सुनक व आतंकी पन्नू, दो व्यक्ति नहीं 'दो मार्ग' हैं

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सुनक व आतंकी पन्नू, दो व्यक्ति नहीं 'दो मार्ग' हैं

Development or Terrorism, Two Ways, Hindi Article by Rakesh Sain

लेखकराकेश सैन (Writer Rakesh Kumar Sain)
Published on 1 November 2022

ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री ऋषि सुनक और प्रतिबन्धित खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस के मुखिया गुरपवन्त सिंह पन्नू के बीच केवल एक समानता है, कि वो दोनो भारतीय मूल के पंजाबी नागरिक हैं अन्यथा वे दो विपरीत मार्गों के दिशा सूचक हैं। दीवाली वाले दिन ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री पद की जिम्मेवारी सम्भाली और इसी दिन कैनेडा के ब्रैम्पटन शहर में पन्नू समर्थक दंगाईयों ने पर्व मना रहे भारतीयों के समक्ष अभद्र नारे लगाए और दंगा किया। इसके दो दिन बाद समाचार मिला कि कैनेडा में पंजाब के तीन युवकों को 150 करोड़ के नशीले पदार्थों के साथ गिरफ्तार किया गया। विदेशी धरती पर एक तरफ ऋषि सुनक जैसे पंजाबी युवा अपनी योग्यता का लोहा मनवा रहे हैं तो दूसरी तरफ पन्नू जैसे पंजाबी भी हैं जो न केवल अपने देश बल्कि पंजाबीयत का मूंह भी काला करने में लगे हैं। पंजाब में भी खालिस्तानियों की खुराफात बढ़ रही है, नशा व अवैध हथियारों की तस्करी के साथ-साथ आतंकी वारदातें भी गाहे-बगाहे होने लगी हैं। ऋषि सुनक व आतंकी पन्नू के रूप में अब पंजाब के युवाओं के समक्ष दो मार्ग हैं, पहला मार्ग विकास, शान्ति, भाईचारे का है तो दूसरा रास्ता सीधा बर्बादी की ओर जाता है। अब तय पंजाब के युवाओं को करना है कि उनके लिए कौनसा मार्ग उचित है।

पाकिस्तान के बाद कनाडा तेजी से खालिस्तानी आतंकियों और गैंगस्टरों के लिए सुरक्षित स्वर्ग बन रहा है। भारतीय गुप्तचर संस्थाएं कई बार बता चुकी हैं कि कनाडा स्थित गैंगस्टर भारत में अपराध को नियन्त्रित कर रहे हैं। इस साल विवादित गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में कनाडा में बैठे सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ का नाम सामने आया। लेकिन उसे भारत वापस लाना आसान नहीं है, क्योंकि वहां के अधिकारी सहयोग नहीं करते। भारत ने कनाडा को आतंकियों और अन्य गैंगस्टरों की उपस्थिति के सम्बन्ध में दस्तावेज सौम्पे हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जालंधर में एक पुजारी की हत्या के मामले में खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया। निज्जर वर्तमान में कनाडा में है और भारत में अलगाववादी और हिंसक एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है। हाल ही में अन्र्ताष्ट्रीय पुलिस (इंटरपोल) ने आतंकी अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह कनाडा में है और निज्जर से जुड़ा है। इन आतंकियों ने भारत में साम्प्रदायिक सद्भाव को दूषित करने के लिए कई लोगों की हत्या करने का ठेका दिया था। इन्होंने भारत में अपने सहयोगियों को कनाडा की नागरिकता देने का भी वादा किया। भारतीय अधिकारियों ने अपने कनाडाई समकक्षों से बात की परन्तु इनके प्रत्यर्पण के मामले में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई। केवल इतना ही नहीं खालिस्तानी लंका का रावण गुरवन्त पन्नू भी कनाडा में ही शरण लिए है। देश में पिछली सदी के सत्तर व अस्सी के दशक में चले खालिस्तानी आतंकवाद के पूर्व विषाणु भी वहीं मौजमस्ती कर रहे हैं।

