माँ की ममता

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माँ की ममता

  • वो बेशक न खाए, लेकिन आप को ज़रूर खिलाती थी.  
  • जितना प्यार आजकल सोशल मीडिया पर माँ के प्रति उमड़ रहा है, उसका आधा प्यार भी अगर सच में माँ के लिए उमड़ता तो, आज वृद्धआश्रम में माँ नहीं होती.
Mother is another god on earth, Hindi Essay

युवा लेखक: आदर्श पाण्डेय (Writer Adarsh Pandey) 
Published on 9 May 2021 (Last Update: 10 May 2021, 10:21 AM IST)

ईश्वर से बड़ा कौन, ज़ाहिर तौर पर वह माँ ही है, जो ईश्वर से भी बड़ी है। 
माँ तो माँ होती है ,माँ का मूल्य ना समझने वाले लोग मानव जीवन के पापी लोग हैं।

जिस माँ ने जन्म दिया, जिस माँ ने हमें पाला, अपनी बाहों में झूला झुलाया, उस माँ को मूल्य न देने वाले लोग जीवन में खुशियों की बात करते हैं. हम भूल गए अपने बचपन की बातें, जब माँ हमारे लिए रात भर जगती थी। खुद खाना न खाकर अपने बच्चों को खाना खिलाती थी, आज लोग अपनी माँ को छोड़ने की बात करते हैं, वह भूल गए जब बचपन में बिस्तर गीला किया करते थे.

तब गीले हुए बिस्तर पे माँ सो जाती थी, हमें सूखे बिस्तर पर सुलाती थी, क्योंकि हम उनके प्यारे बच्चे ,थे और आज आप लोग माँ की बातों को ठुकरा देते हो. कितने भी बड़े हो जाओ, लेकिन माँ से बड़े कभी नही हो सकते. हम जब बीमार हो जाते थे, तब अगर माँ के पास पैसा नही होता था, तो माँ कही काम कर के पैसा लाती थी, और डॉक्टर के पास दवा के लिए जाती थी. वो अपनी तमाम खुशियाँ आप को देती थी. वो बेशक न खाए, लेकिन आप को ज़रूर खिलाती थी. अगर तुम उसे न दिखते थे, तब माँ घबरा जाती थी, और हम उसी माँ से मिलना नही चाहतें क्यों?

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आखिर हम क्यों भूल गए हैं, वो सारी बातें, जो माँ ने हमारे लिए ख़ुद की कुर्बानी देती थी. आज पढ़ लिख क्या लिए, लोग माँ को अनपढ़ समझते हैं, माँ की कोई बात नही सुनते हैं, ध्यान रखें कि वही अनपढ़ माँ आप को पाली पोसी है. आप जिस माँ को छोड़ने की बात करते हो, उन्हें बृद्ध आश्रम तक जाने को मजबूर करते हो, अगर वही माँ बचपन मे तुम्हें छोड़ देती ना, तो फिर क्या होता?

वो आज इतना झेलती है, लेकिन माँ ने अपने कर्तव्यों से बढ़ कर आप की सेवा की है, और माँ की सेवा करने में लोगों को शर्म आती है. मूर्ति की पूजा करने के बजाय माँ की ममता को समझो, तुम्हें पूरे विश्व के देवी देवता देखेंगी.
आज हमें क्यों इतना कष्ट मिलता है, आखिर क्यों हम भगवान के पास जाते हैं, क्योंकि घर के भगवान को हमने कभी मूल्य नही दिया, उनका कभी सम्मान नहीं किया. माँ का सम्मान करने से भगवान का सम्मान होता है. 

आखिर कौन नहीं जानता है कि 9 महीने माँ अपने पेट में पालती है. अपने पेट पर कोई भी व्यक्ति, 4 किलो अपने पेट पर 9 दिन बाँधकर चल सकता है क्या? कोई ऐसा करे, तब मालूम पड़ेगा कि माँ का दर्द क्या होता है. सच तो यह है कि और कोई कभी नहीं चल सकता है. यह केवल माँ ही कर सकती है. माँ के जीवन का मोल कोई नहीं चुका सकता है.

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जब हम बच्चे थे, तब माँ लोरी सुना कर सुलाती थी. जब गर्मी लगती, माँ हाथ के बने पंखों से हवा देती थी. जब तक हम सो नहीं जाते थे, तब तक माँ पंखा अपने हाथों से डुलाती थी. माँ के हाथो में दर्द होता, फिर भी कपड़े वाले हाथ के बने पंखी से हवा डुलाती, ताकि उसके बेटी-बेटों को गर्मी ना लगे. धन्य है वो घर जिस घर में माँ है...
शादी हो जाने के बाद बीबी से पूछना पड़ता है कि माँ को पैसा कितना भेजें, ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए. ऐसे पुत्र को, जिस माँ ने खुद को भूखा रखकर, पुत्र को खाना खिलाती थी, तब उसके पैरो में चप्पल भी नहीं होता था. लेकिन अपने बच्चों को वह चप्पल जरूर खरीदती थी, क्योंकि उसके लिए उसके पुत्र और पुत्री से बढ़कर जीवन में कोई नहीं था.

जितना प्यार आजकल सोशल मीडिया पर माँ के प्रति उमड़ रहा है, उसका आधा प्यार भी अगर सच में माँ के लिए उमड़ता तो, आज वृद्धआश्रम में माँ नहीं होती.

सोचिये! ज़रूर सोचिये...


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Overflowing for the mother, there is no mother in the old home today.
The mother who gave birth to god is the eldest then god.
9 month, the mother thrives in her stomach, her children; any 9 kg can walk on her stomach after 9 days. Then you will know what the mothers pain is and no one can ever walk, only that mother can do it, no one can afford the mother’s life.




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