रेप की घटनाओं की जिम्मेदारी किसकी?

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रेप की घटनाओं की जिम्मेदारी किसकी?

आज के समय में अगर टॉप 5 शब्दों की लिस्ट / वर्ड-क्लाउड बनाया जाये जो सबसे ज्यादा सुनने में आते हैं तो निःसंदेह ही 'रेप' और 'बलात्कार' इसमें टॉप पर होंगे। सुबह अख़बार खोलो या टीवी आपको कोई न कोई, कहीं न कहीं रेप की कोई घटना पढ़ने और सुनने को मिल ही जाएगी।

ये खबरें भी लोगों के लिए आम ख़बरों की तरह हो गयी हैं, क्योंकि कोई चीज जब रोज हो और ज्यादा मात्रा में हो तो वह आम बात हो ही जाती है।

हालाँकि जब ये घटनाएं वीभत्स और मानवता को शर्मसार करने वाली हो जाती हैं तो लोग इसके बारे में चर्चा करने लगते है। ऐसी एक घटना मुद्दा बनी है जिसमें हैदराबाद की एक डॉक्टर को चार लोगों ने मदद के नाम पर अगवा किया और दरिंदगी की सारी हदें पार करने के बाद उसके शरीर को आग लगा दी।

Who Is Responsible For Rape Crimes (Pic: propublica)

इस घटना को लेकर सोशल मिडिया, टेलीविजन,अख़बार और हर वो साधन जहाँ चर्चा हो सकती है हो रही है। अगली -पिछली घटनाओं के इतिहास भी खंगाले जा रहे हैं लेकिन अफ़सोस कि ये चर्चाएं किसी ठोस कदम या नतीजे की तरफ बढ़ती हुई नहीं दिख रही हैं।

ध्यान देने वाली बात है कि ऐसी घटनाएं रातों-रात न शुरू हुई हैं ना ही रातों-रात खत्म हो जाएँगी, बल्कि इस पर नियंत्रण के लिए कई सारे क्षत्रों और बेसिक लेबल पर काम करने की आवश्यकता है। इनमें से अगर सबसे पहली शुरुआत करनी चाहिए तो वो हैं...

घर और समाज

बलात्कार जैसी अमानवीय घटना जब घटती है, तब पीड़िता के परिवार पर क्या असर होता है इसकी कल्पना करना इतना सहज नहीं है। जो लोग इस घटना पर ज्ञान फैला रहे हैं वो लोग खुद ही आंख बचा कर निकल जाते हैं। इनके परिवार वालों के इतिहास निकाले जाते हैं, लड़की के चरित्र का एक्स-रे तक किया जाता है। कुल मिलाकर पूरी तरह से कोशिश की जाती है यह साबित करने की कि इन्हीं की कोई गलती रही होगी, जो इनके साथ ऐसा हुआ है।

रेप की बहुत सारी घटनाओं को दबा दिए जाने के पीछे भी कहीं न कहीं समाज ही जिम्मेदार है। सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर रेप पीड़िताओं के साथ खड़े लोग व्यावहारिक जीवन में क्यों इनके साथ खड़े नहीं हो पाते? परिणाम यह होता है कि पीड़िताओं का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है।

लोगों के भद्दे कमेंट, अदालतों और मीडिया के अपमानजनक सवालों और आगे का जीवन दुरूह होने के डर से तो कई बार अपने और अपने परिवार की इज्जत दांव पर लगाने के बदले लड़कियां मौत तक को गले लगा लेती हैं। ऐसे में परिवार वालों को अपने बच्चों को समझाना होगा कि कोई भी इज्जत उनसे बढ़ कर नहीं है और किसी भी परिस्थिति में परिवार उनके साथ है।

सरकार की जवाबदेही

राजनेताओं का गढ़ और देश की राजधानी दिल्ली की अगर बात करें तो दिल्ली में रोजाना 5 महिलाओं का रेप होता है और लगभग 8 महिलाएं छेड़छाड़ की शिकार होती हैं। ये आंकड़ा सिर्फ रिकार्ड में दर्ज केसों के आधार पर बताया गया है जबकि अधिकांश मामलों में शिकायत तक नहीं की जाती है।

ये सिर्फ देश की राजधानी के सन्दर्भ में बताया गया है। अगर पूरे देश में होने वाली रेप की घटनाओं का रिकार्ड बताया गया तो ये आंकड़े हजारों की संख्या में भी हो सकते हैं। कितना अजीब है न... कि जब हम तरक्की के आसमान को छू रहे हैं, तब हमारे सामने रेप जैसी समस्याएं मुँह फैलाये खड़ी हैं।

टेक्नोलॉजी के ज़माने में क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे देश की बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। क्या ऐसी कोई टेक्निक नहीं है जिससे अपराधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके।

इसके आलावा सरकार के पास कानून है, पुलिस है जिनकी मदद से अपराधियों पर नकेल कसा जा सकता है। लेकिन ये कारगर साबित क्यों नहीं हो रहे हैं, इसकी जवाबदेही सरकार की ही है। वहीं सरकार चाहे तो तमाम कार्यक्रमों के माध्यम से अपराध और सुरक्षा के लिए जागरूकता फैला सकती है लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं होता है।


यौन-शिक्षा

युवावस्था सभी के लिए बहुत ही उत्तेजनापूर्ण होता है। चाहे वो लड़का हो या लड़की।
इस समय आपके बच्चे बहुत सारे शारीरिक और मानसिक बदलावों के दौर से गुज़रते हैं। ऐसे में उन्हें अकेला छोड़ देना और अपने मन से या बाहर से कहीं से कुछ भी समझ लेने के लिए छोड़ देना उचित नहीं है।

