विशेष लेख: अभिभावक की अतिव्यस्तता 'बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य' के लिए घातक

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विशेष लेख: अभिभावक की अतिव्यस्तता 'बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य' के लिए घातक

  • विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर के अवसर पर विशेष लेख
  • कोरोना महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में बहुत अधिक बढ़ोतरी देखी जा रही है

लेखक: डॉ मनोज कुमार तिवारी
Published on 9 Oct 2022 (Update: 9 Oct 2022, 15:09 IST)


विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार उच्च आर्थिक क्षमता वाले देशों में मानसिक रोग का उपचार 70% रोगियों को प्राप्त होता है जबकि गरीब देशों में केवल 12% मानसिक रोगियों को ही औपचारिक रूप से उपचार प्राप्त हो पाता है, उच्च आय वाले देशों में अवसाद से पीड़ित केवल 33% व्यक्ति को ही उपचार प्राप्त होता है जो कि गरीब देशों की अपेक्षा 7 गुना अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस अदनोम घेब्येयियस ने एक संबोधन में कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी मानसिक स्वास्थ्य समस्या आती ही है। 

द लैंसेट (2020) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में वैश्विक स्तर पर 25% जबकि भारत में 35% की वृद्धि हुई है। हाल के एक सर्वे के अनुसार कर्मचारियों के खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण बार-बार छुट्टी लेने, कम उत्पादकता और नौकरी छोड़ने से भारतीय कंपनियों के नियोक्ताओं पर सालाना लगभग 14 अरब डालर का बोझ आ रहा है। आज भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बीमा पॉलिसियों में बेहतर कवर नहीं मिल पाता है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर पूरा विश्व चिंतित है इसीलिए प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसमें लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन के उपाय से अवगत कराया जाता है। कोरोना महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में बहुत अधिक बढ़ोतरी देखी जा रही है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के इस वर्ष का नारा है सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ोतरी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी 194 सदस्यों ने व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना को अपनाया है किंतु इसकी प्रकृति काफी धीमी है, 17 जून 2022 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को हल करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने का आह्वान किया है। 


व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना की गति को तेज करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने परिवर्तन के तीन रास्ते: मानसिक स्वास्थ्य में अधिक निवेश, घरों, समुदायों, स्कूलों, कार्यस्थलों व स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के वातावरण को फिर से आकार देना और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों में परिवर्तन लाकर मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल की गुणवत्ता को मजबूत करने का उपाय शामिल है।

मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण:-
# प्रसन्नचित रहता है 
# सकारात्मक सोच 
# अपनी योग्यता व क्षमता से अवगत 
# भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त करता है 
# जीवन में आने वाली समस्याओं का सही ढंग से समाधान ढूंढता है 
# वर्तमान पर अधिक केंद्रित रहता है
# वास्तविकता को ध्यान में रखकर लक्ष्य चुनता है 
# जीवन के प्रति आशावान 
# आत्म गौरव का भाव 
# व्यवस्थित विचारधारा 
# अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान
# नई व विषम स्थितियों में समायोजन की क्षमता 
# अपने उत्तरदायित्व, आराम व मनोरंजन के बीच संतुलन
# स्व मूल्यांकन 
# असफलता को स्वीकार कर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति 
# नियमित दिनचर्या 
# लैंगिक क्रियाओं के प्रति सामान्य रवैया
# सुरक्षित होने का भाव 
# वास्तविक प्रत्यक्षण

मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के लक्षण:-
# नींद में गड़बड़ी 
# भूख में गड़बड़ी 
# सामाजिक अंत:क्रिया में कमी
# अपने को अयोग्य समझना
# अत्यधिक निराशा 
# अकारण शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं
# उदासी
# अकेलापन 
# अत्यधिक भय
# भ्रम की स्थिति 
# ध्यान केंद्रण की समस्या
# मनोरंजक कार्यों में भी अरुचि
# आत्महत्या के विचार 
# उर्जाहीन महसूस करना 
# रोजमर्रा के कार्यों को कठिन समझना
# नशे का सेवन 
# दवाओं का दुरुपयोग 
# निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करना

मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक:- 
# आनुवांशिकता 
# गर्भावस्था व जन्म के बाद की विषम स्थितियां 
# मस्तिष्क में रसायनिक असंतुलन
# मनोवैज्ञानिक कारण 
# पारिवारिक विवाद 
# मानसिक आघात 
# विषम सामाजिक स्थितियां 
# दर्दनाक जीवन अनुभव
# प्रेम में धोखा 
# विवाह विच्छेद 
# यौन शोषण 
# लिंग भेदभाव 
# कार्यस्थल का तनाव
# बेरोजगारी

मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन के उपाय:-
# आवेगों पर नियंत्रण रखने का अभ्यास करना 
# स्थितियों का दृढ़ता पूर्वक सामना करना 
# अपनी क्षमता पर विश्वास रखना
# दूसरों के उचित विचारों का आदर करना 
# जीवन के प्रति वास्तविकतापूर्ण दृष्टिकोण अपनाना 
# कार्य पर ध्यान केंद्रित करना
# शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सावधानी रखना 
# अपनी क्षमता से अधिक उत्तरदायित्व स्वीकार न करें
# पर्याप्त आराम करना 
# स्वस्थ मनोरंजन करना
# परिवार और मित्रों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करना
# नियमित दिनचर्या 
# अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन योजनाएं बनाना एवं उनका पालन करना
उपचार:- मनोवैज्ञानिक परामर्श, मनोचिकित्सा, जीवन शैली में परिवर्तन, दवाओं द्वारा उपचार


लेखक:
डॉ मनोज कुमार तिवारी 
वरिष्ठ परामर्शदाता 
ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल आईएमएस,बीएचयू, वाराणसी








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