आखिर आदमखोर 'हिडिम्ब' की बहन से भीम ने क्यों की शादी? - Hidimb, Hidimba and Warrior Bhim Story in Hindi

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आखिर आदमखोर 'हिडिम्ब' की बहन से भीम ने क्यों की शादी? - Hidimb, Hidimba and Warrior Bhim Story in Hindi


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Published on 29 Jan 2023

दुर्योधन पांडवों के समूल विनाश को आतुर हो गया था और वह किसी भी कीमत पर उन्हें मृत देखना चाहता था. साथ पले-बढ़े ये राजकुमार अपने ही चचेरे भाइयों के प्राण-प्यासे बन बैठे थे. मामा शकुनि के बहकावे में आकर दुर्योधन अधर्म के मार्ग पर चलकर भी हस्तिनापुर की सत्ता का एकमेव अधिकारी बना रहना चाहता था.

यही कारण रहा कि षड्यंत्र के तहत पांडवों को सुरम्य वार्णावर्त नगर में महादेव का मेला देखने भेज दिया गया. दुर्योधन वहां षड्यंत्र का जाल बिछा चुका था और पांडवों के रहने के लिए लाख आदि ज्वलनशील चीजों से भवन का निर्माण कराया था. हालांकि महात्मा विदुर को इस षड्यंत्र की भनक लग गई थी और पांडवों को भी उन्होंने सतर्क रहने को कह दिया था.

मौका देखकर दुर्योधन के मंत्री पुरोचन ने महल को आग के हवाले कर दिया. सारा महल धू-धू कर जल उठा. पांडव विदुर द्वारा बनवाए गुप्त सुरंग के माध्यम से बच निकलने में कामयाब रहे. दुर्योधन खुशफहमी में जीने लगा कि पांडव मर चुके हैं. उसने इस खबर को प्रजाजनों में भी पहुंचाने का काम किया.

भीम पर आसक्त हो गई हिडिम्बा

लाक्षागृह से निकलने के बाद माता कुंती सहित पांडवों को वन में शरण लेनी पड़ी. घनघोर वन में चलते हुए पांडव बेहद थक चुके थे. वे सभी प्यास से व्याकुल भटक रहे थे. ऐसे में भीम ने जलाशय खोज निकाला और सबकी प्यास बुझाई. वे लोग एक विशाल वटवृक्ष की छांव में आराम करने लगे. थकान के कारण सबको नींद आ गई जबकि भीम पहरा देने बैठ गए.


वन बेहद सघन और भयावह लग रहा था. उस वन में हिडिम्ब नामक राक्षस का वास था जो आदमखोर था. उसे मानव देह की गंध मिल चुकी थी और उसने शिकार के लिए अपनी बहन हिडिम्बा को भेज दिया.

अपने भाई की आज्ञा से हिडिम्बा वन में जहां-तहां घूमने लगी. उसने देखा कि वटवृक्ष के नीचे एक सुगठित बलशाली मानव कुमार बैठा है और उसके परिजन सो रहे हैं तो हिडिम्बा का हृदय पसीज गया. उसे उन पर दया आ गई, वहीं भीमसेन को देखकर वह आसक्त हो गई.

वह भीम को बहुत देर तक एकटक देखती रही. उसने अपनी माया से सुंदरी का रूप धारण किया और भीम के पास पहुंच गई. भीम रात्रि पहर सघन वन में इस सुंदरी को देखकर चकित रह गए. उन्होंने उस सुंदरी से वन में भटकने का कारण पूछा. हिडिम्बा ने उन्हें सारी सच्चाई बता दी.

भीमसेन पर मोहित हिडिम्बा ने उन्हें प्रेम प्रस्ताव भी दे डाला और हिडिम्ब के चंगुल से छुड़ाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की आश्वस्ति भी दी. उसने भीम को पति रूप में प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की. भीम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था. वो संकट की आशंका से सतर्क हो चुके थे. वहीं हिडिम्बा उनसे प्रेम अनुनय करती रहीं.
इधर उसका भाई हिडिम्ब विलम्ब होता देख चिंतित हो उठा. अपनी बहन की सुध लेने वह वन में घूमने लगा. मानव गंध सुंघते हुए वह उस वटवृक्ष के पास पहुंचा जहां हिडिम्बा भीम से प्रेमालाप कर रही थी.
इस दृश्य को देखकर हिडिम्ब के क्रोध का ठिकाना नहीं रहा. उसने हिडिम्बा को मारने के लिए उसकी ओर झपटा लेकिन भीमसेन ने उसे रोक दिया.

