलाओं का दर्द हल्का हो जाता था, किंतु अब जब एक महिला देखती है, सोचती है और मानती भी है कि, उसे अपनी जिंदगी को लेकर सजग होना चाहिए। तो आखिर वह कैसे अपने कैरियर अपने बच्चों को मैनेज करें ? अपने लिए कुछ करे ? आईये जानते हैं 

1. माइंडसेट को सबसे पहले बदलें!  (Change the Mindset first!)

यह सब कहने की बात है कि, पति की सफलता ही मेरी सफलता है, या मेरे बच्चे सफल हो जाएँ तो मैं समझूंगी इसे अपनी सफलता! यह बातें तब के लिए होती थीं जब संसाधनों की कमी होती थी और  किसी एक को सफल करने के लिए परिवार में कई लोगों को त्याग करना पड़ता था। 

लेकिन बदलाव के आधुनिक युग में प्रत्येक भारतीय महिला को यह बात समझ लेनी चाहिए कि, बच्चों और पति के अलावा भी उसका अपना अस्तित्व है, उसकी अपनी सोच है, उसकी अपनी व्यक्तिगत सफलता और असफलता भी है। 
इस बात का यह कतई मतलब नहीं है, कि एक महिला की जिंदगी में बच्चे और पति के साथ साथ परिवार की अहमियत कम हो जाती है, बल्कि इस बात का 2023 और इससे आगे आने वाले सालों में सिर्फ और सिर्फ यही अर्थ है कि इन सभी के साथ-साथ अपने अस्तित्व को भुला देना समझदारी नहीं है। ये सभी कार्य करते हुए आपको अपनी इच्छाओं अपनी सफलताओं और अपने प्रयासों पर भी उतना ही सजग होना पड़ेगा। 

क्योंकि अब के समय सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिल रहे हैं, सारी सुविधाओं का एक समान उपभोग हो रहा है, फिर आपको लग रहा है आपकी वैल्यू काउंट नहीं होगी ? 

2. अपनी वैल्यू के बारे में जरूर सोचें   (Think about your value)

कोई और सोचे या ना सोचे लेकिन आप यह जरूर सोचें कि आप अपने परिवार के लिए क्या वैल्यू एड कर सकती हैं और क्या वैल्यू एड कर रही हैं? मैं यहाँ यह स्पष्ट कर दूँ कि वैल्यू का यह कतई मतलब नहीं है कि आप कितना पैसा कमा कर परिवार में दे दें? वैल्यू से मतलब है कि आपने वह कौन सा ईकोसिस्टम तैयार किया है, जिसमें आपकी और आपके परिवार की डेवलॅपमेंट का रोडमैप दिख रहा हो। एक ऐसा रोडमैप जो सुविचारित हो, जो यह दर्शाता हो कि आप अपने बच्चे के साथ अपने डेवलॅपमेंट के लिए भी प्रयास कर रही हैं ? 

3. यह कठिन नहीं है, बस एक कदम बढ़ाना है (It's not hard, just take a step)

वैल्यू, माइंडसेट, इकोसिस्टम यह सब बातें सुनकर आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है, क्योंकि यह कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है, बस प्रबंधित करने की बात है। अब आप किचन में या घर की साफ सफाई में अपना संपूर्ण जीवन नहीं लगा सकते और लगाना भी नहीं चाहिए। क्योंकि अब भारतीय समाज में पुरुषों की सोच भी बदली है और वह भी यह चाहते हैं कि महिलाएं कदम से कदम बढ़ा कर आगे चलें और वास्तव में वह कुछ वैल्यू ऐड करें। इतना ही नहीं रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए पुरुष अब किचन में हाथ बटाना चाहते हैं, यहाँ तक कि घर की साफ सफाई में भी हाथ बटाना चाहते हैं तो फिर आपको दिक्कत कहां है?

