'मानहानि' पर क्या कहता है भारतीय कानून?

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'मानहानि' पर क्या कहता है भारतीय कानून?

अक्सर आपने अखबारों में देखा होगा कि सेलिब्रिटीज अपने ऊपर कोई आक्षेप लगता देख मानहानि का दावा ठोक देते हैं कई बार अदालत में ये मामले चलते हैं और चर्चा का विषय बन जाते हैं 
अब प्रश्न यह उठता है कि यह मानहानि आखिर क्या है?
और इस पर हमारा भारतीय कानून क्या नजरिया रखता है... आइए देखते हैं:

मानहानि को लेकर यह समझ लें कि यह केवल व्यक्तियों से संबंधित नहीं है, बल्कि किसी बिजनेस, कोई वस्तु, चाहे कोई संस्था भी हो सकती है वहीं किसी कम्युनिटी, या फिर कोई गवर्नमेंट ही क्यों ना हो, लेकिन अगर उसके खिलाफ झूठ प्रसारित किया जाता है और उस झूठ से उस संस्था, उस व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुंचती है, उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है तो इसे मानहानि यानी डिफेमेशन (Defamation) के अंतर्गत माना जाता है

Defamation Law In India (Pic: easyadvocacy)
मानहानि के ऊपर हमारा कानून बेहद सख्त है इसमें धारा 499 और 500 के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं और यह सिविल या क्रिमिनल दोनों प्रोसीजर में दायर किया जाता है ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह कोई दिखावटी मुकदमा नहीं होता है, बल्कि अगर कोई व्यक्ति वास्तव में किसी की मानहानि करने का दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ एक्शन भी लिया जाता है


अदालत से उसे 2 साल की ऑर्डिनरी जेल यानी साधारण कैद या फिर उस पर अदालत के अनुसार जुर्माना भी लगाया जा सकता है कभी-कभी यह दोनों ही एप्लीकेबल होते हैं

अधिकांश मामलों में आवश्यक है कि अगर किसी संस्था के ऊपर या किसी व्यक्ति के ऊपर आप कोई आरोप लगाते हैं तो उसके खिलाफ ठोस सुबूत होने चाहिए, अन्यथा आप को मानहानि के दायरे में लाया जा सकता है। एक बात यह भी है कि अगर पब्लिक इंटरेस्ट की कोई बात है तो उसको लेकर किसी संस्था या किसी पोस्ट/ पद पर कमेंट किया जा सकता है और इसके लिए सामान्यतः किसी सबूत की जरूरत नहीं होती है

वहीं अगर पब्लिक इंटरेस्ट को छोड़कर अगर यह व्यक्तिगत होता है तो यह मानहानि के अंतर्गत आता है

ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि हमारे कॉन्स्टिट्यूशन में हमें 'राइट टू स्पीच' मिला हुआ है, लेकिन राइट टू स्पीच के तहत भी किसी भी व्यक्ति को पर्सनली टारगेट नहीं किया जा सकता है। 

कोई व्यक्ति किसी संस्था का मुखिया हो या फिर किसी बड़े पद पर ही क्यों ना हो, पब्लिक इंटरेस्ट के तहत उसकी जिम्मेदारी को लेकर अवश्य ही प्रश्न उठाए जा सकते हैं, लेकिन निजी तौर पर आप उस पर आरोप नहीं लगा सकते

बहुत आवश्यक है कि जब भी आप बोलें, चाहे मौखिक या फिर लिखित... तो आप बेहद सोच-समझकर बोलें! अन्यथा अगर इससे किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है तो वह आपके ऊपर मानहानि का मामला दायर कर सकता है जानकारी के लिए बता दें कि किसी के बारे में अगर लिखित रूप से कोई आरोप लगा है तो उसे 'अपलेख' के रूप में जाना जाता है

जबकि ओरल जिसमें स्पीच या प्रेस कॉन्फ्रेंस इत्यादि में कोई बात कही जाती है तो वह अपवचन कहलाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि दोनों ही मामलों में मानहानि का मुकदमा दायर किया जा सकता है

इस कानून का उद्देश्य साफ है कि शब्दों के माध्यम से समाज में किसी भी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है अगर किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जाती है तो निश्चित रूप से भारतीय कानून उसके साथ मजबूती से खड़ा है

इस संबंध में आपके क्या विचार हैं, कमेन्ट-बॉक्स में अवश्य दर्ज करें


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Web Title: Defamation Law In India, Article In Hindi

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