कितना जानते हैं आप टेक्नोलॉजी के इस ‘भारतीय देव’ को?

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कितना जानते हैं आप टेक्नोलॉजी के इस ‘भारतीय देव’ को?

  • विश्व का ऐसा कोई प्रोडक्ट नहीं है जो भारतीय इंजीनियर ना बना सकें 
  • टेक्नोलॉजी के गॉड के रूप में किस देवता का नाम लिया जाता है? 
Vishwakarma-Ji-Katha (Pic: Amarujala)


लेखिका: विंध्यवासिनी सिंह (Vindhyawasini Singh)
Published on16 Sep 2021 (Update: 16 Sep 2021, 9:09 PM IST)

आज के समय में टेक्नोलॉजी का सर्वाधिक महत्व है, आप अपने आसपास जहां भी नजर दौड़ाएंगे आपको टेक्नोलॉजी से बने तमाम प्रोडक्ट नजर आ जाएंगे। वास्तव में टेक्नोलॉजी ने हमारी दुनिया को बेहद आसान कर दिया है, और इस टेक्नोलॉजी बनाने वाले लोगों में आईआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों का बड़ा ही महत्व है। इसका कारण यही है कि यहां से निकले इंजीनियर एक से बढ़कर एक प्रोडक्ट बनाते हैं, जिसने न केवल भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में भारतीय इंजीनियर की नाक ऊंची की हुई है। विश्व का ऐसा कोई प्रोडक्ट नहीं है जो भारतीय इंजीनियर ना बना सकें।

ये तो हो गयी आधुनिक समय के इंजीनयरों की बात लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे यहाँ देवताओं ने भी इंजीनियरिंग के लायी नमूने पेश किये हैं। वास्तव में टेक्नोलॉजी के गॉड के रूप में जिस देवता का नाम लिया जाता है उसने न केवल भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशूल निर्मित किया था बल्कि भगवान कृष्ण की द्वारका नगरी से लेकर पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, रावण का पुष्पक विमान, सोने की लंका यहां तक कि इंद्र का अति प्रलयंकारी हथियार वज्र तक का निर्माण किया था। 




जी हाँ! हम बात कर रहे हैं 'भगवान विश्वकर्मा' की

हमारे आधुनिक युग में शायद ही ऐसा कोई उदाहरण हो जो पहले से हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों में मौजूद ना हो। 
भगवान विश्वकर्मा की जन्म की कथा अगर हम देखें तो हमें सृष्टि के प्रारंभ में जाना पड़ेगा, जब भगवान विष्णु प्रकट हुए थे तब वो क्षीर सागर में शेषनाग पर विराजमान थे। हम सबको पता ही है कि विष्णु जी की नाभि से सबसे पहले कमल निकला था और उसी कमल से चौमुखी ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी के पुत्र 'धर्म' थे और धर्म के पुत्र 'वास्तु देव' देव थे के अंगिरसी नामक स्त्री से जन्में सातवां पुत्र का नाम ही विश्वकर्मा माना जाता है। जो आने वाले दिनों में अपनी कुशाग्र बुद्धि से टेक्नोलॉजी के भगवान माने गए। 


भगवान विश्वकर्मा के विभिन्न रूपों की बात की जाए तो 2 बाहु वाले,  4 बाहु वाले  एवं 10 बाहु वाले रूपों की पूजा की जाती है। इसी प्रकार से एक मुखी, चार मुखी एवं पंचमुख वाले विश्वकर्मा जी की भी पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्र माने जाते हैं, जिसमें मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ का नाम लिया जाता है। भगवान विश्वकर्मा की ही भांति उनके पांचों पुत्र भी टेक्नोलॉजी की अलग-अलग ब्रांच में स्पेशलिस्ट हैं। 


आजकल किसी भी टेक स्टार्टअप में डॉक्यूमेंटेशन बेहद महत्वपूर्ण है, ऐसे ही विश्व के सबसे पहले टेक्नोलॉजी डॉक्यूमेंटेशन जिसे आप तकनीकी ग्रंथ भी कह सकते हैं, वह विश्वकर्मा पुराण माना गया है। किसी भी कार्य को ऑर्गेनाइज रूप से कैसे किया जाए, इसको अगर सीखना हो तो भगवान विश्वकर्मा की कार्य प्रणाली का अध्ययन आज भी किया जाता है। टेक्नोलॉजी यंत्र और ऐसे दूसरे कार्य करने वाले लोग आज भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं और प्रत्येक वर्ष इनकी जयंती 'विश्वकर्मा जयंती' के रूप में मनाई जाती है। 2021 में भगवान विश्वकर्मा की जयंती 17 सितंबर शुक्रवार को मनाई जाने वाली है। 

पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि को संवारने की जिम्मेदारी ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा को सौंपी। ब्रह्मा जी को अपने वंशज और भगवान विश्वकर्मा की कला पर पूर्ण विश्वास था। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया तो वह एक विशालकाय अंडे के आकार की थी। उस अंडे से ही सृष्टि की उत्पत्ति हुई। कहते हैं कि बाद में ब्रह्माजी ने इसे शेषनाग की जीभ पर रख दिया।

शेषनाग से जुड़ी एक कथा 

शेषनाग के हिलने से सृष्टि को नुकसान होता था। इस बात से परेशान होकर ब्रह्माजी ने भगवान विश्वकर्मा से इसका उपाय पूछा। भगवान विश्वकर्मा ने मेरू पर्वत को जल में रखवा कर सृष्टि को स्थिर कर दिया। भगवान विश्वकर्मा की निर्माण क्षमता और शिल्पकला से ब्रह्माजी बेहद प्रभावित हुए। तभी से भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार मनाते हैं। भगवान विश्वकर्मा की छोटी से छोटी दुकानों में भी पूजा की जाती है।

ओडिशा का विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर तो विश्वकर्मा के शिल्प कौशल का अप्रतिम उदाहरण माना जाता है।  विष्णु पुराण में उल्लेख है कि जगन्नाथ मंदिर की अनुपम शिल्प रचना से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें 'शिल्पावतार' के रूप में सम्मानित किया था। 

(लेखिका: विंध्यवासिनी सिंह )



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