लेखक / कवि: देव नाथ (Writer / Poet Devnath)
Published on 14 Jun 2021 (Update: 14 Jun 2021, 1:47 PM IST)
कह दो न -
मैं हूँ न
जब मुश्किलें डिगाने लगे
जब दिल घबराने लगे
तब कह दो न
मैं हूँ न
जिंदगी जब डराने लगे
आंख अपने दिखाने लगें
जब नाव न किनारे लगे
तब दिल से कह दो न
मैं हूँ न
जब किस्मत खराब हो
चेहरे पर तनाव हो
डूब रही नाव हो
दिल में गहरे घाव हों
तब सुनो न - कह दो -
मैं हूँ न
याद है तुम ही तो संभालते थे
मेरी भावनाओं को खंगालते थे
मेरे जज्बातों को पालते थे
अपने सहज भाव डालते थे।
जिंदगी जब बोझिल हो जाये
तब कह दो न-
मैं हूँ न -
मैं हूँ न!
आज खूब रोया हूँ!
आंसुओं से जज्बात धोया हूँ
तुम्हें याद कर क्या नहीं किया
दर्द, बेचैनी और जहर पिया
लेकिन तुम नहीं थे सामने
कोई आवाज नहीं थी सामने
एक चेहरा चिढ़ा रहा था
दर्द का ज्वार जला रहा था
मैं यहीं सोच रहा था
कि तुम तो नहीं हो
मैं गलत तुम सही हो
जज्बात , मुलाकात सब बेमानी है
तुम और तुम्हारा लगाव कहानी है।।
फिर भी उम्मीद है कि तुम आओगे
क्या पता कि फिर गुम हो जाओगे
खैर, सपने में ही सही
कह दो न -
मैं हूँ न।।
(देव नाथ एक जाने माने पत्रकार के साथ भावपूर्ण लेखक /कवि हैं)
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