- तमाम बड़े शहरों में, इस तरह की योजनाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि लोग-बाग हेल्दी रहें. शारीरिक रूप से भी, मानसिक रूप से भी!
- प्रदूषण के लिए दिल्ली बदनाम रही है, ऐसे में इस इनिशिएटिव से बदलाव आएगा ही
- प्राइवेट- पब्लिक पार्टनरशिप से यह योजना और भी आगे बढ़ सकती है
लेखक: मिथिलेश कुमार सिंह, नई दिल्ली
Published on 7 July 2022 (Update: 7 July 2022, 16:11 IST)
कहना आवश्यक नहीं है कि दिल्ली सरकार की कई योजनाएं क्रांतिकारी रही हैं, और संभवतः यही कारण है कि जब से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीति में एंट्री ली है, दूसरे दलों का राजनीतिक स्पेस सिकुड़ सा गया है. खैर, यह एक अलग बात है, किंतु उनकी सरकार की शिक्षा-योजना की तारीफ कई मंचों पर हुई है. बिजली- पानी मुफ्त देने की योजना से भी दिल्ली वासी काफी खुश हैं, हालांकि उनकी इस योजना में किंतु-परंतु निकालने वाले बहुत लोग हैं, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि इस योजना की भी चर्चा भारत के कई राज्यों में होती रहती है, खासकर जब चुनाव होने वाले हों!
यूं तो दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, बड़े राज्यों के मुकाबले छोटा प्रदेश है, लेकिन भारत की राजधानी होने के कारण यह बेहद महत्वपूर्ण प्रदेश भी माना जाता है. भारत की राजधानी होने के कारण दिल्ली न केवल भारत में, बल्कि समस्त अंतरराष्ट्रीय जगत की खबरों में भी छाया ही रहता है. आपको याद होगा, जब दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा आए हुए थे, और उसके बाद डोनाल्ड ट्रंप आए, तो दिल्ली के प्रदूषण की चर्चा काफी हुई थी. यूं भी प्रदूषण के लिए दिल्ली बदनाम रही है.
इस सन्दर्भ में हालांकि बहुत सारे रूल्स- रेगुलेशन लागू हुए हैं, लेकिन इस कड़ी में दिल्ली सरकार की स्मार्ट अर्बन फार्मिंग योजना, एक माइल स्टोन साबित हो सकती है.
Arvind Kejriwal, CM Delhi Launches Smart Urban Farming |
पर्यावरण की दृष्टि से जरा सोचिए! अगर दिल्ली में जितने घर हैं, जितने मकान हैं, उन मकान की छतों पर अगर लोग ऑर्गेनिक सब्जियां उगाएं, तो उनको जो सब्जी मिलेगी, वह तो मिलेगी ही... साथ में इस ग्रीनरी से दिल्ली के प्रदूषण पर कितना सकारात्मक असर पड़ सकता है, इस बात की सहज ही कल्पना की जा सकती है. और अगर लोग अपनी बालकनी में भी सब्जियां उगा लें, तो दिल्ली में कहीं बाहर से सब्जी लाने की शायद जरूरत ही ना पड़े, और जरूरत भी पड़े तो बेहद कम.
इस बात में शायद ही किसी को शक की गुंजाइश हो कि अगर दिल्ली सरकार की यह योजना घर-घर तक पहुंचती है, जिसके पहुंचने की संभावना भी है, तो पर्यावरण में यह बहुत सकारात्मक असर छोड़ेगी.
न केवल पर्यावरण की दृष्टि से, बल्कि व्यक्तिगत दृष्टि से भी आप बाहर की सब्जियां खाते हैं, तो आप यह जान लें कि उसमें खतरनाक कीटनाशकों- रसायनों का छिड़काव होता है. आपको पता होना चाहिए कि उन रसायनों से सब्जियों के नेचुरल प्रोसेस को डिस्टर्ब किया जाता है. अर्थात जो सब्जी 20 दिन में तैयार होती है, उसे 2 दिन में तैयार करने के लिए खतरनाक इंजेक्शन तक लगाए जाते हैं.
पौधों पर जो नेचुरल कीड़े आते हैं, उन पर इतने खतरनाक रसायनों का छिड़काव होता है कि कीड़े तो मर ही जाते हैं, साथ में उस पौधे के हर फल और फूल में वह रसायन चिपक जाता है, और जाने-अनजाने उसी का हम सेवन भी करते हैं.
