'डाटा-चोरी' से कैसे बच सकते हैं आप?

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'डाटा-चोरी' से कैसे बच सकते हैं आप?

आप रोज ही किसी न किसी खबर में डाटा चोरी और इससे सम्बंधित खतरों के बारे में पढ़ते-देखते होंगे।
मुश्किल यह है कि छोटी से छोटी वेबसाइट हो या बड़े से बड़ा प्लेटफॉर्म जिनमें फेसबुक, गूगल जैसी कंपनियां शामिल हैं, उन सभी प्लेटफॉर्म्स से यूजर का डाटा चोरी होने की खबरें छपती रही हैं!

आप कहेंगे कि इससे भला हमें क्या फर्क पड़ता है, तो आप जान लें कि डिजिटल एज में सर्वाधिक महत्वपूर्ण डाटा ही तो है। वास्तव में आपका डाटा मोस्ट प्रेसियस बनता जा रहा है और इसीलिए एक्टिव होकर इसका ध्यान रखना आपकी ही ड्यूटी है।

Safety from Data Theft (Pic: appfolio)

आइए देखते हैं कुछ महत्वपूर्ण स्टेप्स, जिसके माध्यम से आप अपना डाटा सुरक्षित रख सकेंगे:

क्या आपका ईमेल-डाटा लीक हो चुका है?

वर्तमान में आपका ईमेल अकाउंट सर्वाधिक महत्वपूर्ण अकाउंट है। इस ईमेल में आपके तमाम दस्तावेज सुरक्षित होते हैं तो बैंक से लेकर इनकम टैक्स इत्यादि एकाउंट्स की लॉगिन डिटेल होती है। इतना ही नहीं, आप तमाम महत्वपूर्ण अकाउंट के पासवर्ड इत्यादि भी इस पर रिकवर करते हैं। कल्पना कीजिये कि आपका ईमेल अकाउंट हैक हो जाए?

अगर आपको ज़रा भी शक है तो इसके लिए इस वेबसाइट (haveibeenpwned.com) पर विजिट करें और सम्बंधित ईमेल आईडी टाइप करें। यहाँ pwned बटन पर क्लीक करते ही आपको पता लग जायेगा कि आपका डाटा चोरी हुआ है कि नहीं? 

अगर आपकी आईडी हैक हो गयी है तो आपको संबंधित ईमेल का पासवर्ड तत्काल ही चेंज कर लेना चाहिए।

एक ही पासवर्ड से न चलाएं काम!

अक्सर लोग यही कार्य करते हैं!
चूंकि ऑनलाइन-वर्ल्ड में पासवर्ड याद रखना अपने आप में चुनौती भरा कार्य है, लेकिन यह जान लीजिये कि आपकी इसी आदत का फायदा हैकर्स-ग्रुप उठाता है। सलाह दी जाती है कि विभिन्न ईमेल अकाउंट्स, बैंक एकाउंट्स, सोशल मीडिया नेटवर्क्स के लिए भिन्न पासवर्ड रखें।

ऐसी स्थिति में अगर आपका एक अकाउंट हैक भी हो गया तो उसी डिटेल से दूसरे एकाउंट्स के हैक होने की पॉसिबिलिटी कम हो जाएगी!
पासवर्ड याद रखने में दिक्कत होती है तो इसके लिए आप भिन्न "पासवर्ड-मैनेजर्स" का इस्तेमाल कर सकते हैं।

टू फैक्टर-ऑथेंटिकेशन

तू डाल-डाल तो मैं पात-पात!
मतलब हैकर्स और सिक्योरिटी प्रोवाइडर्स के बीच जंग चलती ही रहती है और जब आप टू फैक्टर-ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करते हैं तो यकीन मानिये सिक्योरिटी के इस बेहद मजबूत फीचर से आपका अकाउंट एक तरह से अभेद्य हो जाता है।

