हम सभी के घर की किचन में कई तरह के बर्तन मौजूद होते हैं जिसमें स्टील, कांच, चीनी-मिट्टी, पीतल, एल्युमीनियम के बर्तन शामिल हैं, लेकिन सबसे ज्यादा स्टील के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है। खाने की थाली से लेकर छोटी सी चम्मच भी स्टील की होती है। स्टेनलेस स्टील बर्तन को अच्छा इसलिए माना जाता है, क्योंकि इनको नॉन टोक्सिक मैटेरियल से बनाया जाता है, जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक नहीं है।
स्टील लोहे से बना एक मिश्र धातु है, जिसमें आमतौर पर कार्बन के कुछ दसवें हिस्से में लोहे के अन्य रूपों की तुलना में इसकी ताकत और फ्रैक्चर प्रतिरोध में सुधार होता है।
स्टेनलेस स्टील एक जंग-और ऑक्सीकरण-प्रतिरोधी हैं, क्योंकि इसमें 15-20% क्रोमियम, 8-10% निकेल तथा साधारण स्टील होता है। इसकी उच्च तन्यता ताकत और कम लागत के कारण, स्टील का उपयोग इमारतों, बुनियादी ढांचे, उपकरण, जहाजों, ट्रेनों, कारों, मशीनों, बिजली के उपकरणों और हथियारों में किया जाता है।
लेकिन सबसे ज्यादा इसका प्रयोग बर्तन बनाने के लिए किया जाता है, जिसे हम रोजाना प्रयोग में लाते हैं। लोहा स्टील का आधार धातु है, इसीलिए स्टील के बर्तन पर तेज व कम तापमान और टूट फूट का असर कम होता है। स्टील में मौजूद क्रोमियम हवा में मौजूद ऑक्सीजन की मद्दद लेकर स्टील को जंग से तथा स्थायी दाग से बचाकर रखता है। इसके अलावा इन पर दाग धब्बे भी जल्दी नहीं पड़ते। लोहे की तुलना में स्टील करीब 1000 गुना अधिक मजबूत हो सकता है और लगभग 88 फीसद स्टील ऐसा है जिसे रिसाइकल किया जा सकता है।
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स्टील का अविष्कार - सबसे पहले हैरी ब्रियरले (1813-1898) अपनी बंदूक के बैरल के लिए कुछ ऐसा बनाना चाह रहे थे, जो पानी से जल्दी खराब ना हो सके और ना ही किसी रसायन का असर उस पर हो। काफी एक्सपेरिमेंट के बाद स्टील की प्रक्रिया की शुरुआत सन् 1872 ई. में वुड्स और क्लार्क ने किया। उन्होंने सन् 1900 ई पेरिस में आयाजित एक प्रदशनी में अपने द्वारा अविष्कार किए गए स्टील के सामान के कुछ सामान के नमूने प्रदर्शित किए।
सन् 1903 ई. में स्टेनलेस स्टील इंग्लैंड में पेटेंट कराया गया उस समय स्टील में क्रोमियम की मात्रा 24 से 57 प्रतिशत और निकल की मात्रा 5 से 60 प्रतिशत तक थी और लगभग सन् 1912 ई. इंग्लैंड ने बंदूक की नाल बनाने के लिए क्रोमियम और इस्पात की मिश्रधातु का उपयोग किया और सन् 1935 ई. में जर्मनी में एक ऐसे प्रकार के स्टेनलेस स्टील का निर्माण हुआ जिसमें निकल के स्थान पर मैंगनीज़ का प्रयोग किया गया, क्योकि जर्मनी में निकल का अभाव था। पहले स्टील को लेस स्टील कहा गया, लेकिन स्थानीय कटलरी निर्माता RF मॉस्ले के अन्सर्ट स्टुअर्ट ने इसे स्टेनलेस स्टील का नाम दिया। आज दुनिया भर में स्टील की मांग तेजी से है और यह दुनिया के हर कोने में हर छोटी चीज में भी उपलब्ध है।
स्टील के बर्तनों की सफाई के टिप्स
