लेखक: मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली
Published on 6 April 2023
प्रिंट मीडिया की दुनिया अब डिजिटल हो चली है।
इस बदलाव के दौर में अगर कंटेंट के स्तर (Content Standard) पर बात की जाए, तो खबरों में तथ्य की बजाए तेज गति (Fact vs Speed) एक बड़ा फैक्टर हो गया है। इस स्पीड के फैक्टर ने फायदा पहुँचाने की बजाय 'डिजिटल मीडिया' को नुकसान अधिक पहुँचाया है। और संभवतः इसीलिए प्रिंट मीडिया की तुलना में 'आधा विश्वास भी डिजिटल मीडिया हासिल नहीं कर पाया है।
ज़रा सोचिए! करोड़ों-करोड़ लोग डिजिटल मीडिया के पाठक हैं, किंतु जब विश्वास की बात आती है, तो वह प्रिंट मीडिया की ओर ही देखते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि, ख़बर और उसकी विश्वसनीयता तो प्रिंट माध्यम में ही है, बाकी माध्यम तो मनोरंजन के लिए हैं।
आप कहेंगे कि यह डिजिटल के जमाने में मैं प्रिंट की तारीफ में कसीदे क्यों पढ़ने लगा, तो बात यह है कि प्रिंट की बेहतर खूबियों को डिजिटल मीडिया (Digital Media( को निश्चय ही पकड़ना चाहिए। और बिना किसी लाग-लपेट के प्रिंट मीडिया की जो सबसे बड़ी खूबी है, वह उसका 'संपादकीय' पृष्ठ है।
संपादकीय पृष्ठ में विभिन्न मुद्दों की एनालिसिस, करंट मुद्दों पर संपादकीय किसी भी पाठक को कुछ देकर (Value Addition) ही जाता है।
वास्तव में एक सजग और सक्रिय समाज के निर्माण में प्रिंट मीडिया का यह संपादकीय पृष्ठ (Editorial Page) एक बड़ी भूमिका निभाता रहा है।
डिजिटल मीडिया की बात करें, तो बहुत कम ऐसे डिजिटल मंच हैं, जो प्रिंट मीडिया की इस संपादकीय खूबी (Editorial Specialization) को बरकरार रखने की कोशिश करते दिखते हैं। सूचनाओं के नाम पर कॉपी पेस्ट और तेजी के नाम पर अधकचरी खबरों से डिजिटल मीडिया का संसार भरा पड़ा है। यह पाठकों को भला क्या दे रहा है, यह विचार करना, एक Digital Journalist के तौर पर आपका धर्म भी है, और व्यावहारिक कर्तव्य भी!
उपरोक्त बातों के साथ-साथ यह भी एक तथ्य यह है, कि अब समय के आगे बढ़ते डिजिटल दौर को खींचकर पीछे के प्रिंट युग में तो नहीं ले जाया जा सकता, क्योंकि डिजिटल के अपने फायदे हैं, और यह साबित हो चुका है। पर हाँ, इतना तो जरूर किया जा सकता है, कि प्रिंट के फायदों को डिजिटल में समेटा जा सकता है, खासकर 'संपादकीय-पृष्ठ' जैसी अनमोल ख़ूबी को!
यकीन मानिये, इससे डिजिटल की रफ्तार भी कम नहीं होगी, बल्कि रफ़्तार और Audience Engagement के साथ-साथ विश्वसनीयता ही बढ़ेगी।
यहां इस लेख में प्रिंट के सिर्फ एक सकारात्मक फीचर ' संपादकीय' को अगर हम अपने Digital Version में अपना लेते हैं, तो डिजिटल मीडिया में इसके जबरदस्त फायदे हो सकते हैं। आइए देखते हैं...