राक्षस हिडिम्ब से किया मल्ल युद्ध

भीम ने हिडिम्ब के साथ भीषण मल्ल युद्ध किया. कई बार हिडिम्बा को लगा कि भीमसेन की जान आफत में है लेकिन भीम ने राक्षस को धुल चटाने में कोई कसर न छोड़ी. इस भीषण संघर्ष से माता कुंती सहित पांडवों की नींद खुल गई. भीम को राक्षस के साथ लड़ते देखकर सब भयभीत हो उठे.

अर्जुन ने भीम की रक्षा के लिए आगे बढ़ने की कोशिश की तो भीम ने उन्हें मना करते हुए कहा कि ये मेरा शिकार है. इसे मैं ही परलोक पहुंचाऊंगा. ऐसा कहते हुए भीम ने हिडिम्ब को हवा में नचाते हुए भूमि पर पटक दिया.

उसके बाद हिडिम्ब में उठने की हिम्मत नहीं रही और वह मृत्यु को प्राप्त हो गया.

राक्षस हिडिम्ब की मृत्यु के पश्चात् पांडव वहां से प्रस्थान करने लगे तो हिडिम्बा माता कुंती के चरणों में गिर पड़ी. उसने माता कुंती से भीम को पति रूप में स्वीकार करने की बात की और सारा दृष्टांत कह सुनाया.

उसने ये भी कहा कि अगर उसे स्वीकार नही किया गया तो वे अपने प्राण का त्याग कर देंगी. हिडिम्बा को बिलखता देख युद्धिष्ठिर से रहा नहीं गया. उन्होंने भीम को हिडिम्बा के अनुनय को स्वीकारने का आदेश दिया.
चूंकि हिडिम्बा राक्षसी थी इसलिए युद्धिष्ठिर ने हिदायत दी कि वे पवित्रता बनाकर रखेंगी और भीम केवल दिन के समय ही उनके साथ रहेंगे. रात के समय वे पांडवों के साथ रहेंगे.



इस तरह हिडिम्बा भीम के साथ गंधर्व विवाह कर वन में आनंदपूर्वक रहने लगी.

एक वर्ष बाद ‘घटोत्कच’ का हुआ जन्म

गौरतलब है कि पांडव उस वन प्रांत में लगभग एक वर्ष तक रहे. इसी दौरान हिडिम्बा के गर्भ से महाबलशाली बालक का जन्म होता है. इस बालक के सर पर एक भी बाल नहीं थे इसलिए इसे घटोत्कच नाम दिया गया. कहा जाता है कि जन्म लेते ही घटोत्कच बड़ा हो गया था. वह बहुत ही विशाल और शक्ति से संपन्न था.

जानकारी हो कि भीम की शादी व पुत्रप्राप्ति पांडवों में सबसे पहले हुई थी. घटोत्कच ने अपने लिए दादी कुंती से सेवा हेतु आज्ञा मांगी. कुंती ने प्रमुदित होते हुए कहा कि तुम कुल में सबसे बड़े और विशेष हो. समय आने पर तुम्हें अवश्य ही सेवा का मौक़ा मिलेगा. इसके बाद पांडव आगे की यात्रा पर निकल पड़े.

महाभारत युद्ध के समय घटोत्कच ने कौरवों की सेना में कोहराम मचा दिया था.
भीम से शादी के बाद हिडिम्बा राक्षसी से मानवी हो गई. दिलचस्प बात है कि कालांतर में इन्हें देवी रूप में पूजा जाने लगा. महाबली भीम की पत्नी हिडिम्बा कुल्लु राजवंश की कुलदेवी हैं.

हिडिम्बा देवी का ऐतिहासिक मन्दिर हिमाचल प्रदेश के मनाली से मात्र एक किलोमीटर दूर डूंगरी नामक स्थान पर स्थित है। यहां भीम के पुत्र घटोत्कच का भी मंदिर स्थापित है. जेठ के महीने में यहां मेला लगता है.

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