कनाडा के प्रधानमन्त्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानियों के प्रति नर्म रुख रखते रहे हैं, हलांकि कनाडा की एक एजेंसी ने सरकार को खालिस्तानियों के खतरों के प्रति किया सतर्क कर चुकी है परन्तु वोट बैंक की राजनीति के चलते ट्रूडो इन तत्वों को निरन्तर संरक्षण दे रहे हैं। इसी के चलते ट्रूडो की भारत यात्रा विवादों में रही थी। भारत और कनाडा के सम्बन्धों में खालिस्तान का मुद्दा 80 के दशक से रुकावट बनता रहा है। पिछले चार दशकों में कई बार आरोप लगे कि वहां के नेता खालिस्तान की राजनीति को प्रोत्साहन देकर भारत की संवेदनाओं का ध्यान नहीं रख रहे हैं। 2015 में ट्रूडो के सत्ता में आने के बाद यह मुद्दा खटास का रूप लेता जा रहा है। इसकी शुरुआत हुई जब ट्रूडो ने खालसा डे परेड में हिस्सा लिया जिसमें ऑपरेशन ब्लूस्टार में मारे गए आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाला को नायक की तरह दिखाया गया था। कनाडा के कई गुरुद्वारों ने भारतीय अधिकारियों के प्रवेश पर पाबन्दी लगा रखी है। ट्रूडो सरकार के हरजीत सिंह सज्जन जैसे कई मन्त्री खालिस्तान के समर्थक हैं। हाल ही में भारत के विरोध के बावजूद कनाडा ने अपनी जमीन पर खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह करवाने की आज्ञा दी।


कनाडा में करीब 12 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की कुल जनसंख्या का करीब 3 प्रतिशत हैं। इन भारतीयों में करीब एक तिहाई सिख हैं। ज्यादातर सिख वोट भी ट्रूडो की पार्टी को मिलते हैं, और इसी कारण ट्रूडो वोटबैंक के चक्कर में खालिस्तानी आतंकवाद व अलगाववाद को लेकर भारत की चिन्ताओं के प्रति आंखें मून्द लेते हैं और राजनीति में दोहरे मापदण्ड अपनाने से भी नहीं हिचकते। तभी तो वर्तमान में यूक्रेन के कुछ हिस्सों के विलय को लेकर रूस द्वारा करवाए गए जनमत का कैनेडा ने संयुक्त राष्ट्र में तो विरोध किया परन्तु जब भारत के खिलाफ वही हरकत उनकी जमीन पर खालिस्तानियों ने की तो कनाडा की सरकार ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का लबादा ओढ़ा दिया। भारत के किसान आन्दोलन के दौरान ट्रूडो ने आन्दोलनकारियों की समर्थन किया परन्तु जब वैसा ही आन्दोलन कनाडा में ट्रक चालकों ने चलाया तो उन्होंने अपने देश में आपात्काल लगा दिया। ट्रूडो ने आन्दोलनकारी भारतीय किसानों के हर फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का तो समर्थन किया परन्तु विश्व व्यापार संगठन की बैठकों में भारत द्वारा अपने किसानों को दी जाने वाली विभिन्न सबसीडियों का विरोध किया। कनाडा में फैल रहे खालिस्तानियों के नासूर में मवाद भरने का काम पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई भी कर रही है और विदेशी भूमि पर खालिस्तानियों के हर दंगे फसाद में वहां रह रहे पाकिस्तानी नागरिक उनके साथ खड़े नजर आते हैं।

Make Punjab Great Again, Hindi Article

किसी समय पंजाब की धरती पर पले बढ़े लाला लाजपत राय, भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह, भाई परमानन्द, शहीद उधम सिंह, मदन लाल ढींगरा व असंख्य गदरी क्रान्तिकारी विदेशों में जाकर भारत की स्वतन्त्र का संग्राम लड़ते थे आज उसी जमीन से उपजी गुरपवंत पन्नू जैसी नागफणियों की पौध विदेशों में जाकर भारत को फुंकार रही है। इनका साथ दे रहे हैं नशा तस्कर, गैंगस्टर व भारत में हत्या कर विदेशों में छिपे बैठे अपराधी। कनाडा को भी स्मरण रहना चाहिए कि आतंक की जिस विषबेल को वह खाद पानी दे रहा है एक दिन इसकी सूलें कनाडाई पैरों को भी लहूलुहान करेंगी। शायद इसकी शुरुआत हो भी चुकी है, दो दिन पहले ही कनाडा में तीन पंजाबी युवकों को 150 करोड़ के नशे के साथ गिरफ्तार किया है और दो महीने पहले घोषित 11 प्रमुख गैंगस्टरों में 9 पंजाबी मूल के ही हैं। पिछले महीने नशे में टल्ली हो हुड़दंग मचा रहे पंजाब के नौजवान कनाडा की पुलिस से भिड़ चुके हैं। अब पंजाब के लोगों को यह सोचना होगा कि इस तरह के गैंगस्टर पंजाब और भारत देश की कैसी छवि दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे मुस्लिम और कई अफ्रीकी देशों को नागरिकों की भान्ति पंजाब के लोग भी दुनिया में सन्देह से देखे जाने लगेंगे। फिर कौन उन्हें अपने देश में घुसने देगा ? पंजाब के युवाओं के समक्ष अब भी दो मार्ग हैं या तो वह ऋषि सुनक के रास्ते चल अपने परिवार व देश के विकास में योगदान दें या पन्नू के रास्ते चल कर पतन का श्राप भुतने की तैयारी करें।

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