1. बढ़ेगी विश्वसनीयता, बढ़ेगा जुड़ाव (Credibility will increase, engagement will increase)
यह एक फैक्ट है कि जब आप तथ्यों पर आधारित बात करते हैं, गहरी बात करते हैं, और किसी मुद्दे की परतों को खोलते हैं, तो संजीदा लोग आपकी बातों को पढ़ना-देखना शुरू कर देते हैं। फिर जब आप यह क्रम निरंतर जारी रखते हैं, तो लोगों को आपकी बातों पर भरोसा भी होने लगता है। फिर आपके लगातार परोसे जा रहे विश्वसनीय कंटेंट में कुछ-कुछ वायरल (Viral Content) भी होता है, और आपका पाठक-वर्ग (Audience-base) बढ़ता ही जाता है।
आज की भाग-दौड़ में जहां किसी के मस्तिष्क पर एक पल में ही कुछ और सूचना आती है, तो दूसरे पल में कुछ और सूचना आ जाती है, वैसी अवस्था में ऑडियंस से जुड़ाव मुश्किल हो गया है। पाठक-वर्ग किसी News Portal नाम जल्द ही भूल जाता है।
यह सामान्य मनोविज्ञान है!
अब लोगों के पास इनफॉरमेशन की कमी नहीं है, बल्कि सही और तथ्यात्मक इंफॉर्मेशन (Accurate and Authentic News Analysis) की कमी है। इस गैप को दूर आप अपने News Portal, या अन्य Digital Channels के माध्यम से कर सकते हैं।
ज़ाहिर तौर पर जब 'संपादकीय' प्रारूप में आपके Digital Portal पर गहरी बातें (Between the lines) आप के माध्यम से पाठक को पता लगती हैं, तो ना केवल आप पर वह विश्वास करते हैं, बल्कि आपके News Portal, Youtube Channel के साथ-साथ दूसरे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर भी आपसे जुड़ने लगता है।
2. ब्रेकिंग और लॉन्ग टर्म कंटेंट का अंतर पहचानें (difference between breaking news and long term content)
मैं अपने पिछले 12 साल के डिजिटल मीडिया के कैरियर में सैकड़ों न्यूज़ पोर्टल बना चुका हूं, तो कई News Portals में बेहद कम कीमत पर हमारी टीम निरंतर कंटेंट अपडेट (Regular Content Update) करती रही है। कई Digital Channels / News Portals के लिए हम यूनिक आर्टिकल्स (Articles & Video Scripts) भी लिखते रहे हैं।
इन सभी अनुभवों के बीच में मैंने यह स्पष्ट महसूस किया है, कि अगर आपके पास अपार संसाधन नहीं हैं, तो आपको ब्रेकिंग न्यूज़ में छलांग नहीं लगानी चाहिए।
Tips: Don't jump into Breaking News format, without immense resources.
न्यूज़ पोर्टल बनवाने, कंटेंट अपडेट कराने वाले कई मित्र देश के अलग-अलग हिस्सों से मुझसे संपर्क करते हैं, और मुझे बड़ा आश्चर्य होता है, जब वह आज तक, जी न्यूज़ जैसे बड़े पोर्टल्स जैसा अपना पोर्टल बनवाना और चलाना चाहते हैं।
यहाँ मैं स्पष्ट कर दूं कि बड़े पोर्टल्स का सपना देखने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अपनी रिसोर्सेज का आंकलन हमें कर लेना चाहिए।
- क्या बिना किसी चिंता, बिना किसी तात्कालिक उम्मीद के लाखों रुपए हम महीने में खर्च कर सकते हैं?
