महाभारत काल के सबसे 'खतरनाक हथियार' - Dangerous Weapons of Mahabharata Period, Hindi Article

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महाभारत काल के सबसे 'खतरनाक हथियार' - Dangerous Weapons of Mahabharata Period, Hindi Article


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Published on 30 Jan 2023

महाभारत में इस्तेमाल हुए सबसे खतरनाक हथियार

शायद ही कोई महाभारत की लड़ाई से अनजान होगा, ऐसा कोई नहीं जिसने इसके बारे में न सुना हो! इसे भारत की सबसे बड़ी लड़ाई माना जाता है.

इस जंग का विवरण बहुत ही बारीकी से किया गया है. उससे ही पता चलता है कि उस समय किन हथियारों से यह युद्ध लड़ा गया था.
तो चलिए आज आपको बताते हैं, महाभारत में कौन से खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था –

सुदर्शन चक्र

प्राचीन कथाओं के अनुसार सुदर्शन चक्र को ब्रहमांड के सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक कहा जाता है. यह भगवान विष्णु की तर्जनी अंगुली में रहता है.


कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने इस सुदर्शन चक्र को पाने के लिए हजारों साल तक कठोर तपस्या की थी. उनकी इस तपस्या पर भगवान शिव की नजर पड़ी और उन्होंने भगवन विष्णु को कुछ भी मांगने के लिए कहा.
इसके बाद भगवान विष्णु ने भगवान शिव से एक ऐसा शक्तिशाली हथियार मांगा, जिससे सभी असुर मारे जा सकते हों. तब जाकर उन्हें भगवान शिव ने सुदर्शन चक्र प्रदान किया.
कहते हैं कि सुदर्शन चक्र को जो भी लक्ष्य दिया जाता था, वह बिना उसको खत्म करे वापस नहीं आता था. महाभारत में श्री कृष्ण के पास यह सुदर्शन चक्र था.

त्रिशूल

त्रिशूल को हिन्दू धर्म में एक आस्था पर प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार ये भगवान शिव का अनन्य और बेहद खतरनाक हथियार है. भगवान शिव कहीं भी जातें है, अपने साथ त्रिशूल को जरूर रखते हैं.
माना जाता है कि इस हथियार का प्रयोग महाभारत और रामायण काल में दोनों में किया गया था. वहीं इसी हथियार से भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का सर भूलवश धड़ से अलग कर दिया था. भाले की तरह दिखने वाले इस त्रिशूल में आगे की ओर तीन तेजधार चाकू लगे होते हैं.


पाशुपतास्त्र

त्रिशूल की तरह पाशुपतास्त्र भी भगवान शिव का ही अस्त्र है. यह हथियार अविश्वसनीय रूप से बहुत विनाशकारी माना जाता है. कहा जाता है कि यह इतना घातक है कि पूरी सृष्टि को नष्ट करने की सक्षम रखता है.

यह दिखने में एक तीर की तरह है, जिसको चलाने के लिए एक धनुष का प्रयोग किया जाता है.
भगवान शिव ने पाशुपतास्त्र को महाभारत के नायक अर्जुन को दिया था. वह बात और है कि अर्जुन ने इस हथियार का दुरुपयोग महाभारत के युद्ध में नहीं किया.
असल में अगर वह इस हथियार का प्रयोग कर देते, तो पूरी दुनिया नष्ट हो सकती थी.

ब्रह्मास्त्र

ब्रह्मास्त्र, भगवान ब्रह्मा द्वारा बनाया गया हथियार है. पुराणों के अनुसार इसको भी काफी घातक हथियार माना जाता है. एक बार अगर यह किसी पर छोड़ दिया जाए, तो फिर इसे रोक पाना मुश्किल होता था. इसको बहुत ही विशेष स्थिति में प्रयोग किया जाता था.
यह किसी परमाणु बम से कम नहीं था, चूंकि, ब्रह्म देव को सनातन धर्म में सृष्टिकर्ता माना जाता है, इसलिए ब्रह्मास्त्र को धर्म और सत्य को कायम रखने के उद्देश्य से बनाया गया था.

