जनसंख्या वृद्धि संसाधनों को निगल जायेगी

Fixed Menu (yes/no)

जनसंख्या वृद्धि संसाधनों को निगल जायेगी

जनसंख्या बढ़ती गई यूँ ही बेतरतीब, 
तो मानव को अन्न-जल, होगा नहीं नसीब।
जनसंख्या की वृद्धि के, निकले ये परिणाम,
जीवन के हर मोड़ पर, कलह और कुहराम।।" 

World population day, 11 July 2021, Hindi Essay

लेखक: प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम" (Praful Singh)
Published on 11 Jun 2021 (Update: 11 Jun 2021, 3:19 PM IST)

जनसंख्या ज्वलंत समस्या बन कर आज हमसे समाधान मांग रही है। धरती की भी धारण करने की अपनी सीमा होती है। इस सीमा को पार करने के नतीजे जल, जंगल और जमीन की बौखलाहट के रूप में हम भुगत रहे हैं। हमारी लगातार बढ़ती आबादी के साथ उसकी जरूरतों की आपूर्ति के लिये प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, और नतीजे में हम बार-बार प्रकृति के प्रकोप का सामना करने को अभिशप्त हो गए हैं। मानव आबादी का बढ़ना दुनिया के कई हिस्सों में चिंता का कारण बन गया है, मुख्यतः गरीब देशों में। 

भारत बढ़ती जनसंख्या की समस्या से जूझ रहा है।दु निया की लगभग 17% आबादी भारत में रहती है, और यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। किसी भी देश में जब जनसंख्या विस्फोटक स्थिति में पहुँच जाती है, तो संसाधनों के साथ उसकी ग़ैर-अनुपातित वृद्धि होने लगती है। इसलिये इसमें स्थिरता लाना ज़रूरी होता है। 
वस्तुतः संसाधन एक बहुत महत्त्वपूर्ण घटक है। 

भारत में विकास की गति की अपेक्षा जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। संसाधनों के साथ क्षेत्रीय असंतुलन भी तेज़ी से बढ़ रहा है। विश्व में साल-दर-साल बढ़ती आबादी को देखते हुए '11 जुलाई 1989' से जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से 'विश्व जनसंख्या दिवस' (World Population Day) मनाने की शुरुआत हुई। 

बढ़ती आबादी ही निगल जायेगी, देश के हर संसाधन को, अगली पीढ़ी को क्या हम देंगे सोचों जरा इन बातों को।"

जनसंख्या की बढ़ती दर कई समस्याओं का कारण है। विकासशील देश विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, और इन देशों में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि इस दिशा में मुख्य बाधाओं में से एक है। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही बेरोजगारी की समस्या हर समय अधिक ही रहती है। भारत में जनसंख्या विस्फोट का असर अब दिखाई देने लगा है। हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं, और दिनों दिन जीवन मुश्किल में पड़ने लगा है। भारत सहित दुनिया के 178 देशों ने वर्ष 1994 में काहिरा इंटरनेशनल कान्फ्रेंस ऑन पॉपुलेशन के माध्यम से इस बात पर जोर दिया था कि स्वैच्छिक परिवार नियोजन प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। स्मरण रहे कि भारत सहित अन्य विकासशील देशों में तकरीबन साढ़े इक्कीस करोड़ महिलाएँ ऐसी हैं, जो बच्चे को जन्म देने में थोड़ा विलम्ब करने की इच्छुक हैं, परन्तु आधुनिक गर्भनिरोधकों की जानकारी के अभाव में अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने से वंचित रह जाती हैं। 


इससे उनकी सेहत ही नहीं, बल्कि प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। विश्व बैंक ने अभी-अभी बताया है कि लड़कियों को शिक्षित नहीं करने की वजह से दुनिया पर तीन सौ खरब डॉलर का भार पड़ रहा है। वर्ष 1989 में जब 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया गया था, तब दुनिया की आबादी पाँच अरब थी, जबकि वर्तमान में दुनिया की आबादी लगभग सात अरब अस्सी करोड़ आँकी गई है।

आज विश्व की जनसंख्या 7 अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या लगभग 1 अरब 30 करोड़ है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आजादी के समय भारत की जनसंख्या 33 करोड़ थी, जो आज चार गुना तक बढ़ गयी है। चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों में शिक्षा और जागरूकता की कमी की वजह से जनसंख्या विस्फोट के गंभीर खतरे साफ दिखाई देने लगे हैं। स्थिति यह है कि अगर भारत ने अपनी जनसंख्या वृद्धि दर पर रोक नहीं लगाई, तो वह 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा। भारत में जनसंख्या के बढ़ने का एक मुख्य कारण अशिक्षा है। 

अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चे पैदा करते हुए देखे जाते हैं। इसके दो कारण हैं। पहले, उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसा कमाने के लिए अधिक संख्या का मतलब है। दूसरे, उनमें से अधिकांश जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। जल्दी शादी से बच्चों की संख्या भी अधिक होती है। जनसंख्या में वृद्धि को कम मृत्यु दर के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। विभिन्न बीमारियों के उपचार और इलाज विकसित किए गए हैं, और इस तरह मृत्यु दर कम हो गई है। 