अगर हाँ! तब तो ठीक है, अगर नहीं तो फिर हमें ब्रेकिंग न्यूज़ और तेज स्पीड से न्यूज़ देने का शौक छोड़ देना चाहिए।
इसकी बजाए संपादकीय स्टाइल में हमें एनालिटिकल कंटेंट (Unique Analytical Content) पर फोकस करना चाहिए। इसमें भी उस कंटेंट पर हमें ज्यादा फोकस करना चाहिए जिसका इंपैक्ट लम्बे समय तक (Long term impact) हो।
ऐसा नहीं होना चाहिए कि आज कोई ब्रेकिंग न्यूज टाइप कंटेंट हमने डाला, और कल, अर्थात 24 घंटे के भीतर ही उसकी अहमियत समाप्त हो जाए।
ध्यान दीजिए, बड़े मीडिया समूह के पास इतनी रिसोर्सेज होती हैं कि वह ब्रेकिंग कंटेंट पर पैसे खर्च भी कर सकते हैं, और उससे 24 घंटों में ही अधिकाधिक व्यूज ला सकते हैं, लेकिन स्मॉल और मीडियम मीडिया समूह (Small and Medium Media Organizations) ऐसा करने में सक्षम नहीं होते हैं।
ऐसे में अगर वह Breaking News टाइप Short Term Content लिखते, और प्रकाशित करते हैं, तो एक तरह से उनकी मेहनत बेकार ही जाती है, या फिर काफी कम प्रभाव क्रियेट कर पाती है।
एक पत्रकार के तौर पर, अगर आपके पास कुछ एक्सक्लूसिव खबरें आती हैं, कुछ ब्रेकिंग देना भी पड़ता है, तो भी आप अपनी कुल एनर्जी का, कुल संसाधन का 20% ही इस तरह की रोजाना की खबरों (Short term content) पर लगाइए।
शेष 80% ऊर्जा और संसाधन (Energy & Resources) आप लॉन्ग टर्म एडिटोरियल कंटेंट (Long Term Editorial Articles) पर फोकस कर दीजिए। क्योंकि इस कंटेंट की अहमियत 24 घंटे में समाप्त नहीं होगी, यह Google Search में भी आएगा, और इसे आप महीनों बाद - सालों बाद शेयर भी कर सकते हैं।
3. कम मेहनत में आएगी 'निरंतरता' (consistency with less effort)
यकीन मानिए, और थोड़ी एनालिसिस कर लीजिये, कि ब्रेकिंग न्यूज़ डालने में आप जितनी मेहनत करते हैं, उससे काफी कम मेहनत में आप 'संपादकीय और दूसरे विशेष आर्टिकल्स' पर काम कर सकते हैं।
जितनी एनर्जी आप इधर-उधर की छोटी मोटी खबरों पर लगाते हैं, किसी छुटभैया को खुश करने में अपना समय बिताते हैं, उससे कम मेहनत में आप एक शानदार पोर्टल चला सकते हैं।
मेरे बहुत सारे News Portal चलाने वाले मित्र रात-दिन मेहनत करने के बावजूद, विज्ञापन के बेहद छोटे अमाउंट, मतलब 500 या उससे भी कम अमाउंट के लिए इधर-उधर भटकते हैं। कई मित्र तो कुछ एप्लीकेशन में अनाप-शनाप खबरें डालकर कुछ आमदनी करना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि कोई अमाउंट कम या ज्यादा है, किन्तु एक पत्रकार की हैसियत तो यह नहीं है न!
खासकर, तब जब रात के 12 बजे भी कई पत्रकार ख़बरों के लिए घर से बाहर होते हैं, और अपने कम्प्यूटर पर उसी आधी रात में ख़बरें टाइप करके Breaking के चक्कर में पब्लिश भी करते हैं।
कई बिचारे पत्रकारों के पास तो कंप्यूटर भी नहीं होता है, और वह अपनी मोबाइल की छोटी स्क्रीन में ही सारा कार्य करते हैं।
इतनी मेहनत के बावजूद 500 का विज्ञापन, वह भी उस पैसे के लिए न जाने कितने चक्कर काटने पड़ते हैं!
आखिर, इस ढंग से पत्रकारिता करने का क्या लाभ, जहाँ दिन-रात मेहनत करने के बावजूद भी उनको ना ही पहचान मिलती है, ना ही उनके पोर्टल को कोई भी गंभीरता से लेता है।
अब आप यह न कहियेगा कि पत्रकारिता की ही अहमियत नहीं है, बल्कि पत्रकार की अहमियत तो पहले जैसी ही है, बल्कि Digital Age में उसका दायरा बढ़ा ही है।
आप एक बार संपादकीय कंटेंट (Editorial Series) पर एक बार कार्य करके तो देखिये!
बेहद कम मेहनत में आप न केवल इसको रेगुलर मेंटेन कर सकेंगे, बल्कि इसके दूसरे फायदे भी ले सकेंगे।
अगर आपको बेहतरीन इम्पैक्टफुल आर्टिकल लिखने में कठिनाई आती है, खासकर रेगुलर बेसिस पर तो आप अपनी आईडिया हमारे साथ शेयर कर सकते हैं, और हमारी टीम आपकी जरूरत के मुताबिक, आपकी सोच के मुताबिक, बेहद कम कीमत पर, उपयोगी और रेगुलर कंटेंट प्रोवाइडर करेगी।
यकीन मानिये, यह अपेक्षाकृत कम मेहनत ,कम एनर्जी ,कम रिसोर्सेज लेने वाला होगा, जबकि उसका प्रभाव, Return on Investment (ROI), यकीनन बड़ा होगा।
4. वीडियो बनाना होगा आसान (Video making will be much easier, and ... consistent too!)
