पर्यावरण का सरंक्षण हमारा नैतिक कर्तव्य

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पर्यावरण का सरंक्षण हमारा नैतिक कर्तव्य

  • पर्यावरण दिवस पर विशेष 5 जून 2021
  • गंदगी के कारण जब बीमारियों से ग्रस्त होंगे, तब इन लोगों के होश ठिकाने आयेंगे

Protecting The Environment is our Moral Duty

लेखक: नरेन्द्र भारती (Writer Narender Bharti)
Published on 5 Jun 2021 (Update: 5 Jun 2021, 5:39 PM IST)

पर्यावरण असन्तुलन एक विश्वव्यापी गंभीर समस्या बनती जा रही है। कैसी विडंबना है कि आज पर्यावरण शुद्ध है, मगर हर चेहरे पर मास्क लगा है। कोरोना महामारी में कोरोना कफर्यू व लाॅकडाउन लगने से पर्यावरण शुद्ध हो गया है। गंगा का पानी निर्मल हो गया है, हवा शुद्ध हो गई है, प्रकृति महक गई है, प्रकृति खुश है। पेड़-पौधे हरे भरे व साफ हो गए हैं। शुद्व हवाओं की बयार है। दो महिनों में काफी कुछ बदला है। सप्ताह के दो दिन भी ऐसा ही कर्फ्यू लगाया जाए तो काफी प्रभाव पड़ेगा। पर्यावरण के लिए यह बहुत ही लाजिमी है। बेशक आज 5 जून 2021 को पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। विश्व में 5 जून 1974 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। आज 47वां पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है, मगर ऐसे आयोजन केवल मात्र औपचारिकता भर रह गए हैं। 

केवल एक दिन पर्यावरण के सरंक्षण के लिए संकल्प लिए जाते हैं। स्कूलों, कालेजों व स्वयंसेवी सस्थाओं द्वारा रैलियां निकाली जाती है, सेमीनार लगाए जाते हैं। सरकारी विभागों व सरकारी संस्थाओं में अधिकारियों व स्कूली बच्चों को शपथ दिलाई जाती है। फिर पर्यावरण को प्रदूषित करके धज्जियां उड़ाई जाती है। पर्यावरण का संरक्षण हमारा नैतिक कर्तव्य है। आज सरकारों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। लाखों रुपया खर्च किया जाता है। मात्र खानापूर्ति करने से कुछ नहीं होगा। आज वायु-प्रदूषण एक विकराल व लाईलाज समस्या बनती जा रही है। 

आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण दुनिया में प्रतिवर्ष 20 लाख लोग जान गंवाते हैं। पराली जलाई जा रही है। कपड़ा जलाया जा रहा है। प्लास्टीक जलाया जा रहा है, जिससे वातावरण अशुद्व होता जा रहा है। आज पूरे विश्व में वायु प्रदूषण जानलेवा साबित होता जा रहा है। चंद लोगों की जान-बूझकर की गई गलतियों से आज वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है। आज मानव अपनी ही गलतियों के कारण सासों की बीमारियों व अन्य लाईलाज बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है। दमा का शिकार हो रहा है, और यह सब पर्यावरण प्रदूषण का ही नतीजा है। जब तक मानव सच्चे दिल से पर्यावरण का सरंक्षण नहीं करेगा, तब तक ऐसे आयोजन व्यर्थ हैं। एक दिन पर्यावरण को बचाने के लिए नारे लगाए जाते हैं, फिर पूरे साल पर्यावरण की याद नहीं रहती। सभी की सहभागिता ही पर्यावरण को सुरक्षित कर सकती है। आज आपदाएं हो रही हैं, पहाड़ दरक रहे हैं, बादल फट रहे हैं, ग्लेशियर पिघल रहे हैं। 
पेड़-पौधों का अंधाधुंध कटान किया जा रहा है, जंगलों में आग लगाई जा रही है, सरकारों व समाज के बुद्विजीवियों को पर्यावरण के संरक्षण हेतू मंथन करना होगा। पर्यावरण के संरक्षण के लिए अभियान चलाने होंगे। 

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भाषणबाजी करने से कुछ नहीं होगा, धरातल पर काम करना होगा। एक दिन चोचलेबाजी की जाती है, फिर पूरे साल 365 दिन लोग पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि अगर सही मायनों में पर्यावरण को बचाना है, तो सभी को एकजूट होना होगा। तभी हम इसका संरक्षण कर सकते हैं। आज अवैज्ञानिक रुप से खनन किया जा रहा है, पहाड़ियां दरक रही हैं, पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है। जलस़़्त्रोत सूख रहे हैं। जलस्तर घटता जा रहा है। खनन करके आज इंसान महल बना रहे हैं, मगर एक दिन पानी को तरसेगें।

