लेखिका: विंध्यवासिनी सिंह (Vindhyawasini Singh)
Published on 30 Dec 2022
2022 बीतते बीतते अत्यंत दुखद खबर दे गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की मां हीराबा का 30 दिसंबर को सुबह 3:30 बजे स्वर्गवास (PM Modi Mother Heeraben Death)हो गया। आपको बता दें कि हीराबा 100 साल की उम्र पूरी करके इस नश्वर संसार से विदा हुई हैं।
महान माताओं की श्रृंखला में हीराबा (PM Modi Mother Heeraben )का नाम भी सदा ही आदर से लिया जाएगा। महान भारत के निर्माण में कई माताओं का योगदान रहा है और जिस प्रकार से अपनी अमेरिका यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मां के बारे में यह बताया था कि, कैसे बचपन में उनकी माँ हिराबा (Heeraben) दूसरे के घरों में काम करती थीं, ताकि नरेंद्र मोदी जी एवं उनके भाइयों का लालन-पालन हो सके।
वास्तव में यह केवल प्रधानमंत्री की कहानी नहीं है, बल्कि यह बनते हुए भारत के तमाम बेटों और तमाम माताओं की भी कहानी है। भारत ऐसे ही तो आगे बढ़ रहा है और यह लोकतंत्र की ताकत है कि, ऐसी माताओं के सपूत भारत में शीर्ष पर पहुंचकर भारत निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित कर रहे हैं।
हीराबा( Heeraba) तो अपने पुत्र को इस संसार के हवाले करके चली गयीं, लेकिन उनके पुत्र पर भी यह भारतवर्ष सदा गौरव करता रहेगा। नरेंद्र मोदी ने भी अपनी माता के साथ जिन कर्तव्यों का निर्वहन किया है, वह भी अनुकरणीय है। गृहस्थ जीवन में ना रहने के बावजूद भी प्रधानमंत्री (PM Modi) का लगाव सदा ही अपनी मां के साथ बना रहा। गीता में (Geeta Shlok)कहा गया है-
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन: |
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते
अर्थात श्रेष्ठ पुरुष प्रमाण सहित, जिस प्रकार का आचरण करते हैं, उसी प्रकार का आचरण सामान्य जन भी करते हैं। ऐसी अवस्था में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज के भागमभाग और भौतिक युग में भी दिखलाया कि, आप चाहें जितने भी शीर्ष पर पहुंच जाएं, अपनी मां को कभी न भूलिए। उनके इस अनुकरणीय आचरण से निश्चित रूप से भारत के कई बेटों को प्रेरणा मिलेगी।
खासकर उन लोगों को जो अपनी मां से तब दूर हो जाते हैं, जब उनको सर्वाधिक जरूरत होती है। आज के समय में छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार में समाज में बिखराव देखने को मिल रहा है, किंतु नरेंद्र मोदी और हीराबा का यह संबंध सदा ही याद रखा जाने वाला है।
गृहस्थ जीवन की तमाम जटिलताओं के बावजूद भी हर व्यक्ति को मानवीय रिश्तों को निभाने में बेहद सजगता और संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। यह समस्त भारतवर्ष के सामने एक उदाहरण के रूप में हीराबा और श्री नरेंद्र मोदी के संबंधों में देखने को मिला है।
कर्तव्य मार्ग पर तमाम महापुरुषों ने समाज को राह दिखलाई है, एक तरफ राम भी हुए हैं जिन्होंने पिता के वचन की आज्ञा लेकर वन की ओर प्रस्थान किया और तमाम संबंधों के ऊपर कर्तव्य को प्राथमिकता दी। कुछ कुछ ऐसा ही नरेंद्र मोदी के रूप में भी हमें देखने को मिलता है, अपनी माता की मुखाग्नि देने के कुछ ही क्षण बाद नरेंद्र मोदी तुरंत ही काम पर लौट गए, इस परिस्थिति में लिप्त नहीं हुए।
शास्त्रों में इसे ही तो मोक्ष कहा गया है। मृत्यु के बाद कौन कहां जाता है, किसने देखा है, किंतु अपने कर्तव्य के पथ पर उन तमाम चीजों से मुक्त होना जो आप को रोकती हैं, यही मोक्ष है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 9:40 पर अहमदाबाद में अपनी मां को मुखाग्नि देते हैं, वहीं अहमदाबाद से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बंगाल में आयोजित कार्यक्रम से जुड़कर हावड़ा और न्यू जलपाईगुड़ी में वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी भी दिखलाते हैं।
बता दें प्रधानमंत्री मोदी का बंगाल (PM Modi Bengal Program )से जुड़े तकरीबन 8000 करोड रुपए के विभिन्न प्रोजेक्ट्स की शुरुआत करने का कार्यक्रम था।
ऐसा एक उदाहरण महान क्रांतिकारी बाल गंगाधर तिलक का भी मिलता है, जब वह आजादी के समय क्रांतिकारियों के साथ एक बैठक कर रहे थे, उसी समय उनके बेटे की मृत्यु की खबर आयी और उन्होंने बैठक जारी रखते हुए कहा कि बेटे के अंतिम संस्कार की तैयारी की जाए, मैं बैठक समाप्त होने के बाद वहां उपस्थित होता हूं। यह महान उदाहरण यह बताते हैं कि, समाज हित (Social Interest)हमेशा ही स्वयं के हित से ऊपर रहा है।
आइए हम सभी मिलकर प्रधानमंत्री मोदी जी की माता 'स्वर्गीय हीराबा' को श्रद्धांजलि अर्पित करें एवं समाज हित को धारण करें, कर्तव्यों को प्राथमिकता दें, संवेदनशीलता के साथ रिश्तो का निर्वहन करें और यही वह मूल चीज है जो हीराबा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
ओम शांति शांति शांति
Web Title: PM Modi Mother Heeraben Death Premium Unique Content Writing on Article Pedia
👉 टेक्नोलॉजी, व्यापार, इतिहास, माइथोलॉजी, कानून, पेरेंटिंग, सिक्यूरिटी, पेट केयर, लाइफ हैक, लिटरेचर सहित भिन्न विषयों पर...
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