यह एक बहुत जरूरी फैक्टर है।
जैसे टेक्स्ट खबरों की ब्रेकिंग देने की अंधी दौड़ चल रही है, वैसे ही अकेले पत्रकार लोग, या छोटे मीडिया समूह के संपादक भी अपना खून पसीना जलाकर वीडियो कंटेंट ब्रेक करने लगे हैं।
खबरें वही होती हैं कि, अमुक छूट भैया नेता ने अमुक जगह पर सभा की... पहले उसका वीडियो बनाते हैं, फिर एडिटिंग के माध्यम से उसे खूब सजाते भी हैं... फिर व्हाट्सऐप सैकड़ों ग्रुप और हजारों कॉन्टेक्ट्स में शेयर करते हैं... और नतीजा निकलता है कुछ एक व्यूज (Lesser Views) का!
ऐसे में भटकाव का वही दौर चलता है, जो ऊपर विस्तार से बताया गया है।
यकीनन वीडियो बनाना बहुत जरूरी (Videos are important for Today's Media) है, और वीडियो के माध्यम से कमाई के बड़े रास्ते भी खुलते हैं, जो आपको अगले पॉइंट में बताएंगे, लेकिन ब्रेकिंग न्यूज़ का वीडियो बनाकर आप अपनी पहचान बना सकते हैं क्या?
पहचान नहीं बनने पर अनाप-शनाप के वीडियो बनाने की सैकड़ों कहानियां आप जानते ही होंगे!
आखिर न्यूज़ बनाने के लिए बिहार के मनीष कश्यप जैसे लोग क्या-क्या नहीं झेल रहे हैं?
इसकी बजाय क्या यह आसान नहीं है कि ऊपर बताए गए एडिटोरियल कंटेंट (Editorial Content) पर आप फोकस कीजिए, और उसी कंटेंट के आधार पर आप आसानी से वीडियो तैयार कर लीजिए।
सप्ताह में प्रतिदिन नहीं, तो दो या तीन वीडियो आप आसानी से कर सकते हैं। एक तो आप कर ही लेंगे, बिना किसी हाय तौबा के!
ध्यान रहे, यह फैक्ट के साथ तैयार किया गया वीडियो होगा, जो किसी अगले विकास दिव्यकीर्ति, ध्रुव राठी, रवीश कुमार या ऐसे बड़े पत्रकार या सक्सेसफुल यूट्यूबर की कैटेगरी में आपको खड़ा करने लगेगा।
बस निरंतरता को ही तो मेंटेन करना है, और यह रेगुलर मेंटिनेंस करने का कंटेंट आप कर सकते हैं, चाहें तो हमारी टीम से यह सर्विस ले सकते हैं। चूंकि स्वयं करने में कई बार रेगुलेरिटी मेंटेन नहीं होती है, कई बार नेटवर्क के चक्कर में इधर उधर बाहर जाना ही पड़ता है, और ऐसे में वीडियो की निरंतरता (Video Consistency) नहीं बन पाती है।
ऐसे में हम आपसे चर्चा करके, आपके News Portal, Youtube Channel के ऑडियंस के हिसाब से रेगुलर कंटेंट (Regular Content) क्रियेट करते हैं, जिस पर आसानी से शानदार और फैक्ट पर आधारित वीडियो तैयार हो सकती है। यह बेहद कम समय में आप कर सकते हैं। अगर एडिटिंग नहीं भी करना चाहें, तो हमारे कंटेंट पर वीडियो बनाने के लिए आपको उस आर्टिकल को पढ़ना भर है।
चाहें, तो एक Sample Editorial Article हमसे लिखवाने हेतु अभी Whatsapp कर सकते हैं, अथवा 9990089080 पर मिथिलेश को कॉल कर सकते हैं।
5. भीड़ से अलग पहचान बनाने का 'अचूक-मंत्र' (The 'surefire' / unmistakable mantra to stand out from the crowd)
आप News Portal Journalism से जुड़ी कोई भी एक केटेगरी ले लीजिए...
