केरल का भव्य 'सबरीमाला' मंदिर दर्शन

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केरल का भव्य 'सबरीमाला' मंदिर दर्शन


पिछले दिनों खूब चर्चा में रहे 'सबरीमाला मंदिर' के बारे में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो ना जानता हो। इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी थी, जिसको लेकर कुछ समाज सेवी संस्थाएं लगातार विरोध कर रही थीं और सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक को हटा दिया है। लाख विवाद के बावजूद इस भव्य मंदिर को लेकर लोगों के मन में श्रद्धा और विश्वास में कोई कमी नहीं आयी है। दक्षिण भारत के केरल में स्थित इस मंदिर में भगवान 'अय्यप्पा' की पूजा की जाती है।

आपको बता दें कि दक्षिण भारत के इस भव्य मंदिर का नाम भगवान राम को जूठे फल  खिलाने वाली 'शबरी' के ऊपर रखा गया है।  

मंदिर में दर्शन के नियम 
शबरीमाला मंदिर में स्थित भगवान 'अय्यप' को लेकर कहा जाता है कि वो ब्रह्मचारी थे और उनका ध्यान भंग ना हो इसके लिए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। हालाँकि छोटी उम्र की कन्याओं  जिनका मासिक धर्म नहीं आता हो उन्हें मंदिर में प्रवेश और दर्शन की अनुमति मिली हुई है।
ये नियम तो हो गए महिलाओं के लिए लेकिन आम भक्तों के लिए भगवान अय्यप के दर्शन पाना इतना आसान नहीं है। उन्हें भी सब्र, धैर्य और संयम का परिचय देना पड़ता है। अगर आपको सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए आना है तो दर्शन करने से 2 महीने पहले से ही आपको अपने शरीर को शुद्ध करना पड़ेगा। इसके लिए मांस - मदिरा - मछली इत्यादि का त्याग करना होता है। 


आपको रोचक जानकारी यह भी दे दें कि भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र की संज्ञा दी गई है। संभवतः वह अकेले ऐसे भगवान हैं जो 'हरि' यानी विष्णु और 'हर' यानी शंकर के भी पुत्र माने जाते हैं।

कैसा है मंदिर? 
लगभग 800 साल पुराना यह सबरीमाला मंदिर बेहद खूबसूरत है। मंदिर के उत्तर-पश्चिम की ओर श्री मल्किकापुरतम्मा देवी, नवग्रह देवत, मलनटयिल भगवती, नाग देवता के मंदिर हैं। वहीं मंदिर के उत्तर की ओर नागराज और नागयक्ष की मूर्तियाँ है। अगर किसी को संतान नहीं है तो यहाँ संतान प्राप्ति के लिए सर्पगीत गाए जाते हैं। यह मंदिर 18 पहाडि़यों के बीच स्थित है और मंदिर के प्रांगण में पहुंचने के लिए भी 18 सीढि़यां पार करनी पड़ती हैं। वहीं इन 18 सीढ़ियों को वही पार कर सकता है जिसने 41 दिनों तक ब्रमचर्य का पालन किया हो और सात्विक जीवन बिताया हो। 

सबरीमाला मंदिर के कपाट साल भर बंद रहते हैं सिर्फ 15 नवम्बर से 26 दिसंबर तक खोले जाते हैं। यहाँ 41 दिनों तक महोत्सव चलता है। इसके अलावा पूरे साल मंदिर के दरवाजे आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहते हैं।



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