कई कारक हैं, जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट किया है। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जबकि पहले मनुष्य की जन्म दर और मृत्यु दर के बीच संतुलन था, चिकित्सा विज्ञान में उन्नति ने उसी में असंतुलन पैदा कर दिया। कई बीमारियों को ठीक करने के लिए दवाएं और उन्नत चिकित्सा उपकरण विकसित किए गए हैं। इनकी मदद से इंसानों के बीच मृत्यु दर में कमी लाई गई है, और इसके कारण भी कहीं न कहीं जनसंख्या विस्फोट हुआ है। हालाँकि, इसका यह मतलब कतई नहीं है कि चिकित्सा विज्ञान में उन्नति नहीं होनी चाहिए, बल्कि इस आंकलन का मतलब, कहीं न कहीं कारणों की पहचान भर से है।

मानव आबादी को नियंत्रित करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत महसूस हो रही है। पहली, गरीब और अशिक्षित वर्गों के लोग अधिकतर परिवार नियोजन योजना नहीं बनाते हैं। सरकार को सभी के लिए शिक्षा में अलख जगाने की जरूरत है। 
दूसरे, परिवार नियोजन के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना सरकार और सामाजिक कार्यकर्ता की प्राथमिकता होनी चाहिए। तीसरे, सरकार को करों से छूट या उन परिवारों को अन्य मौद्रिक लाभ प्रदान करना चाहिए जिनके पास एक बच्चा है। 
आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम हो सकता है। चौथे, दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों पर जुर्माना लगाया जा सकता है, जिस तरह से चीन में एक बच्चा का नियम था, भारत में दो बच्चों पर किया जा सकता है। पाँचवे, भारत में अनाथ बच्चों की संख्या अधिक है, तथा ऐसे परिवार भी हैं, जो बच्चों को जन्म देने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे परिवारों को बच्चे गोद लेने के लिये प्रोत्साहित करना, साथ ही अन्य परिवारों को भी बच्चों को गोद लेने के लिये प्रेरित करना। 


इस प्रकार से न सिर्फ अनाथ बच्चों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि जनसंख्या को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। छठे, आयु की एक निश्चित अवधि में मनुष्य की प्रजनन दर अधिक होती है। यदि विवाह की आयु में वृद्धि की जाए तो बच्चों की जन्म दर को नियंत्रित किया जा सकता है। इन सबके आलावे सख्त मॉनिटरिंग की भी व्यवस्था रखनी होगी, जिससे सभी नियमों को शक्ति से लागू किया जा सके। 

फिर भी एक बात कहा जा सकता है कि भारत में कानून का सहारा लेने के बजाय जागरूकता अभियान, शिक्षा के स्तर को बढ़ाकर तथा गरीबी को समाप्त करने जैसे उपाय करके जनसंख्या नियंत्रण के लिये प्रयास ज्यादा कारगर साबित होगा।

जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की विकराल समस्या उत्पन्न हो गयी है। लोगों के आवास के लिए कृषि योग्य भूमि और जंगलों को उजाड़ा जा रहा है। यदि जनसँख्या विस्फोट यूँ ही होता रहा, तो लोगों के समक्ष रोटी, कपड़ा और मकान की विकराल स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। इससे बचने का एक मात्र उपाय यही है कि बढ़ती आबादी को रोकें। 
अन्यथा विकास का स्थान विनाश को लेते अधिक देर नहीं लगेगी। लोगों को जनसंख्या को नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। 


यह न केवल उन्हें स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा, बल्कि उनके देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए, और जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उचित नियमों और नीतियों को लागू करना चाहिए। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए जनता और सरकार दोनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। 
सचमुच-

"जनसंख्या जो ये तेजी से बढ़ रही,
बहुत से समस्याए पैदा कर रही, 
हमें इन समस्यायों से निजात पाना होगा, 
जनसंख्या के बढ़ने पे अंकुश लगाना होगा,
हमें कुछ तो कदम उठाना होगा।"

(युवा लेखक: प्रफुल्ल सिंह "बेचैन कलम", लखनऊ, उत्तर प्रदेश)



अस्वीकरण (Disclaimer)
: लेखों / विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी है. Article Pedia अपनी ओर से बेस्ट एडिटोरियल गाइडलाइन्स का पालन करता है. इसके बेहतरी के लिए आपके सुझावों का स्वागत है. हमें 99900 89080 पर अपने सुझाव व्हाट्सअप कर सकते हैं.

क्या आपको यह लेख पसंद आया ? अगर हां ! तो ऐसे ही यूनिक कंटेंट अपनी वेबसाइट / ऐप या दूसरे प्लेटफॉर्म हेतु तैयार करने के लिए हमसे संपर्क करें !


Article Pedia App - #KaamKaContent

** Industries List, we are covering for Premium Content Solutions!

Web Title: World population day, 11 July 2021, Hindi Essay, Unique Content at Article Pedia, Premium Unique Content Writing on Article Pedia



Post a Comment

0 Comments