नायलोन स्क्रब का करे प्रयोग- खाना खाने के तुरंत बाद ही स्टील के बर्तनों को पानी से अच्छी तरीके से साफ कर लें ताकि बर्तनों को समय पर ऑक्सीजन मिल सके और उनकी चमक बरकरार बनी रहे। रसोईघर के सिकं में स्टील के बर्तनों को ज्यादा देर तक इकट्ठा करके ना रखें और ना ही सिंक को गंदा रखें, क्योंकि यह भी स्टील के बने होते हैं। स्टील से बने बर्तनों को हमेशा बर्तन धोने वाले साबुन या डिटर्जेंट में घोलकर नायलोन के स्पंज से साफ करें। स्टील के बर्तनों के लिए हार्ड स्पंज या स्क्रब का इस्तेमाल ना करें, नहीं तो इसमें खरोच के निशान बन जाएंगे।
बेकिंग सोडा का प्रयोग- अगर स्टील के बर्तन में काले या भूरे रंग के दाग धब्बे लग गए हो तो आप इन्हें बेकिंग सोडा की मदद से साफ कर सकते हैं। इसके लिए बेकिंग सोडा और पानी का घोल बनाकर बर्तन पर लगे दाग के ऊपर कुछ घंटों के लिए छोड़ दें और फिर साफ पानी के साथ इसे धो लें। इसके अलावा स्टेनलेस स्टील के बर्तन को साफ करने के लिए आप ऑक्सालिक एसिड क्लीन्जर को इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
याद रहे कि इन क्लीन्जर को ज्यादा देर के लिए स्टेनलेस स्टील बर्तन पर न छोड़े क्योंकि इनमें कैमिकल होते हैं जो बर्तनों को हमेशा के लिए खराब कर सकते हैं।
सिरका का करें इस्तेमाल- अक्सर हम देखते है कि स्टील के बर्तन में सफेद रंग की तह जम जाती है जो कि साल्ट या कैल्शियम डिपोजिट होते हैं। इन्हें साफ करने के लिए एक भाग सिरका और तीन भाग पानी मिला लें और इसे बर्तन में लगा कर दस मिनट छोड़ दें। इसके बाद अच्छे से साबुन वाले गर्म पानी से धो लें।
गर्म पानी से धोएं- अगर आप के बर्तन में चिकनाई या जले के निशान लगे हैं तो आप बर्तन को गरम पानी के बर्तन में डुबोकर कुछ घंटों के लिए छोड़ दें, इससे दाग आसानी से निकल जाएंगे। अगर बर्तन में दाग बहुत जिद्दी है तो इन्हें पानी में डालकर गैस पर रखकर उबालने के लिए छोड़ दें। कुछ समय पश्चात उबले हुए पानी में नमक डालकर इसे और कुछ देर के लिए उबलने दें। यह प्रोसेस 10 से 15 मिनट तक करें और उसके बाद इसे हल्का हल्का गुनगुना होने तक कुछ देर के लिए रखें फिर स्क्रब की मदद सहायता से अपने निशान को हटाए और सामान्य पानी से धो लें।
याद रखें ठंडे पानी में नमक डालकर स्टील के बर्तनों का तला खराब होने की शंका ज्यादा रहती है।
नमक और नींबू का एक टुकड़ा- अगर स्टील के बर्तन में जंग लग गया हो तो इसे नमक और नींबू के मिश्रण से हटाया जा सकता है। इसके लिए आप पहले एक बाउल में दो चम्मच नमक मिक्स करें और उसे नींबू के टुकड़ों पर लगाएं। अब इसी नींबू के टुकड़ों को जंग लगी हुई जगहों पर रगड़ें। 5 से 10 मिनट के अंदर जंग साफ होती चली जाएगी। इसके बाद आप चाहें तो बर्तन धोने वाले साबुन से या नॉर्मल पानी से बर्तन को साफ कर लें और फिर कपड़े से पोंछ कर साफ कर रखें। इसके अलावा आप नमक की जगह इनो(Eno)और नींबू के मिश्रण का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जरूरी नोट- स्टील के बर्तनों को धोने के बाद सॉफ्ट कपड़े से पूछ कर रखें, नहीं तो इनमें वाटर मार्क दिखाई देने लगते हैं जिससे इनकी चमक खराब हो जाती है। यदि स्टील के बर्तन पर गन्दगी या चिकनाई लम्बे समय तक जमा रहती है तो क्रोमियम अपना काम नहीं कर पाता, इससे स्टील ख़राब हो सकता है।
अतः इनकी नियमित सफाई जरुरी होती है . इसके अलावा स्टील के बर्तनों को एक के ऊपर दूसरा चढ़ाकर नहीं रखने चाहिए। खुले हुए रखने से चमक अधिक समय तक बनी रहती है।
(लेखक: ...)
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