रावण चरितम: आखिर कितने बड़े 'पापों' के बाद रावण वध संभव हुआ था?

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रावण चरितम: आखिर कितने बड़े 'पापों' के बाद रावण वध संभव हुआ था?

Wickedness of Ravana, Ramayan Stories in Hindi (Pic: Navbharat Times)


Presented byTeam Article Pedia
Published on 28 Jan 2023

पौराणिक कथाओं के खलनायक ताकत और अभिमान के मद में अपनी सीमाओं का उल्लंघन बेहिसाब करते नज़र आये हैं. कहते हैं कि एक या दो पापों का संभवतः प्रायश्चित भी होता हो, किन्तु तब क्या किया जाए जब खलनायकों द्वारा 'बेहिसाब पाप' किये जाएँ!

कहा जाता है कि 'पाप का घड़ा' भरने के बाद किसी भी खलनायक के विनाश की घड़ी नजदीक आ जाती है.

रावण को भला कौन नहीं जानता है?
उस अधर्मी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की धर्मपत्नी सीता का हरण किया था और इस पाप के फलस्वरूप समूची लंका और राक्षस कुल का भी विनाश हो गया!

पर रावण ने दूसरे तमाम पाप और भी किये थे, जिसके कारण अंततः वह विनाश को प्राप्त हुआ!

एक प्रसंग आता है, जिसके अनुसार महाशक्तिशाली होने और सीता का हरण करने के बावजूद रावण ने सीता के साथ जबरदस्ती करने का प्रयत्न नहीं किया था. ऐसा अनायास ही नहीं था, बल्कि इसके साथ एक प्रसंग जुड़ा हुआ है. तब विश्वविजय के अभियान पर निकला रावण स्वर्गलोक पहुंचा था और तभी उसने रम्भा नामक अप्सरा को देखा. रम्भा के सौंदर्य से मोहित होकर रावण ने अपना प्रेम-पांसा फेंकना चाहा, लेकिन रम्भा ने यह कहकर इंकार कर दिया कि वह नलकुबेर के साथ पत्नी की तरह रहती हैं. पर रावण नहीं माना और उसने रम्भा के साथ बलात्कार किया. रावण ने रम्भा और नलकुबेर के रिश्ते का मजाक भी बनाया था.

इस कुकृत्य के पश्चात् नलकुबेर ने रावण को उसके कृत्य के लिए श्राप दे डाला कि अगर रावण फिर किसी नारी की इच्छा के विरुद्ध उसके साथ सम्भोग करने की कोशिश करेगा तो उसका मस्तक 100 टुकड़ों में फट जाएगा.

बताते चलें कि नलकुबेर, रावण के भाई कुबेर का पुत्र था और उसी के श्राप के कारण रावण ने बुरी निगाह होने के बावजूद सीता के साथ जबरदस्ती की कोशिश नहीं की थी.

रावण के पापों की कहानी एक नहीं बल्कि कई हैं.
एक बार अपने पुष्पक विमान से वह कहीं जा रहा था, तभी उसकी दृष्टि एक तपस्विनी पर पड़ी और वह मोहित हो गया.
हालाँकि, वह तपस्विनी भगवान विष्णु की तपस्या में लीन थी, लेकिन इसकी परवाह न करते हुए रावण ने उस योगिनी के बालों को पकड़कर घसीटा, जिससे अपमानित होकर उस नारी ने अपने प्राण त्याग दिए.
जाते-जाते रावण को वह कठोर श्राप दे गयीं कि उनका अंत स्त्री के कारण ही होगा.


नंदी महाराज शिव के अनन्य भक्त माने जाते हैं, साथ ही उनके वाहन भी हैं. रावण ने ताकत के मद उनका उपहास भी उड़ाया था.
रावण संहिता में इसका वर्णन है कि कुबेर पर विजय प्राप्त कर जब रावण लौट रहा था तो वह कैलाश पर्वत पर कुछ देर के लिए रुका था. वहीं पर शिव के प्रमुख गण नंदी के स्वरूप को देखकर रावण ने भयंकर उपहास किया. बस फिर क्या था... नन्दीश्वर ने क्रोध में आकर रावण को यह श्राप दे डाला कि वह जिस पशु स्वरूप को देखकर व्यंग्य कर रहा है, उन्हीं के कारण उसका सर्वनाश हो जाएगा. कहा जाता है कि इसी कारण बंदरों द्वारा रावण के सर्वनाश में मुख्य भूमिका निभाई गयी.

इससे अगली कहानी रावण की बहन शूपर्णखा की है!
प्रश्न उठता है कि भला शूपर्णखा रावण का बुरा क्यों चाहने लगी?
यह प्रसंग है शूपर्णखा के पति विद्युतजिव्ह का. विद्युतजिव्ह कालकेय नामक राक्षस राजा का सेनापति था और जब रावण विश्वविजय के अभियान पर निकला था, तब कालकेय के साथ उसका भयंकर युद्ध हुआ था. इसी युद्ध में विद्युतजिव्ह को भी रावण ने यमलोक पहुंचा दिया और तभी शूपर्णखा ने यह ठान लिया था कि वह ही रावण के विनाश का कारण बनेगी.

रावण की पत्नी मंदोदरी की बड़ी बहन का नाम माया था. उसका विवाह वैजयंतपुर के राजा शंभर से हुआ था. एक बार रावण वैजयंतपुर गया तो माया को देखकर उसके मन में वासना जाग गयी. माया के मना करने के बाद भी रावण अपनी वासना पर काबू नहीं रख सका औरयह बात शंभर को पता चल गयी.

शंभर वीर था और रावण को उसने बंदी बना डाला.

ठीक उसी समय राजा दशरथ ने वैजयंतपुर पर हमला किया था और उक्त हमले में शंभर की मृत्यु हो गयी.

शंभर की मृत्यु के पश्चात भी रावण का वासनायुक्त मन बेकाबू ही रहा... उसने माया के साथ जबरदस्ती करनी चाही. ऐसी स्थिति में रावण को माया ने श्राप दे डाला कि 'स्त्री वासना' के कारण ही उसकी मृत्यु होगी.

रावण के पापों की एक कहानी रघुकुल से भी जुड़ी हुई है. वही रघुकुल, जिसमें राम का जन्म हुआ और जिन्होंने रावण का वध किया.
यह कथा राम के जन्म से बहुत पहले की है.

तब रघुकुल में अनरण्य नामक राजा राज करते थे. विश्वविजय के अभियान पर तब रावण अक्सर ही निकल जाया करता था और इसी क्रम में उसका अनरण्य से खतरनाक युद्ध हुआ. रावण के हाथों अनरण्य मृत्यु को प्राप्त हो गये, किन्तु जाते-जाते रावण को यह श्राप दे डाला कि रावण का विनाश होगा वह भी रघुकुल के ही किसी वंशज के हाथों.

कहा जा सकता है कि रावण जैसा महाज्ञानी, काल विजयी, विश्व विजयी योद्धा विनाश को प्राप्त हुआ.

अंत में यह कहानी सच ही तो साबित हुई कि 'पाप का घड़ा भर जाने' पर किसी भी पापी का नाश होता ही है और रावण की कहानी से हमें यह शिक्षा बेहद स्पष्ट ढंग से मिलती है.

Web Title: Wickedness of Ravana, Ramayan Stories in Hindi

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