ऐसा माना जाता है कि जिस जगह पर इसका इस्तेमाल किया जाता है, वह जगह सालों तक बंजर रहती है और उस जमीन के आसपास जीवन का अस्तित्व नहीं रहता, वहीं वहां रहने वाले महिलाएं बांझ हो जाती थीं.
एक बार महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन और अश्वत्थामा दोनों ने अपने-अपने ब्रह्मास्त्र को अपने तीर से छोड़ दिया था, जिसके कारण सब कुछ नष्ट होने वाला था.
वह तो मौके पर व्यास देव ने आकर इनको टकराने से रोक दिया था. हालांकि बाद में अर्जुन ने अपने ब्रह्मास्त्र को वापस बुला लिया लेकिन अश्वत्थामा ऐसा नहीं कर पाए.
बाद में उन्हें इसके फलस्वरूप ताउम्र धरती पर भटकने का श्राप दिया गया.

ब्रह्मशिरा

ब्रह्मशिरा भी भगवान ब्रह्मा के द्वारा बनाया गया हथियार है. यह उनके सबसे प्रमुख हथियारों में से एक था. ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मशिरा, ब्रह्मास्त्र से चार गुना अधिक शक्तिशाली था.
महाभारत युग में परशुराम, भीष्म, द्रोण, कर्ण, अश्वत्थामा और अर्जुन को इस हथियार को चलाने का ज्ञान प्राप्त था. हालांकि, इन सभी ने इस भयंकर गजर्ना करने वाले अस्त्र को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था, जिसके बाद उन सभी को यह हथियार प्राप्त हुआ था.

नारायणास्त्र

नारायणास्त्र भगवान विष्णु का ही एक प्रमुख हथियार है, जिसमें लाखों घातक मिसाइलों की शक्ति थी. माना जाता है कि अगर यह एक बार लक्ष्य की तरफ निकल जाए, तो इसे रोक पाना असंभव ही था.

महाभारत युद्ध के दौरान अश्वत्था‍मा ने पांडव की सेनाओं पर इस हथियार का उपयोग किया था. भगवान कृष्ण, जो विष्णु के अवतार हैं, उन्होंने पांडवों और उनके सभी योद्धाओं को हथियार से बचाव का उपाय बताया था. उन्होंने बताया कि जब यह पास आए तो जमीन पर लेट जाएं.

यह एक प्रकार से हथियार की शक्ति के आगे आत्मसमर्पण जैसा था.
उन्होंने यह भी बताया कि इस हथियार का प्रयोग केवल एक ही बार किया जा सकता है. अगर फिर से कोई इसका इस्तेमाल करता है, तो उसकी अपनी ही सेना इससे खत्म हो जाएगी.


वज्र

महाभारत युद्ध में कौरवों और पांडव दोनों ही बहुत शक्तिशाली थे, जिसमें कर्ण वज्र से अर्जुन को मारना चाहता था. चूंकि युद्ध के समय अभिमन्यु की मृत्यु हो जाती है, इसलिए सभी पांडव अभिमन्यु के अंतिम संस्कार प्रक्रिया में थे.
इसका फायदा उठाकर कौरव रात में पांडवों पर हमला कर सकते थे. भगवान कृष्ण इसको समझते थे, इसलिए उन्होंने भीम से उसके राक्षस पुत्र घटोत्कच को बुलाने को कहा.

असल में रात के समय में राक्षसों की शक्ति ज्यादा होती है.
ऐसे में जब कौरवों ने पांडवों पर हमला किया तो घटोत्कच काल बनकर उन पर टूट पड़ा हालांकि, उससे बचने के लिए मजबूरन दुर्योधन को वज्र का इस्तेमाल करना पड़ा.


तो यह थे कुछ खास हथियार, जो महाभारत के युद्ध के समय प्रयोग किए गए.
कहा जाता है कि यह हथियार आज के परमाणु हथियारों से भी भयानक और खतरनाक थे, जो भयंकर तबाही मचाने की क्षमता रखते थे.

महाभारत के नायकों ने इन हथियारों को कठोर परिश्रम के बाद प्राप्त किया था.
आधुनिक समय में इस तरह के हथियार भले ही मिथक ही माने जाते हैं, लेकिन इन हथियारों की जानकारी महाभारत जैसे हिन्दू धर्मग्रंथों में मिलती है.

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