इस फीचर को एक्टिव करने के बाद जब भी आप अपने अकाउंट में लॉगइन करेंगे, ठीक उसी समय आपके मोबाइल पर एक कूट-सन्देश (Code) आएगा, और वह कोड एंटर करने के पश्चात ही आपका ईमेल अकाउंट या दूसरे सोशल प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल किया जा सकता है।

गूगल-फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स में यह इनबिल्ट आ रहा है तो कई एकाउंट्स में यह स्मार्टफोन पर टू फैक्टर-ऑथेंटिकेशन एप्लीकेशन की सहायता से इस्तेमाल किया जा सकता है।इन ऍप्लिकेशन्स में https://authy.com/ जैसे एप्लीकेशन का नाम गिनाया जा सकता है।

'एड ट्रैकिंग' से रहें सावधान

यह एक फैक्ट है कि तमाम विज्ञापन आपसे जाने-अनजाने में कई ऐसी जानकारियां ले लेते हैं, जिन्हें आप देना नहीं चाहते हैं। कई बार आपने इसे महसूस भी किया होगा कि विज्ञापन बार-बार खुलकर आपसे परमिशन मांगते हैं और इरिटेट होकर आप उनके दिए गए ऑप्शन पर क्लिक भी कर देते हैं। ऐसे में वह कई बार सेंसिटिव-इनफार्मेशन तक ले लेते हैं।
इसके अतिरिक्त ब्राउज़र-सिक्योरिटी भी मेजर फैक्टर है। हालाँकि, अधिकांश ब्राउज़र आजकल सिक्योर आते हैं, लेकिन आप सेंसिटिव-लॉगिन के समय अवश्य ही इस फैक्टर पर ध्यान रखें।

फाइनेंसियल / बैंकिंग ट्रांसक्शन्स को लेकर रहें सुपर अलर्ट!

पैसे के मामले में यह फ्रॉड्स सीधे आपको नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में आप को ज्यों ही भनक लगती है कि आपके कार्ड्स, बैंक-लॉगिन पासवर्ड इत्यादि लीक हुए हैं, उसे तत्काल ही चेंज करें और ज़रुरत पड़ने पर सम्बंधित बैंक को लिखित सूचना दें, फ्रॉड होने की स्थिति में कम्प्लेन करें।

एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि पेड वीपीएन (Virtual Private Network) का इस्तेमाल करने से भी कहीं न कहीं आपका डाटा थर्ड पार्टी से बचा रहता है। इसी प्रकार पब्लिक वाईफाई का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, खासकर सेंसिटिव जानकारियों अथवा ट्रांजैक्शन के लिए।

इन सबके अलावा कुछ लोगों को महत्वपूर्ण जानकारियां पेपर / डायरी इत्यादि में लिखने की आदत होती है। बेशक यह उनके लिए सुविधाजनक होता है, लेकिन यह लीक भी हो सकता है। आपका कोई जानकार आपकी डायरी देख सकता है या फिर रद्दी समझकर फेंके गए पेपर से कोई ऐसी जानकारी लीक हो सकती है, जो महत्वपूर्ण हो।ऐसे में इस ओर से आपको सावधान रहना चाहिए।

ऐसे ही ऑफलाइन आपके पीसी से भी कई बार सेंसिटिव डाटा लीक हो जाते हैं, अगर आपने अपने लॉगिन डिटेल्स को सिक्योर नहीं रखा या, फोल्डर-लॉक नहीं लगाया है तो!

इसके अलावा एंटी-वायरस, एंटी-स्पाईवेयर, फायरवाल भी डेटा चोरी को रोकने में बड़ी भूमिका निभाते हैं, तो इसे आपको अपने सिस्टम में अवश्य ही अपडेट रखना चाहिए।

इस संबंध में निश्चित तौर पर आपके पास भी पर्याप्त अनुभव होंगे! अगर ऐसा है तो कमेंट-बॉक्स में अपने अनुभव शेयर कीजिये और पाठकों तक अपने ज्ञान का लाभ पहुंचाइये!

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Web Title: Safety from Data Theft, Hindi Article


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