वास्तव में दिक्कत आपको भी नहीं है, आप भी चाहती हैं परिवार के लिए वैल्यू ऐड करना, लेकिन दिक्कत इकोसिस्टम की है, यानी ऐसा माहौल जहां एक व्यक्ति मदद मांग सके और जहां एक व्यक्ति मदद कर सके। 

4. ऐसे करें इकोसिस्टम की शुरुआत  (Start the ecosystem like this)

इसकी शुरुआत किचन से करते हैं, किचन में सुबह के खाने में जो आपका ढाई घंटा लगता है उसमें आपका पति भी मदद करें निश्चित रूप से किचन का काम 1 घंटे में निपट सकता है। अधिकांश पुरुष इस बात के लिए तैयार हो जाएंगे कम से कम 2023 में तो हम यह मान हीं सकते हैं। अब यहाँ आपको कुछ दिनों तक थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी होगी अपने पति को ट्रेंड करने में। आप चाहती हैं कि आपके हस्बैंड आटा गूंद दे तो आपक आपको इसका सिस्टम डिवेलप करना होगा अर्थात आटा गूंदने वाली थाली में आटा की मात्रा और पानी की मात्रा शुरुआत में आपको दिखानी होगी, सिखानी होगी, किचन में सब्जी काटने में आपके पतिदेव आपकी हेल्प करें तो सब्जियां फ्रिज से सही मात्रा में निकाल कर आपको रखनी पड़ेगी। यकीन मानिए धीरे-धीरे यह प्रक्रिया डिवेलप हो जाएगी और धीरे-धीरे यह प्रक्रिया ऑटोमेटिक होती चली जाएगी। वहीं अगर आप ट्रेनिंग देने से बचेंगी तो यह प्रक्रिया शुरू ही नहीं होगी क्योंकि एक पुरुष उस इकोसिस्टम में नहीं है। 

वहीं अगर इस तरह से आप शुरू में एक ट्रेनिंग देती हैं और एक इकोसिस्टम डिवेलप करती हैं तो आपका किचन में जो 2 घंटे का समय लगता है सुबह के समय में वह घटकर 1 घंटे का हो जाएगा। यही चीज आपको अपने बच्चों के साथ करनी है, जैसे -जैसे बच्चे बड़े होते हैं इकोसिस्टम का उनको पार्ट बनाते जाना है। वह कपड़े समेटने की बात हो या बिस्तर सही करने की बात हो या सोफे के कवर को सही करने की बात तो, यह सारी चीजें आपको ट्रेनिंग देनी पड़ेगी जो शुरू में थोड़ी तकलीफ दे होगी किंतु धीरे-धीरे आप घरेलू कार्यों में लगने वाले अपने समय को ना केवल घटा लेंगी बल्कि एक बेहतरीन वातावरण का निर्माण करने में भी सफल होंगी। 

ना केवल खाना बनाने में और घर की साफ सफाई में बल्कि बच्चों को पढ़ाने से लेकर अपने सामाजिक संबंधों तक को मैनेज करने के लिए शुरुआत में आपको थोड़ा अधिक मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन अंतत आप ऐसा इकोसिस्टम बना लेंगी जिसमें सभी की सार्थक भूमिका होगी और सारा बोझ आप पर ही नहीं आएगा। लेकिन मैं पुनः दुहरा दूँ कि, शुरुआत में आपको इकोसिस्टम बनाने में थोड़ी ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ेगी। 



5. अपनी ग्रोथ को जस्टिफाइड करें (Justify Your Growth)