चाहे वह न्यूज़ की एनालिसिस करने का क्षेत्र हो, चाहे लाइफस्टाइल का हो, चाहे एजुकेशन का हो, चाहे फाइनेंस का हो, और Google Search या फिर यूट्यूब पर गंभीरता से कंटेंट ढूंढने का प्रयत्न कीजिए!
खासकर हिंदी या दूसरी भारतीय भाषाओं में। यकीन मानिये, आप जल्द ही निराश हो जायेंगे!
Tip: Authentic, Useful content-varieties in Indian Languages are not available on internet.
Youtube Search में भी आपको गिने चुने नाम ही मिलेंगे, बाकी अधिकांश लोगों का कंटेंट आपको छिछला ही दिखेगा!
आप एक संपादक और पत्रकार के स्तर पर देखेंगे, तो आपको भारी गैप नज़र आ जायेगा।
यहाँ यह बताने का तात्पर्य यह है कि Internet की बढती दुनिया में पर्याप्त स्पेस खाली है, और यहाँ आप अपनी पहचान बना सकते हैं, भीड़ से अलग!
ऐसा मन में विचार कतई ना लाइए कि गूगल और यूट्यूब पर बहुत ज्यादा कंटेंट हो गया है।
हकीकत तो यह है कि अभी भी भारत में 50 करोड़ लोग के आसपास ऐसे लोग हैं, जिनके हाथ में फीचर फोन है, धीरे-धीरे इन लोगों के हाथ में स्मार्टफोन आता जा रहा है।
(Source: Smartphone Penetration is only 46.5% in India, according to google search)
ऐसे में सभी लोग बेहतरीन कंटेंट की प्रतीक्षा में हैं, और आने वाले दिनों में ऐसे पाठकों (Audience) की संख्या बढती ही जाएगी...
- जो उनकी लाइफ में वैल्यू ऐड करें
- जो उनको कुछ नया सिखला दे
- जो किसी जानकारी को नए Innovative ढंग से Engaging बनाए
ऐसे में इतनी बड़ी करोड़ों पाठकों की संख्या में आप आपकी ऑडिएंस आपको ढूंढ ही लेगी। बस आपको कुछ गहराई पूर्ण संपादकीय कंटेंट (Editorial Content) देते रहना है, और निरंतर देते रहना है।
इतना ही नहीं, भीड़ से अलग आपकी पहचान आसानी से बन जाएगी। Digital दुनिया का यह सबसे बड़ा फायदा है कि यहाँ किसी का एकाधिकार नहीं है। आपको किसी की चापलूसी करने की ज़रुरत यहाँ नहीं है, बल्कि आपको सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज देना है, और वह है Regular Editorial - Analytical Content.
हां, अगर आप भी वही उटपटांग हरकतें करेंगे, कुछ व्यूज पाने का आसान रास्ता ढूंढना चाहेंगे, तो यकीन मानिए, आपकी पहचान एक तो बनेगी नहीं, और अगर बन भी जाए तो वह आपके किसी काम की नहीं रहेगी!
आप अगले पॉइंट में समझ जायेंगे कि ठोस संपादकीय कंटेंट और आपकी कमाई के बीच क्या रिश्ता है!
6. कमाई का 'मजबूत रास्ता' ऐसे बनेगा, और बढेगा भी! (In this way, a 'strong way' of earning will be formed, and will increase too)
कमाई के पॉइंट पर सभी का बहुत ध्यान रहता है, होना भी चाहिए, किंतु इस लेख में भी 5 पॉइंट के बाद मैंने कमाई का पॉइंट लिखा है।
पिछले दिनों एक मान्यवर का मेरे पास फोन आया।
उन्होंने मुझसे कहा कि मिथिलेश जी, आप न्यूज पोर्टल बनाने और चलाने के क्षेत्र में एक लंबे समय से कार्य करते रहे हैं। आप बताइए कि मैं एक News Portal बनाकर कैसे कमाई कर सकता हूं, कितना कमा सकता हूं?
