- बच्चों तक के मन मस्तिष्क में कोरोना का कितना असर पड़ा है, यह समझना मुश्किल नहीं
- मॉक ड्रिल इसमें एक बड़ा रोल प्ले करेगी, किंतु चैलेंज वही है कि क्या लोग लापरवाही से सावधान होंगे?
वर्तमान पीढ़ी के समस्त जीवन की संभवत सबसे बड़ी समस्या रही है कोरोना! कोरोना ने बुजुर्गों से लेकर युवाओं और बच्चों तक के जीवन को गहराई तक प्रभावित किया है। इसी सन्दर्भ में सातवीं कक्षा में पढ़ने वाला मेरा बेटा कुछ दिन पहले मुझसे कह रहा था कि, सातवी तो अब निकल गई है, आठवीं में कोरोना की वजह लॉक डाउन हो जाएगा तो पढ़ना नहीं पड़ेगा, फिर नवमी में थोड़ी पढ़ाई करनी पड़ेगी।
कहने को या छोटी बात हो सकती है, किंतु बच्चों तक के मन मस्तिष्क में इसका कितना असर पड़ा है, यह समझना मुश्किल नहीं है। हाल फिलहाल चीन से कोरोना को लेकर जिस प्रकार की खबरें आ रही हैं, वह लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी हैं।
बहुत छुपाने के बाद भी चीन से जो खबरें छन -छन का आ रही है उसमें पता चल रहा है, कि शमशान घाट में वेटिंग तक की नौबत आ गई है, अस्पतालों में जगह नहीं है और लोग दवाइयों तक के लिए तरस रहे हैं।
केवल चीन ही क्यों? अमेरिका और जापान तक में कोरोना का आंकड़ा बढ़ रहा है,
और जाहिर तौर पर इससे हर एक देश को चिंतित होना चाहिए।
भारत को लेकर बात करें तो स्वास्थ्य मंत्रालय पहले से सजग है और अब एक्सपर्ट्स अगले डेढ़ 2 महीने में चौथी लहर आने की बात कर रहे हैं, अर्थात आने वाले तीन चार महीने कोरोना की सुरक्षा के संदर्भ में बेहद गंभीर होने वाले हैं।
यही कारण है कि चीन जापान हांगकांग दक्षिण कोरिया थाईलैंड और सिंगापुर से आने वाले यात्रियों के लिए कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है।
इन सबके बावजूद चौथी लहर को लेकर लोगों की लापरवाही कहीं बुरे दिन ना ला दे! जैसा की ट्रेंड रहा है कि, बाकी देशों में संक्रमण बढ़ने के बाद भारत में भी संक्रमण बढ़ता है और अचानक तेज गति से बे लगाम भी हो जाता है। याद कीजिए 2020 के शुरुआती महीनों को लोगों ने काफी लापरवाही का परिचय दिया था, खासकर दूसरी लहर से पहले और बहुत सारे लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए, बहुत सारे घरों के चिराग बुझ गए।
ऐसे में सवाल यह है कि आज भी हम लापरवाही क्यों कर रहे हैं? क्यों हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं? क्यों हम मास्क नहीं पहनते हैं? क्यों हम भीड़भाड़ वाली जगहों से नहीं बचते हैं? अगर हम इन चीजों का ध्यान रखें तो कोई कारण नहीं है कि चौथी लहर का मुकाबला हम आसानी से कर लेंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय मॉक ड्रिल पर जोर दे रहा है और न केवल बड़े मेट्रो सिटीज में बल्कि छोटे छोटे जिलों में भी जिलाधिकारी के नेतृत्व में मॉक ड्रिल हो रही है, जिसमें हॉस्पिटल्स में गैस सिलेंडर से लेकर दवाइयां और एंबुलेंस तक की जांच हो रही है।
यह इसलिए है कि इमरजेंसी में लोगों का इलाज किया जा सके। ऐसा करना ठीक भी है और मॉक ड्रिल इसमें एक बड़ा रोल प्ले करेगी, किंतु चैलेंज वही है कि क्या लोग लापरवाही से सावधान होंगे? क्या लोगों द्वारा पहली दूसरी और तीसरी लहर का प्रकोप भुला दिया गया है?
इन सभी बातों का मूल है, कि मत भूलिए और अलर्ट रहिए। अगर हम मास्क और सैनिटाइजर का ही प्रयोग कुछ समय के लिए कंटिन्यू कर दें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, तो बहुत हद तक हम कोरोना से खुद को सुरक्षित रख सकेंगे।
आपको क्या लगता है?
कमेंट बॉक्स में बताइए की चौथी लहर का प्रकोप को कम करने के लिए हम कैसे काम कर सकते हैं।
Web Title: The fear of the fourth wave of Corona Premium Unique Content Writing on Article Pedia
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