अब यह तो रही इकोसिस्टम बनाने की बात, अब जब पूरा परिवार इकोसिस्टम में आपकी मदत कर रहा है तब आपको अपने ग्रोथ को स्पष्ट रूप से दिखाना होगा। अगर आप एक होममेकर हैं तो अपने आपको जस्टिफाइड करने के लिए आपको अपनी प्रोफेशनल ग्रोथ भी लगातार करनी होगी और अगर आपने अभी तक शुरुआत नहीं की है तो इसे शुरु करना होगा। जैसे कि आप कोई लेखन कार्य कर सकती हैं, आप कोई यूट्यूब चैनल बना सकती हैं, आप ऑनलाइन फ्रीलॉन्सिंग से रिलेटेड कुछ डाटा एंट्री का काम कर सकती हैं, कोई किताब लिख सकती हैं, ट्यूशन पढ़ा सकती हैं। ऐसे सैकड़ों कार्य आपको इंटरनेट पर मिल जाएंगे उसमें से बहुत सारे कार्य तो आपको पहले से आते होंगे बस उनकी प्रैक्टिस करनी होगी, उनका सिस्टम डेवलप करना होगा और अगर कोई कार्य आपको नहीं आता है तो उसकी ट्रेनिंग आप निश्चित तौर पर लेकर उसे शुरू कर सकती हैं। 

तात्पर्य है कि आपको एक होममेकर के साथ-सथ एक प्रोफेशनल एप्रोच भी डिवेलप करनी होगी और तभी लोग आप की वैल्यू कर पाएंगे। लोग चाहे करें या ना करें आप खुद उस दिशा में बढ़ पाएंगी।

क्योंकि हकीकत तो यह है कि अगर मनुष्य अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहता है तो उसे स्वयं ही प्रयास करना पड़ेगा। यकीन मानिए शुरुआत में आपकी कमाई चाहे एक हजार हो चाहे 2000 हो चाहे 10,000 हो लेकिन धीरे-धीरे यह बढ़ेगी और यह कमाई आपके आत्मविश्वास को बहुत अधिक बढ़ाएगी। उससे भी अधिक अगर आपके पतिदेव अगर आपको 1 महीने में 50 हजार रूपये खर्च करने को देते हैं और आप अपनी मेहनत से 5  हजार भी कमाती हैं तो दोनों में बहुत ज्यादा अंतर है।  आपके 5000 की वैल्यू आपके लिए अधिक है। तो अपनी कमाई अपनी आर्थिक इंडिपेंडेंस की शुरुआत आप हर हाल में करें, हो सकता है कि इसमें समय लगे लेकिन आप एक प्रोफेशनल के तौर पर इसे शुरू करें। 

6. प्रोफेशनल बनने के लिए टाइम कैलकुलेशन महत्वपूर्ण (Time calculation is important to become a professional)

अगर आप प्रोफेशनल बनाना चाहती हैं तो यह बात गांठ बांध लें कि इसमें टालमटोल वाला अप्रोच नहीं चलेगा। इसमें स्वप्रेरित हो कर आपको मिनिमम 6 से 8 घंटे का समय निकालना होगा। आपको सोचना होगा कि सुबह जगने के साथ आप अपने टाइम को किस प्रकार से बैलेंस कर सकती हैं, अलग-अलग कार्यों को व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर उसमें लिस्ट करने से आप अपनी उपयोगिता कैसे बढ़ा सकती हैं। अपना टाइम सेव करने के लिए परिवार से कैसे मदत ले सकती हैं। यह सब विचार करने के बाद आप को मिनिमम 6 से 8 घंटे का समय अपने प्रोफेशनल कैरियर को देना है, तब जा कर आप कहीं प्रोफेशनल होने की राह पर एक कदम बढ़ा पाएंगी। अगर आप 6 से 8 घंटे का समय नहीं निकाल पाती हैं तो फिर अपने आपको प्रोफेशनल बना पाना कठिन होगा। 

कुल मिला कर मुख्य बात यही है कि क्या आप स्वयं आगे बढ़ना चाहती हैं, तो वर्तमान परिस्थिति को प्रबंधित करने के लिए क्या आप इकोसिस्टम बनाने के लिए तैयार हैं ? अगर हां तो फिर कोई आपकी राह नहीं रोक सकता। 

 शास्त्रों में लिखी बात 'यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" 
आप अपने घर को ही स्वर्ग बना लेंगी और अपनी अहमियत भी पूर्णरूपेण साबित कर सकेंगी,  इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है। 

Writer: Vindhyawasini Singh
Published on 5 April 2023



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