आमतौर पर ऐसे प्रश्नों में कोई गलती नहीं है, और इनका मैं धैर्य के साथ उत्तर भी देता हूं, किन्तु मुश्किल यह है कि इसका सही जवाब ऊपर बताये गए 5 पॉइंट्स के बाद ही आता है। और 5 पॉइंट तक सुनने और उसकी गहराई समझने का धैर्य कई पुराने पत्रकारों में भी नहीं होता है, नए वालों को तो छोड़ ही दीजिये।
ऐसे में सामने वाले से संक्षिप्त में मैं यही पूछता हूं कि 'कमाई के बारे में जानने से पहले आप मेरे एक सवाल का उत्तर दीजिए कि, 'आप अपने News Portal अथवा Youtube Channel से वास्तव में पाठक की जिंदगी में क्या बदलाव लाने वाले हैं?'
कमाई से पहले हर पत्रकार को, Content Creator को खुद से यह प्रश्न पूछना आवश्यक है कि आप Audience को देने क्या वाले हैं?
अगर आप सड़ा गला कंटेंट ही दे रहे हैं, अगर आप ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम पर वही रिपीटेड कंटेंट दे रहे हैं, अगर आप तेज गति से कुछ देने के नाम पर नुकसानदायक और प्रोपोगंडा फ़ैलाने वाली जानकारी ही परोस रहे हैं, तो यकीन मानिए आप Digital Media में मजबूत कमाई करने के हकदार नहीं हैं।
आपको सोचना ही होगा कि क्या...
- आपका कंटेंट पढ़ने से आपके पाठक को संतुष्टि मिलती है?
- संतुष्टि के साथ क्या उसको कुछ नॉलेज भी मिलती है?
- नॉलेज के साथ क्या उसको कुछ दिशा भी मिलती है?
अगर इन सब चीजों का जवाब हाँ है, तो यकीनन आप मजबूत कमाई के रास्ते पर हैं।
बहुत सारे लोग गूगल ऐडसेंस की कमाई को महत्वपूर्ण मान बैठते हैं, किंतु यकीन मानिये यह बहुत छोटा हिस्सा है, मतलब कि इसे आप एक या दो प्रतिशत कंसीडर कर सकते हैं, क्योंकि कमाई का बड़ा हिस्सा स्पॉन्सरशिप से आता है।
मगर यह तब होता है, जब आपका ऑडियंस आपसे मजबूती से जुड़ा, खासकर किसी स्पेशल फील्ड में!
जब आप किसी Subject Specialization पर पत्रकारिता करते हैं, Content Creation करते हैं, तो उस क्षेत्र में कार्यरत कंपनियां आपको स्पॉन्सरशिप ऑफर करती हैं। यह आप कई Youtube Channels पर देखते भी होंगे।
अंकुर वारिकू का एक वीडियो है, जिसे आपको देखना चाहिए। पहले आप यह लेख पूरा पढ़ लें, फिर इसके आखिर में इस वीडियो का लिंक दूंगा, उसे देख लीजियेगा, फिर आपको इसकी अहमियत समझ आएगी।
इसके अलावा अगर आपने अपने पाठक वर्ग में विश्वसनीयता बनाई है, तो आप लोगों को जुटाकर अवार्ड शो कर सकते हैं। इसके जरिए समाज में आप बदलाव लाने का प्रयत्न कर सकते हैं, और स्पॉन्सरशिप के जरिए आपको एक आमदनी का रास्ता भी मिलता है।
न केवल बड़े स्तर पर, बल्कि Local News Portal बनाकर और Editorial Content Standard मेंटेन करके, आप लोकल लेवल पर भी Award Shows आयोजित कर सकते हैं।
इतना ही नहीं अगर आपका डिजिटल पोर्टल शानदार कंटेंट देता है, तो उस कंटेंट के साथ आप कंपनियों की प्रोडक्ट सर्विसेज को बेच भी सकते हैं, और उसमें आप अपना कुछ कमीशन सेट कर सकते हैं। इस एफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing) के जरिये आप बढ़िया कमाई कर सकते हैं। Amazon, Flipkart जैसी कम्पनियां बढ़िया कमीशन देती हैं। पर यह आप तब भुना पाते हैं, जब आप फोकस होते हैं, अन्यथा पूरी दुनिया आपको सामान्य ही लगती है।
न केवल अमेजन या फ्लिप्कार्ट, बल्कि Local Affiliation भी आपको काफी फायदा दे सकता है।
जैसे कि आप अगर अपने पोर्टल पर इंश्योरेंस के ऊपर, या फाइनेंस के ऊपर कोई कंटेंट लिख रहे हैं, और नीचे आपने किसी परिचित एलआईसी एजेंट का नंबर दे दिया।
अब जाहिर तौर पर अगर आपके कंटेंट में दम है, तो लोग पढ़ेंगे, प्रभावित होंगे तो किसी फाइनेंस प्रोडक्ट के लिए फोन भी कर सकते हैं, या किसी आपके एफिलिएट लिंक पर क्लिक करके वहां से खरीददारी भी कर सकते हैं।
इस तरीके से आपकी कमाई शुरू हो जाती है। शुरुआत में आपको यह थोड़ा हल्का लगता है, लेकिन बूंद बूंद से ही तालाब भरता है, और बड़ी कमाई 1 दिन में नहीं होती है। सावधान हो जाइए, अगर आपको कोई रातों-रात पैसा कमाने का रास्ता दिखा रहा है!