खनन को रोकना होगा, नदियों व नालों का जलस्तर गिर रहा है। आज अधिकांश नदियों का पानी प्रदूषित हो चुका है। आज पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं। पर्यावरण की स्वच्छता ही हमारा धर्म है। पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करना होगा। आज जहां पूरे भारतवर्ष में पर्यावरण सरंक्षण के लिए स्वच्छता अभियान चला हुआ है, करोड़ों रुपया इस अभियान पर खर्च किया जा रहा है कि वातावरण शुध्द रहे, और हर नागरिक स्वस्थ रहे, क्योंकि कहते हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता बेहद जरुरी है, मगर कुछ बीमार व नीच मानसिकता के लोग इस अभियान को बट्टा लगा रहे हैं, यह गंदी सोच वाले लोग गांव व शहरों में गंदगी डालने व प्रदूषण फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। 

दरअसल इन लोगों के दिमागों में गंदगी ही भरी पड़ी है, नतीजन यह गंदगी ही फैलाएंगे। गंदगी के कारण जब बीमारियों से ग्रस्त होंगे, तब इन लोगों के होश ठिकाने आयेंगे। सड़कों व दुकानों के सामने घरों व दुकानों का गंदा कूड़ा-कचरा व कपडा़ जला रहे हैं, जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इस जहरीले धुएं के कारण लोग सांस की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं, मगर इन लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं है कि उनकी छोटी सी गलती के कारण कितना बड़ा नुक्सान हो रहा है। सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों के धुएं के कारण भी जनमानस को नुक्सान हो रहा है। ऐसे वाहन चालकों के लाईसैंस रद्द करने चाहिए, जो ऐसे जानलेवा कार्याें को अंजाम देते हैं, जिनकी छोटी सी गलती कितने लोगों का अहित कर रही है। 

आज पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए सेमीनार आयोजित किए जा रहे हैं, प्रतियोगिताएं करवाई जा रही हैं। मगर कुछ बीमार मानसिकता के लोग इस धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं। आज भले ही पूरे भारत में स्वच्छता अभियान को लेकर कार्यक्रम चल रहे हैं, मगर इन लोगों को इस से कोई सरोकार नहीं है। इन पर हम नहीं सुधरेंगे का लेबल लगा हुआ है। यह बेशर्म टाईप के लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं, लगातार गंदगी फैला रहे हैं। सफाई अभियान के लिए सामाजिक संस्थाएं कदम से कदम बढ़ा रही हैं, और इस अभियान में लोगों को जागरुक किया जा रहा है। कुछ लोगों को सफाई पसंद नहीं है, वे लोग आज भी गंदगी फैला रहे हैं। दुकानों व मकानों का सारा कचरा लोगों की दुकानों के आगे जला रहे हैं। ऐसे लोग इस अभियान को बट्टा लगा रहे हैं। कुछ लोग सड़कों पर केले के छिलके फेंक रहे हैं। मगर इन गंदगी फैलाने वालों को जरा भी समझ नहीं है कि लोग सफाई कर रहे हैं, और वह गंदगी डाल रहे हैं।


ऐसे लोगों के खिलाफ जनमानस को लामबंद होना चाहिए, ताकि वातावरण स्वच्छ रहे। सरकार व प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकार के लोगों पर शिकंजा कसा जाए, जो गंदगी फैला रहे हैं। अगर इन पर कानूनी कार्रवाई की जाए, तब इनको समझ आएगी कि गंदगी फैलाना कितना बड़ा जुर्म है। 

अक्सर देखा गया है कि लोग सुबह के समय ही कुड़ा फेंक देते हैं, जब सैर करने निकलते हैं। प्रशासन को चाहिए कि बाजारों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि गंदगी फैलाने वालों की हरकतें कैमरे में रिकार्ड हो जाएँ, तभी इन पर रोक लग सकती है। सरकार को चाहिए कि प्रदूषण व गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, तथा मनमानी करने वालों को जुर्माना लगाया जाए, तभी इन लोगों को होश आएगी। गंदगी फैलाने वाले लोगों को सजा दी जाए, ताकि फिर गंदगी फैलाने का दुस्साहस न कर सके। प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड को भी समय-समय पर प्रदूषण फैलाने वालों पर नजर रखनी चाहिए, पंचायतों को भी ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण की स्वच्छता के इस यज्ञ में आहुती डालनी होगी, तो वह दिन दूर नहीं, जब भारतवर्ष में प्रत्येक गांवों व शहरों में वातावरण स्वच्छ होगा। स्वच्छता अभियान को लगातार चलाना होगा, तभी गंदगी से निजात मिल सकती है। पर्यावरण को बचाना हमारा नैतिक कर्तव्य है, इस कर्तव्य से हमें विमुख नहीं होना चहिए।


अगर सब एकजुट होकर काम करेगें, तो हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को इसमें अपना योगदान देना होगा, मिलजुल कर अभियान चलाने होंगे। पर्यावरण को संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। जागरुकता शिविरों का आयोजन करना होगा। संचार के माध्यमों से पर्यावरण को बचाने के लिए अलख जगानी होगी। पर्यावरण बचेगा, तभी मानव जीवन भी बचेगा। आज पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण को बचाने का एक संकल्प लेना होगा। तभी ऐसे पर्यावरण दिवसों की सार्थकता होगी।

(लेखक नरेन्द्र भारती स्वतंत्र लेखन करते हैं )



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