चूंकि माँ-बाप बच्चे के सबसे करीब होते हैं, इसलिए आपका फ़र्ज़ बनता है कि जवान हो रहे अपने बच्चे की भावनाओं को समझें और उन्हें सही सलाह और ज्ञान दें। ध्यान रहे, यह ऐसी चीज है जिसे आप नहीं बताएँगे तो बच्चे कहीं से जान ही लेंगे और वो कितना सही होगा यह कहना मुश्किल है।

हालाँकि भारत में अभी स्कूली पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन इसे जितनी जल्दी शामिल किया जाये उतना ही बेहतर होगा।

लड़कियां हों खुद जागरूक

कोई समाज आपकी मदद के लिए आएगा कि नहीं, सरकार कुछ ठोस कदम उठाएगी या नहीं... ये सब बाद की बातें हैं।

अगर आप इंसान के भेष में घूम रहे भेड़ियों से बचना चाहती हैं तो आपको अपनी सुरक्षा के बारे में खुद ही सोचना होगा। समाज में हमेशा ही बुरे लोग हुए हैं और आगे भी होते रहेंगे, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इनके डर से घर से निकलना छोड़ दें। हाँ इतना जरूर करना है कि इनसे निपटने की तैयारी पूरी रखनी है। इसके लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है।
  • जब भी कोई रेप की घटना हो तो उस केस के बारे में अपने से बड़े लोगों के साथ डिस्कस करें और उस घटना  से सीख लें।
  • अपने मोबाइल में वन टच इमरजेंसी नम्बर रखें, जिसमें अपने परिजनों के साथ ही पुलिस का नम्बर भी हो।
  • घर से बाहर निकलते समय स्प्रे, चाकू, कैंची, सेफ्टी पिन, मिर्च पाउडर जैसी सामग्री हमेशा ही अपने बैग में रखें।
  • अपने फोन में पुलिस एप को जरूर रखें और असुरक्षा का एहसास होते ही अपनी लोकेशन पुलिस को भेजें।
  • जिस प्रकार आप उच्च शिक्षा के लिए जागरूक हैं उसी प्रकार सेल्फ- डिफेन्स की शिक्षा के लिए भी अपने परिजनों को तैयार करें।
  • आज कल मार्किट में लड़कियों की सुरक्षा से सम्बंधित कई उपकरण आने लगे हैं जिसमें स्टन गन आप यूज कर सकती है। इससे अपराधी को बिजली का झटका दिया जा सकता है। इसके झटके से अपराधी कुछ देर के लिए असहज हो सकता है और आपको संभलने का मौका मिल सकता है।
  • सेफ्टी अलार्म - महिलाओं को ध्यान में रखते हुए अलार्म का निर्माण किया गया है। इन अलार्म से 130 डेसीबल्स तक का साउंड निकलता है जिससे आसपास के लोग यह समझ सकेंगे कि वहाँ कुछ गड़बड़ है।
  • जहाँ तक संभव हो देर रात तक घर से बाहर ना रहें और कभी ऐसा हो तो अकेले जाने के बजाय ग्रुप में जाएँ।
  • रात के समय कैब और टैक्सी का इस्तेमाल करते समय बेहद सतर्क रहें, गाड़ी का नंबर और ड्राइवर की फोटो अपने घरवालों को सेंड कर दें।
  • अंत में सबसे अहम् बात कि आप कितने भी वेपन्स क्यों ना रख लें, इसको सही समय पर इस्तेमाल करना बेहद जरुरी है। इसके लिए आप अपने दोस्तों के साथ मिल कर डेमो करते रहें, ताकि मुसीबत में पड़ने पर आप आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकें।
समाज के लोगों को भी समझना होगा कि बेटियां अनमोल हैं, चाहें वो आप की हो या किसी और की। जब भी किसी महिला को मुसीबत में देखें तो यथा सम्भव मदद करने की कोशिश जरूर करें, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि किसी भी महिला को देखें तो अपनी नज़र पर 'अश्लीलता' का चश्मा न चढ़ाएं!
याद रखिये, अगर आप गन्दी नज़रों से किसी महिला को देख रहे हैं, उसके बारे में सोच रहे हैं तो कहीं न कहीं आप भी एक बलात्कारी मानसिकता के ही हैं।

अगर आपकी यह आदत पड़ जाएगी तो क्या पता कभी कुअवसर आपको भी एक बलात्कारी बना देगा, इसलिए अश्लील चर्चाओं से, जोक्स से, महिलाओं की इज्जत न करने वाले सर्किल से खुद को दूर रखें। 

याद रखें, अगर देश का प्रत्येक व्यक्ति एक-एक कदम उठाएगा, तब जाकर इस तरह के अपराध पर रोक लग पायेगी, अन्यथा हमारा समाज नीचे की ओर ही जायेगा और उसके लपेटे में आप, आपका परिवार भी आएगा... इस बात में संदेह नहीं!

हाँ! समय का फेर ज़रूर हो सकता है, आज हैदराबाद की बेटी के साथ कुकर्म और मर्डर हुआ, हो सकता है कल आपका नंबर हो, इसलिए जागरूक हों, हर हाल में इसका विरोध करें, बगावत करें... समाज से भी, सिस्टम से भी, लेकिन उससे ज्यादा आवश्यक है कि आपकी बगावत खुद से हो!


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Web Title: Premium Hindi Content on Rape Case, Who Is Responsible For Rape  Article In Hindi 

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