कितनी उपयोगी साबित होगी नेजल वैक्सीन?

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कितनी उपयोगी साबित होगी नेजल वैक्सीन?

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Nasal Vaccine Covid (Pic: indianexpress)


एक नहीं ,दो -दो वैक्सीन आने के बाद भारत में नेजल वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी दे दी गई है। भारत बायोटेक को इसके पहले और दूसरे फेज के ट्रायल की मंजूरी मिली है।

जैसा कि सबको पता है इसके पहले जो वैक्सीन आई थी उसको इंजेक्ट किया जाता था , लेकिन नेजल वैक्सीन को नाक के द्वारा दी जाएगी। वैज्ञानिकों की माने तो नाक के द्वारा वैक्सीन दिया जाना काफी फायदेमंद हो सकता है इससे शरीर में इम्यून रिस्पांस काफी बेहतर तरीके से तैयार होता है। 

वहीं कोरोना की लड़ाई में नेजल वैक्सीन को विशेषज्ञ बच्चों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं मान रहे हैं। स्कूली छात्रों के लिए यह बेहद कारगर होगी। नेजल वैक्सीन आसानी से स्कूली बच्चों को दी जा सकेगी। भले ही स्कूली बच्चों में कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा कम होता हो, लेकिन यह दूसरे लोगों को संक्रमण फैला सकते हैं ,यानी यह करोना के वाहक साबित हो सकते हैं। 

ऐसे में यह वैक्सीन करोना संक्रमण की रोकथाम में बेहद मददगार साबित होगी। नेजल वैक्सीन क्योंकि एक स्प्रे होता है इससे टीकाकरण भी बेहद आसान होगा। 

महज आधे घंटे में ऐसा टीका पूरी कक्षा के बच्चों को दिया जा सकता है। भारत बायोटेक के अनुसार नेजल वैक्सीन इंसानी शरीर के भीतर संक्रमण को तो रोकेगी ही साथ ही यह संक्रमण के प्रसार पर भी लगाम लगाएगी। इसके पहले की जो दोनों वैक्सीन है उनके दो डोज लेने थे, लेकिन नेजल वैक्सीन की सिर्फ एक डोज पर्याप्त है।

Nasal Vaccine Covid (Pic: health.economictimes)


नेजल वैक्सीन के लाभ 
सुई लगाने की जगह नाक से टीका देने के कई लाभ होते हैं। जैसे खर्च कम पड़ता है ,सिरिंज की जरूरत नहीं पड़ती, कम तापमान पर स्टोर नहीं करना पड़ता है। इतना ही नहीं 'नेजल  वैक्सीन' के टीकाकरण में बड़ी संख्या में चिकित्सा कर्मियों की जरूरत नहीं पड़ती है। यह टीका कम समय में लग जाता है। वहीं कोरोना के संभावित टीके को लेकर लोगों में बहुत आशंकाएं हैं ऐसे में सुई की जगह नाक से टीका की विधि लोगों का डर कम करेगा।

पहले के तजुर्बे को देखे तो पोलियो की वैक्सीन जब आई थी तो शुरू में यह इंजेक्शन के रूप में थी। लेकिन जब पता चला कि पोलियो का वायरस पेट के रास्ते नसों तक पहुंचता है और उसे नुकसान पहुंचाता है ,तो फिर पोलियो की ओरल वैक्सीन बनाई गई ताकि पेट में इसे खत्म किया जा सके। 

अभी करोना कि इंट्रा मस्कुलर वैक्सीन है जिससे ये मांसपेशियों में दिया जाता है। जहां से वह ब्लड में जाता है और फिर एंटीबॉडी बनाता है। लेकिन हम करोना  वायरस के मैकेनिज्म को समझे तो यह नाक या मुंह के जरिए शरीर में घुसता है। इसलिए जहां से वायरस की एंट्री होती है वहीं से इसके खिलाफ एंटी बॉडी बनाने या इसे रोकने के लिए नेजल वैक्सीन बेहतर साबित होगी। जैसा कि हम को उम्मीद थी उससे भी जल्दी नेजल वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी मिल गई है और इस तरह से करोना  के खिलाफ  जंग में हम बहुत ही जल्दी अव्वल आने वाले हैं। 

आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं 

पूनम सिंह, भिलाई 






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