यह अंततः कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बनता है. इस पर बहुत आवाजें उठी हैं, किंतु सकारात्मक कदम कोई भी नहीं उठा है. अब जाकर स्मार्ट अर्बन फार्मिंग (Smart Urban Farming) के माध्यम से यह सकारात्मक कदम दिल्ली सरकार द्वारा उठाया गया है. उम्मीद है कि इस कदम को जनभागीदारी मिलेगी, क्योंकि दिल्ली गवर्नमेंट अपनी कई योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए स्ट्रांग प्लान भी बनाती रही है. इस कड़ी में इस योजना द्वारा पहले साल में 25000 परिवारों को फायदा पहुंचाने का व्यावहारिक लक्ष्य रखा गया है.
इसके लिए पूरी दिल्ली में 400 वर्कशॉप के साथ-साथ 600 उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम, अर्थात बिजनेस किस प्रकार किए जाए, इस हेतु कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. अगर इसमें जनभागीदारी होती है, तो लोग इसमें निश्चित तौर पर उत्साहित होंगे. ऐसे में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है.
वेज रूफ जैसी कंपनियां पहले से ही पीवीसी पाइप में सब्जी (Vegetables in PVC Pipes) उगाने को लेकर भिन्न प्रयोग कर रही हैं. ऐसे में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप से यह योजना और भी आगे बढ़ सकती है. इसमें यह देखना दिलचस्प होगा कि कम जगह में, ज्यादा पौधे किस प्रकार उगाए जायें, वह भी उपयोगी पौधे, अर्थात सब्जियों जैसी ज़रुरत अगर पूरी होती है, तो वेज रूफ (Veg Roof) जैसी कम्पनियां इस मिशन को आगे बढाने में उपयोगी साबित हो सकती हैं. इसके लिए और भी कई क्रांतिकारी इनोवेशन होने चाहिए, और सरकार द्वारा प्रोत्साहित करने पर यह होगा भी!
सही बात तो यह है कि वास्तव में अगर इस क्षेत्र में प्रयोग किया जाए, तो यह कोई मुश्किल कार्य नहीं है.
इसके फायदे अपार हैं. आप ध्यान दीजिये आज किसी भी परिवार में मोबाइल स्क्रोलिंग करने, और करते रहने की जो घातक प्रवृति उत्पन्न हुई है, उससे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है. आप कोई भी रिसर्च उठाकर देख लीजिए, उस रिसर्च में आपको यह जानकारी मिल जाएगी कि मोबाइल हमारे लिए वास्तव में कितना घातक है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अपनी बालकनी में, अपने छत पर गार्डनिंग में नित्य कुछ समय के लिए बिजी रहता है, खासकर शहरों में, तो आप सोच कर देखिए कि उसके मानसिक स्वास्थ्य पर कितना सकारात्मक असर पड़ेगा.
इतना ही नहीं, घर के बच्चे भी, जो बड़ों को देखकर मोबाइल से चिपके रहते हैं, वह भी पौधों को पानी देना सीखेंगे, पौधों की पहचान करना सीखेंगे, और कहीं ना कहीं संवेदनशील ही बनेंगे.
आज जो समाज में हिंसा फैल रही है, आज जो समाज में प्रदूषण फैल रहा है, आज जो समाज में खाने में जहर फैल रहा है, क्या वास्तव में इसका इलाज यह नहीं है कि सब लोग, अपने यहां सब्जियां उगाएं? यकीनन यह कई मायनों में फायदेमंद है.
दिल्ली गवर्नमेंट अगर इस तरह का इनीशिएटिव ले रही है कि लोगों को वह ट्रेनिंग दे, वर्कशॉप के माध्यम से लोगों को आगे बढ़ाएं, ऑर्गेनिक फार्मिंग के माध्यम से लोगों को कहीं न कहीं रोजगार प्रोवाइड करे, तो यह इनीशिएटिव वास्तव में बेहद सार्थक सिद्ध होगा, और जमीन पर भी निश्चित ही पहुंचेगा. इसकी लगातार निगरानी किये जाने की भी उतनी ही आवश्यकता है.
केजरीवाल सरकार को इस इनिशिएटिव के लिए कोटिशः बधाई दी जानी चाहिए.
और केवल दिल्ली ही क्यों, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता और ऐसे तमाम बड़े शहरों में, इस तरह की योजनाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि लोग-बाग हेल्दी रहें. शारीरिक रूप से भी, मानसिक रूप से भी! बच्चों के अंदर भी जो आक्रामकता आ रही है, इस कार्य्रक्रम द्वारा संवेदनशीलता उत्पन्न होगी. अगर बच्चा पौधा लगाएगा, तो पौधा जैसे-जैसे बड़ा होगा, संवेदनशीलता निश्चय ही उत्पन्न होगी. इस तरह के तमाम पहलुओं पर विचार करेंगे, तो आपको दिल्ली सरकार की यह योजना, हर दृष्टिकोण से प्रशंसनीय लगेगी.
आप क्या सोचते हैं, कमेंट में बताइए.
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1 Comments
Congratulations Delhi it's a great idea
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