ए औरत कब तक छली जाएगी तू - Hindi Poem on Women

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ए औरत कब तक छली जाएगी तू - Hindi Poem on Women





लेखक: डाॅ0 कामिनी वर्मा
Published on 22 Feb 2023

ए औरत ,कब तक छली जाएगी तू। कभी राधा बनकर, कभी सीता बनकर।
कभी प्रेयसी, तो कभी पत्नी बनकर।
 कब तक बनी रहेगी पाषाणी  ।

सती है तू, सावित्री है तू।
अहंकारी पुरुष, कब तक खेलेगा तेरे जज्बातों से ।
बुद्ध बन कर, छोड़ गया सोता हुआ। योगी  कहलाया।
 राम बन , वन भेज दिया रोता हुआ, पुरुषोत्तम कहलाया।
 दुष्यंत बनकर छल गया, लक्ष्मण भी अकेला छोड़ गया।

 क्या यही तेरी नियत, सब छले तुझे, तू मौन रह।
 आखिर कब तक, बनी रहेगी संस्कारों की मूरत।
 आखिर कब तक, बंधी रहेगी जज्बातों से ।
तोड़ अपना मौन जज्बातों की बेड़ी।
 छोड़ उनको क्रूर  बन, जो छलता रहा सदियों से तुझे।

 दिखा उसको आईना, सबला है तू। 
 रच सकती है, नए आयाम समाज में।
 तू चलाती रेल, अंतरिक्ष में है तू।
 तू हिमालय पर चढ़ी नारी बनकर। नारी है तू।
 मां, बहन, पत्नी, प्रेयसी इनसे भी अलग अस्तित्व तेरा ।
क्यों छले कोई तुझे इन नामों से।














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