7. मजबूत होती जाएगी नेटवर्किंग (networking will be stronger, day-by-day)
किसी पत्रकार का यह सबसे मजबूत पक्ष है।
आज बहुत सारे पत्रकार आपको राज्य सभा के मेंबर दिख जायेंगे, बहुत सारे प्रमुख पॉलिटिकल पार्टियों में उच्च पदों पर हैं।
आखिर यह उनकी नेटवर्किंग ही तो है!
लेकिन यह तब है, जब आप अपना कद धीरे-धीरे बढ़ाते जाएंगे। आज की डिजिटल दुनिया में, यह चापलूसी भर कर देने से तो नहीं ही होगा। आपको सोचना पड़ेगा कि क्या वास्तव में आप किसी की ज़िन्दगी में, किसी कि सफलता में कुछ Value Addition कर रहे हैं क्या?
वह भी ठीक रास्ते से....
यकीनन आपको उसके बदले में फेवर मिलता ही है। यह दुनिया 'एक हाथ से दो, दूसरे से लो' के सिद्धांत पर ही चलती है। ऐसे में आपका News Portal अपने नेटवर्क के लोगों को किस प्रकार से नैतिक ढंग से लाभ प्रदान कर सकता है, इस पर काफी कुछ निर्भर करता है।
जितना आपका नेटवर्क मजबूत बनता है, बड़े लक्ष्यों के आप उतने ही करीब बढ़ते जाते हैं। इस बात को यहां पर खोल कर बताना जरा मुश्किल है, और ना ही यह किसी कॉलेज में पढ़ाई जाती है, किंतु जब भी आप नेटवर्क बनाएं, छोटे लालच में कतई ना पड़ें।
याद रखियेगा, छोटा लालच आपके बड़े लाभ, बड़े प्रभाव को क्षीण कर देगा, आप की विश्वसनीयता को कम कर देगा।
बहुत सारी चीजें हैं, किन्तु लम्बे खेल के लिए आपको नैतिकता का मानदंड रखना पड़ेगा। न केवल अपने Editorial Content और उसकी Consistency में, बल्कि अपने दैनिक व्यवहार में भी!
फिर धीरे-धीरे आपका प्रभाव बनता चला जाएगा, इस बात में तनिक भी दो राय नहीं है।
तो देखा आपने एक सम्पादकीय की कीमत एक पत्रकार के लिए क्या हो सकती है!
निश्चित रूप से यह बात समझने की जरूरत है, कि डिजिटल क्रांति के दौर में एक पत्रकार, एक लेखक, एक Content Creator आसानी से सरवाइव कर सकता है, प्रगति कर सकता है।
बस थोड़े धैर्य के साथ वह Editorial Content की शुरुआत करे, और निरंतरता के साथ ऑडियंस को खुद से कनेक्ट रखे।
एक Sample Editorial Article हमसे लिखवाने हेतु अभी Whatsapp करें, अथवा 9990089080 पर मिथिलेश को कॉल करें।
लेखक: मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली
Published on 6 April 2023
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